Mathura (Uttar Pradesh, India)। मथुरा। ब्रजगोपाल राय चंचल ने मथुरा के साप्ताहिक पत्र ‘‘वृत्तांत’’ से 1982 से स. संपादक के रूप में कैरियर का आरम्भ किया। 1984 से 1975 तक दिल्ली प्रेस पत्र प्रकाशन प्रा॰ लि॰ की 8 पत्रिकाओं के लिए स्टाफ राइटर से लेकर उपसंपादक तक के पद पर निरंतर कार्य किया था। 1995 से 2007 तक नई सदी प्रकाशन दिल्ली, मित्र प्रकाशन इलाहावाद एवं अन्य अनेक बड़े प्रकाशन संस्थानों से संबंधित पुस्तक एवं पत्रिकाओं में निरंतर लेखन एवं संपादन का कार्य किया। 2007 से स्वतंत्र पत्रकारिता एवं लेखन का कार्य कर रहे थे। अब तक 2000 से भी अधिक लेख, रिपोर्ट, एवं पत्रकारिता से संबंधित सभी विषयों पर देश की सभी शीर्षस्थ पत्रिकाओं में लेख आदि प्रकाशित हो चुकी हैं। इनमें सरिता, मुक्ता, गुहशोभा, नीहारिका, धर्मयुग, माया, मनोहर कहानियां, साप्ताहिक हिंदुस्तान आदि प्रमुख हैं। दैनिक पत्रों में भी लेख प्रकाशित। अपने स्वामित्व में ‘‘रहस्योद्घाटन’’ नामक पाक्षिक पत्र का भी प्रकाशन शामिल है। मनोरम कहानियां, सुपर आईडिया, बिल्डर्स वायस, युवक समेत 10 पत्रिकाओं में संपादन का कार्य किया।
ब्रजगोपाल राय चंचल की कई पुस्तकों का प्रकाशन हो चुका है
18 वर्ष की आयु में भाषा भवन, मथुरा ने 2 बाल उपन्यास-‘‘करामाती दीपक’’ और ‘‘नकली राजा’’ का प्रकाशन किया। रामजन्मभूमि आंदोलन पर अत्यंत चर्चित पुस्तक ‘‘मंदिर वहीं बनाएंगे, मगर क्यों ? ’’ डायमंड पाकेट बुक्स, दिल्ली से 2002 प्रकाशित हुई है। ‘‘कौन बनेगा करोडपति’’ सीरियल से प्रभावित होकर ‘‘आप बनिए करोड़पति’’ नामक पुस्तक का 1 मास में लेखन एवं प्रकाशन किया। राजा पाकेट बुक्स, दिल्ली से बहुचर्चित पुस्तक प्रकाशित हुई। महर्षि वात्स्यायन के अमर ग्रंथ ‘‘कामसूत्रम्’’ का हिन्दी भाष्य। नई सदी प्रकाशन से प्रकाशित। इसका इस समय तीसरा संस्करण भी उपलब्ध है।
आगरा के विख्यात समाजसेवी एवं बिल्डर, एस. के. गर्ग की बहुप्रशंसित जीवनी का लेखन किया
ब्रज संस्कृति के अनूठे तत्व ‘‘छप्पन भोग’’ पर शोधपूर्ण पुस्तक 2007 में लेखन एवं प्रकाशित। नई सदी प्रकाशन, दिल्ली से प्रकाशित हुई है। पद्मश्री कन्हाई चित्रकार की संपूर्ण जीवनी का लेखन अभी अप्रकाशित है। मोदी ट्रस्ट द्वारा जयपुर से प्रकाशित वर्ष 2008 विश्वहिन्दू परिषद के उपाध्यक्ष आचार्य गिरिराज किशोर जी की जीवनी का लेखन एवं प्रकाशन किया गया। आगरा के विख्यात समाजसेवी एवं बिल्डर, एस. के. गर्ग की बहुप्रशंसित जीवनी ‘‘जाने कितने नीड़ बनाए’’ का लेखन एवं प्रकाशन। वर्ष 2009 में प्रकाशन हुआ है। इस पुस्तक की भूमिका स्वामी रामदेव जी महाराज ने लिखी थी। ‘‘ब्रज भूमि और ब्राह्मण समाज’’ नामक 24 पृष्ठीय बहुप्रचारित पुस्तिका का लेखन, प्रकाशन एवं वितरण का कार्य भी किया। दर्जनों स्मारिकाओं एवं अन्य ग्रंथों का लेखन-संपादन। कृष्ण जन्मभूमि के 3 बार विध्वंस होने पर ‘‘कालिंदी के आंसू’’ नामक अधूरा उपन्यास। अप्रकाशित है।
