कार्डिएक अरेस्ट को ट्रीट करने का सबसे आखिरी विकल्प है एड्रेनलिन

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कार्डिएक अरेस्ट के दौरान हार्ट को फिर से काम करने की स्थिति में लाने के लिए एड्रेनलिन युक्त दवाइयां इस्तेमाल करने से ब्रेन डैमेज होने का खतरा दोगुना हो जाता है। यह दावा हाल ही में की गई एक स्टडी में किया गया है। कार्डिएक अरेस्ट को ट्रीट करने के लिए एड्रेनलिन का इस्तेमाल सबसे आखिरी विकल्प होता है। यह हार्ट में न सिर्फ ब्लड फ्लो बढ़ा देता है, बल्कि दिल की धड़कन को वापस लौटाने में भी मदद करता है।
हालांकि यह दिमाग में मौजूद बेहद छोटी-छोटी ब्लड वैसल्स यानी रक्त की धमनियों में खून के प्रवाह को कम भी कर सकता है, जिसकी वजह से ब्रेन बुरी तरह डैमेज हो सकता है।
शोधकर्ताओं के मुताबिक इसकी वजह से हर 125 मरीज़ों में सिर्फ एक ही मरीज़ ज़िंदा रह पाता है।
ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी ऑफ वार्विक के मुख्य लेखक गेविन पर्किंस ने कहा, ‘हमने पाया कि एड्रेनलिन के फायदे बहुत कम हैं। हर 125 मरीज़ों पर 1 मरीज़ ही बचाया जा सका है, लेकिन उस मरीज़ के दिमाग पर भी एड्रेनलिन के इस्तेमाल का बहुत बुरा असर पड़ता है।’
यह स्टडी न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में पब्लिश हुई, जिसमें शोधकर्ताओं की टीम ने 8,000 ऐसे मरीज़ों का विश्लेषण किया, जो कार्डिएक अरेस्ट का शिकार हो चुके थे। इनमें रेंडम तरीके से कुछ मरीज़ों को एड्रेनलिन दिया गया जबकि कुछ को सॉल्ट वॉटर प्लेसबो। जिन 128 मरीज़ो को एड्रेनलिन दिया गया था और वे बच गए थे, उनमें से 39 लोगों का ब्रेन बुरी तरह डैमेज हो गया जबकि सॉल्ट वॉटर प्लेसबो पाने वाले 91 मरीज़ों में से 16 जो मरीज़ ऐसे थे, जिनका ब्रेन डैमेज हुआ था।
ब्रिटेन के रॉयल यूनाइटेड हॉस्पिटल बाथ के को-ऑथर जैरी नोलन ने कहा, ‘इस ट्रायल की वजह से resuscitation medicine (मृतप्राय व्यक्ति को फिर से होश में लाने वाली दवाई)के फील्ड की शंकाओं को दूर कर दिया है। अब आम पब्लिक कार्डिएक अरेस्ट को आसानी से पहचान पाएगी ताकि पीड़ितों की मदद की जा सके।’
-एजेंसी

Dr. Bhanu Pratap Singh