आज देश अपना 76वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है। सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन द्वारा आयोजित स्वतंत्रता दिवस समारोह में सोमवार को कानून मंत्री किरण रिजिजू ने भी हिस्सा लिया। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायधीश एन. वी. रमना की उपस्थिति में केंद्रीय मंत्री ने कहा कि संसद में उनसे देश के न्यायालयों में लंबित मामलों और कोर्ट द्वारा फैसले में देरी को लेकर सवाल पूछे जाते हैं, लेकिन मैंने कभी भी ‘लक्ष्मण रेखा’ लांघने की कोशिश नहीं की। उन्होंने कहा एक कानून मंत्री के रूप में हमेशा कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच एक सेतु की भूमिका निभाएंगे।
लंबित केस के मामले में मुझसे पूछे जाते हैं सवाल: रिजिजू
इस कार्यक्रम में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, एससीबीए अध्यक्ष विकास सिंह, सुप्रीम कोर्ट के जज और बार के सदस्य भी शामिल हुए। रिजिजू ने कहा कि संसद में कई सांसद उनसे सवाल करते हैं, ‘मामले क्यों लंबित हैं और न्याय देने में देरी क्यों हो रही है?’
उन्होंने आगे कहा, ‘ऐसे सवालों पर जवाब देनें में मैं असहाय महसूस करता हूं, मैं निश्चित शब्दों में जवाब नहीं दे सकता…’
उन्होंने कहा कि यह कहना बहुत आसान है कि विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका को ऐसा करना चाहिए और वैसा करना चाहिए और किस तरह न्यायपालिका दो साल में लंबित मामलों को समाप्त कर सकती है। उन्होंने कहा कि कार्यपालिका की बड़ी जिम्मेदारी है और सरकार की सक्रिय भूमिका के बिना न्यायपालिका के लिए सही ढंग से काम कर पाना मुश्किल है।
भारत कई मायने में एक खास देश है: कानून मंत्री
उन्होंने 2047 में स्वतंत्रता के 100 साल पूरे होने का हवाला देते हुए कहा कि देश के तीन अंगों- न्यायपालिका, विधायिका और कार्यपालिका को एक साथ मिलकर काम करने की जरुरत है। रिजिजू ने आगे कहा कि संवैधानिक पद पर आसीन व्यक्ति अगर अपनी स्वतंत्रता के साथ-साथ अपने अधिकार की रक्षा की बात करते हैं तो इसमें कुछ गलत नहीं है लेकिन दूसरे पक्ष की भी बात सुनना बेहद जरुरी है। कानून मंत्री ने कहा, ‘भारत कई मायने में एक खास देश है इसलिए यहां की चुनौतियों भी अनोखी है। एक दिन में भारत के जज 40-50 मामलों का निपटारा कर रहे हैं जोकि दूसरे देश में यह संभव नहीं है।’
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