ब्रजगोपाल राय चंचल का सामाजिक एवं राजनैतिक कार्य
युवक कांग्रेस, कोसीकलां के महामंत्री। राष्ट्रीय संजय मंच के कोसीकलां का अध्यक्ष। श्रीमती मेनका गांधी की विशाल जनसभा आयोजित की। अपने नगर कोसीकलां में सभी सामाजिक एवं राजनैतिक गतिविधियों में सर्वदा उल्लेखनीय सक्रियता बनाये रखी। कोसीकलां में एक दर्जन से ज्यादा कवि सम्मेलनों का आयोजन, संचालन एवं काव्य पाठ। ब्रज की लोक कलाओं रसिया, स्वाँग, नाटक, नौटंकी के आयोजनों में सक्रिय भूमिका निभाते रहे हैं।
लखनऊ, आगरा, दिल्ली एवं अन्य स्थानों की विभिन्न संस्थाओं द्वारा दर्जनों बार सम्मानित
ब्रजगोपाल राय चंचल को पुरूस्कार एवं सम्मान प्राप्त हुए, 1984 में जेसीज क्लब कोसीकलां द्वारा ‘‘वर्ष का सर्वश्रेष्ठ युवा’’ सम्मान। साहित्यकार सम्मान समिति मथुरा द्वारा 1990 में ‘‘राष्ट्रभाषा रत्न’’ सम्मान। मथुरा के पत्रकारों की संस्था द्वारा ‘‘ज्योतिर्मय पत्रकार’’ के रूप में सम्मानित। नाथद्वारा साहित्य मंडल राजस्थान द्वारा ‘‘सम्पादक शिरोमणि’’ उपाधि से सम्मानित। वर्ष 2009 में जेसीज क्लब मथुरा द्वारा ‘‘सर्वश्रेष्ठ लेखक’’ सम्मान। लखनऊ, आगरा, दिल्ली एवं अन्य स्थानों की विभिन्न संस्थाओं द्वारा दर्जनों बार सम्मानित। डाक्यूमेंट्री फिल्मों, देवराहा बाबा, श्रीपाद बाबा एवं रसखान का प्रसारण नहीं हो सका और फिल्म अधूरी रही। फिल्म ‘‘ब्रज कौ बिरजू’’ में अभिनय किया। आकाशवाणी मथुरा-वृन्दावन एवं लखनऊ से अब तक 50 से भी ज्यादा वार्ताओं और कहानियों का प्रसारण। आकाशवाणी में ‘‘कहानीकार’’ के रूप में नामित रहे हैं। अभी हालही में 22 कहानियों का संग्रह ‘‘इन्द्रधनुष’’ दिल्ली के प्रकाशक ने किया है। असल में चंचल एक इन्द्रधनुष जैसा व्यक्तित्व का धनी ही था, असमय ही हमारे बीच से चला गया। हमेशा उनकी कमी खलती रहेगी। यारों का यार दिलदार ब्रजगोपाल राय चंचल।
पारिवारिक समस्याओं से अवसाद ग्रस्त रहकर भी चिंता और चिंतन के मध्य संतुलन बनाए रखा
पद्मश्री मोहन स्वरूप भाटिया ने कहा कि मर्मांतक पीड़ा के साथ यह व्यक्त कर रहा हूं। लेखक, साहित्यकार, पत्रकार, बहुमुखी प्रतिभा के धनी श्री ब्रज गोपाल राय ’चंचल’ का आकस्मिक निधन हो गया। मासिक पत्रिका ’सरिता’ के चर्चित लेखक से ’सुपर आइडिया’ के संपादक रहे, पारिवारिक समस्याओं से अवसाद ग्रस्त रहकर भी चिंता और चिंतन के मध्य ’चंचल’ जी ने मानसिक संतुलन बनाए रखते हुए रचनात्मक सृजन से 8 पुस्तकें लिखीं, हजारों लेख लिखे और लेखन का यह क्रम निरंतर चल रहा था कि विधाता के क्रूर प्रहार ने उन्हें हमसे छीन लिया। यहां तो हम सभी विवश हो जाते हैं।
गम्भीर छवि लिए सभी को हंसाने और सभी के लिए जिया कभी अपने लिए नहीं जी सका
पत्रकार सुनील शर्मा ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि ब्रज गोपाल राय चंचल को राष्ट्रीय व राजकीय पुरस्कार से सम्मानित किया जाना चाहिए था और इस पत्रकार को आर्थिक सहायता की भी आवश्यकता थी। तो कभी किसी ने पूछा तक नहीं कि वह किस हाल में अपना व अपने परिवार का पालन पोषण कर रहा है। ब्रजगोपाल राय चंचल ने पत्रकारिता के क्षेत्र से अपनी शुरूआत की और कहानीकार, लेखक, नाटककार के साथ-साथ समाजिक व राजनैतिक क्षेत्र में भी भाग्य आजमाने का प्रयास किया। तमाम दर्द को लिए चंचल कभी चंचल न रह सका हमेशा एक गम्भीर छवि लिए सभी को हंसाने और सभी के लिए जिया कभी अपने लिए नहीं जी सका।
कलम के लेखक को हमने खो दिया, पत्रकारिता व साहित्य जगत में अपूर्णीय क्षति हुई है
पूर्व विधायक अजय कुमार पोईया ने कहा कि एक अचछी कलम के लेखक को हमने खो दिया, उन्हें कोटि कोटि नमन।
डॉ. राजेन्द्र अग्रवाल ने कहा कि रोज़ाना सोशल मीडिया पर सक्रिय रहने वाले और वास्तविक ज़िन्दगी में अपने बहुत पुराने साथी श्री ब्रजगोपाल राय चंचल जी के निधन के समाचार से मैं हतप्रभ हूँ।
वृन्दावन धाम स्थित कृष्णकाली पीठ के श्री केशवाचार्य जी महाराज ने कहा कि परम आत्मीय बंधु चंचलजी का असमयिक निधन हृदय को झकझोर गया न जाने कितने प्रश्न अनुत्तरित रह गये।
पत्रकारों की संस्था आई एम ए के संस्थापक संरक्षक व पत्रकार नरेन्द्र एम चतुर्वेदी ने कहा कि हम सब के प्रिय मित्र धर्म-शास्त्र व बल्लभ सम्प्रदाय के अच्छे जानकार इंडिया टुडे, कादम्बिनी, सरिता जैसी अनेको पत्र-पत्रिका के लेखक सामाजिक व्यक्तित्व के धनी लेखक, साहित्यकार, कलाकार व पत्रकार ब्रजगोपाल राय चंचल जी के निधन से पत्रकारिता व साहित्य जगत में अपूर्णीय क्षति हुई है।
कथावाचक मृदुल कान्त शास्त्री ने कहा कि अत्यंत दुःखद, बंदरों के ऊपर बनने वाली डॉक्यूमेंट्री के लिए सुधीर भैया के साथ घर पधारे थे।
वृन्दावन बिहारी मंदिर के गोस्वामी जी ने कहा कि बहुत ही दुखद विश्वास ही नहीं ही रहा मेरे अच्छे मित्र थे 10 दिन पहले ही मैसेज आया था।
उनका इस तरह से बिछोह हो जाना हम सबके लिए आहत करने वाला है
आकाशवाणी के पूर्व उद्घोषक श्रीकृष्ण शरद जी ने कहा कि ब्रजगोपाल राय’चंचल’ जी हमारे अच्छे मित्र रहे, उपनाम ’चंचल’ किन्तु बहुत ही गंभीर प्रवृत्ति के सच्चे इंसान थे। श्रेष्ठ कथाकार, लेखक,संपादक, रेडियो के नियमित श्रोता और मां सरस्वती के सच्चे सपूत थे। राजस्थान की भारत प्रसिद्ध संस्था “साहित्य मंडल“ श्री नाथद्वारा के ब्रजभाषा पाटोत्सव समारोह में कुछ वर्ष पूर्व हम और भाई ब्रजगोपाल राय ’चंचल’ जी साथ-साथ थे. भगवान श्रीनाथ जी महाराज के दर्शन करने हम दोनों एक साथ जाया करते थे। उनका इस तरह से बिछोह हो जाना हम सबके लिए आहत करने वाला है। वर्षों पूर्व उन्होने कोसी (मथुरा ) में एक रेडियो श्रोता संघ बनाया था, जिसके माध्यम से वे आकाशवाणी मथुरा-वृन्दावन से प्रसारित होने वाले आपके पत्र, मनभावन, नवरंग कार्यक्रमों में नियमित रूप से अपने पत्र ( पोस्टकार्ड) भेजा करते थे। उसके बाद एक श्रेष्ठ कथाकार के रूप में आकाशवाणी मथुरा से जुड़ गये। जब भी रिकार्डिंग को आया करते थे हम लोग “नटवर“ अथवा “चाची“ की दुकान पर बैठ कर चायपान किया करते थे. वे हमारी दृष्टि में मिलनसार, विचारवान और संदेश परक कहानियों के सच्चे संवाहक थे।
वरिष्ठ पत्रकार नरेन्द्र भारद्वाज ने दुःख व्यक्त करते हुए कहा कि एक स्तम्भकार का अचानक ही अनंत गति को प्राप्त हो जाना विचलित करने वाला है, साहित्य के प्रति उनके अतुलनीय योगदान को कभी भुलाया नही जा सकता है।
आकाशवाणी मथुरा के यतीन्द्र चतुर्वेदी जी ने कहा कि दुखद समाचार, अप्रत्याशित है अस्सी के दशक से हमारे प्रिय मित्र कथाकार रहे कई कार्यक्रमों में साथ-साथ काम किया।
वरिष्ठ पत्रकार अमर उजाला के प्रभारी रहे श्री चन्द्र प्रताप सिंह सिकरवार ने दुःख व्यक्त करते हुए कहा कि इनकी साहित्य सेवाएं भुलायी नहीं जा सकती। ब्रज के बड़े लेखक थे। चंचल जी ने ब्रज के कई महान लोगों की जीवनी लिखी थी।
सुश्री विष्णुप्रिया पाण्डेय संगीताचार्य नृत्य शिक्षिका वेणुनाद कलाकेन्द्र, श्रीधाम वृन्दावन ने ब्रजगोपाल राय चंचल के विषय में कहा कि मैंने एक भाई को खो दिया है वह एक अच्छे लेखक, साहित्यकार, कलाकार व पत्रकार थे उन्होंने ब्रज के लिए काफी काम किया है उनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकता है।
भाजपा के वरिष्ठ नेता उदयन शर्मा ने कहा कि मुझे अत्यंत दुःखद हुआ है हमने एक महान मित्र को खो दिया।
वृन्दावन के पद्मश्री कृष्णा कन्हाई ने भी दुःख व्यक्त करते हुए कहा कि चंचल जी बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे मेरे परम मित्र थे, कई वर्षो से वह मेरे बहुत करीब थे। साहित्य के जगत में उनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकेगा।
वृन्दावन से प्रख्यात ओडिशी नृत्यांगना श्रीमती कुंजलता मिश्रा ने भी श्री ब्रजगोपाल राय चंचल जी के आकस्मिक निधन पर गहरा दुःख व्यक्त किया है, उन्होंने ब्रज के इतिहास, धार्मिक व छप्पनभोग की परम्परा के विषय मे विस्तार से लिखा है उन्होंने ब्रज के लिए अच्छा खासा काम किया है, उनके योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता है, वह हमेशा-हमेशा हमारे बीच ही साहित्य व लेखन के जरिये जीवंत रहेंगे।
चंचल जी के निधन पर पत्रकारों ने शोक जताया
वरिष्ठ साहित्यकार, लेखक, कलाकार व पत्रकार सहित विभिन्न प्रतिभाओं के धनी बृजगोपाल रॉय “चंचल“ आकस्मिक निधन से साहित्यिक जगत को महान क्षति हुई है। उनके निधन पर बृज पत्रकार संघ के आजाद मार्केट स्थित कार्यालय पर एक शोकसभा का आयोजन किया गया जिसमें वरिष्ट पत्रकार बी. एस. शर्मा “उपन“, नरेंद्र एम. चतुर्वेदी, सुनील शर्मा दादा, डॉ. सी.के.उपमन्यु, ठा. सोहन सिंह, गणेश माहौर, करन राजपूत, अखिलेश मिश्रा, आलोक तिवारी, संजय शर्मा, इंजी. दीपांश गौड़, महेश मीणा व एड. रिजवान अहमद, सहित दर्जनों लोग मौजूद रहे।
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