तनाव दूर करने के साथ अनेक विकारों को दूर करता है चंद्र नमस्‍कार

तनाव दूर करने के साथ अनेक विकारों को दूर करता है चंद्र नमस्‍कार

HEALTH


आपने सूर्य नमस्कार और उसके फायदों के बारे में सुना-पढ़ा होगा, लेकिन क्या आप चंद्र नमस्कार के बारे में जानते हैं? योग में चंद्र नमस्कार का भी बहुत महत्व है। चंद्र नमस्कार हमारे शरीर को ठंडा रखता है। सूर्य नमस्कार में जहां 12 पोज होते हैं, वहीं चंद्र नमस्कार में 14 पोज होते हैं। इसमें किया जाना वाला हर एक आसनआपके शरीर की अलग-अलग नाड़ियों पर काम करता है। चंद्र नमस्कार में सांसों का बहुत महत्व है।
चंद्र आसन के फायदे
इस आसन को करने से चंद्र ऊर्जा का सही दिशा में इस्तेमाल होता है। इससे आपकी पीठ मजबूत होती है। रक्त संचार को बेहतर कर के यह मानसिक शांति प्रदान करता है। आपकी रीढ़ की हड्डी को स्ट्रेच करता है। आपके पैरों, हाथों, पीठ और पेट की मसल्स को मजबूत बनाता है। चंद्र नमस्कार को करने का सबसे सही समय रात्रि है। इस बात का ध्यान रहे कि यह आसान करते समय आपका पेट खाली हो या आपको खाए हुए 3-4 घंटे हो गए हों।
चंद्र नमस्कार करने का तरीका
प्रणामासन: सबसे पहले मैट के ऊपर सीधे खड़े हो जाएं। अब आगे की ओर देखते हुए अपने दोनों हाथों को नमस्कार की स्तिथि में जोड़ लें। हथेलियों को अपनी छाती के केंद्र में रखें। आपकी जांघें सटी हों तो पैरों के बीच थोड़ी दूरी रखें।
हस्त उत्तानासन
अब सांस को अंदर लेते हुए दोनों हाथों को धीरे-धीरे सिर के ऊपर लें और हाथों को जोड़ कर रखें। अब इसी पोज में दोनों हाथों को जितना हो सके पीछे ले जाकर पीछे की ओर झुकें। शुरुआत में आपसे जितना हो उतना ही करें।
उत्तानासन
अब इसके चौथे पोज को करने के लिए आप पिछले आसन से बहार आएं ओर सीधे खड़े हो जाएं। इसके बाद अपनी कमर से आगे की ओर झुकें। दोनों पैरों को सीधा रखें और हथेलियों को जमीन पर रख कर सिर को घुटनों से लगाएं। ध्यान रहे, आपसे पूरा न हो तो जितना झुका जाए, उतना ही झुकें।
अश्व संचालन आसन
इस चरण में बाएं पैर को आगे बढ़ाते हुए घुटने से मोड़ कर नीचे बैठें और दाएं पैर को 90 डिग्री के कोण में पीछे रखें। अब अपने हाथों को ऊपर उठाते हुए कमर के ऊपर के भाग को पीछे की ओर झुका लें।
अर्ध चंद्रासन
अब अपने दाएं पैर को आगे बढ़ते हुए घुटने से मोड़ कर नीचे बैठ जाएं। अपने बाएं पैर को पीछे रखें। इसके बाद अपने सिर को ओर हाथों जोड़ते हुए पीछे की ओर झुकाएं।
पर्वतासन
इस आसन को करने के लिए आप वापस सीधे खड़े हो जाएं। इसके बाद कमर से ऊपर के भाग को आगे की ओर मोड़ें और हथेलियां जमीन पर रखें। अब दोनों पैरों को पीछे ले जाएं और पहाड़ की तरह पोज बना लें। आपके दोनों पैर सीधे रहने चाहिए।
अष्टांग नमस्कार
इस आसन को करने के लिए घुटने टेककर बैठ जाएं और फिर दोनों हाथों को फर्श पर रख कर आगे की ओर झुकें। अब अपने सिर को भी सीधा कर के फर्श पर रखें। आपके हाथ कंधे के पास जमीन पर होने चाहिए। अपने कूल्हों, घुटनों, पैरों की उँगलियों को ऊपर रखें।
भुजंगासन
इस आसन को करने के लिए मैट पर पेट के बल सीधे लेट जाएं। अब अपने दोनों हाथों को कंधों से थोड़ा आगे फर्श पर रखें। अब हाथों पर जोर डालते हुए अपनी छाती को ऊपर उठाएं। कमर से नीचे का हिस्सा ऊपर नहीं उठना चाहिए।
पर्वतासन आसन
इस आसन को करने के लिए सीधे खड़े हो जाएं। इसके बाद कमर के नीचे के भाग से आगे की ओर झुकें। दोनों हाथों को जमीन पर रखें और पैरों को पीछे कर के पहाड़ की तरह पोज बना लें। आपके पैर पूरी तरह से सीधे होने चाहिए। ऊपर का धड़ सीधा रखें।
अश्व संचालन आसन
इस चरण में बाएं पैर को आगे बढ़ाते हुए घुटने से मोड़ कर नीचे बैठें और दाएं पैर को 90 डिग्री के कोण में पीछे रखें। अब अपने हाथों को ऊपर उठाते हुए कमर के ऊपर के भाग को पीछे की ओर झुका लें
अर्ध चंद्रासन
अब अपने दाएं पैर को आगे बढ़ते हुए घुटने से मोड़ कर नीचे बैठ जाएं। अपने बाएं पैर को पीछे रखें। इसके बाद अपने सिर को और हाथों जोड़ते हुए पीछे की ओर झुकाएं।
उत्तानासन
सबसे पहले सीधे खड़े हो जाएं। इसके बाद अपनी कमर से आगे की ओर झुकें। दोनों प्यारों को सीधा रखें ओर हथेलियों को जमीन पर रख कर सिर को घुटनों से लगाएं। ध्यान रहे, आपसे पूरा न हो तो जितना झुका जाए, उतना ही करें।
हस्त उत्तानासन
सांस को अंदर लेते हुए दोनों हाथों को धीरे-धीरे सिर के ऊपर लें ओर हाथों को जोड़ कर रखें। अब इसी पोज में दोनों हाथों को जितना हो सके पीछे ले जाकर पीछे की ओर झुकें। शुरुआत में आपसे जितना हो उतना ही करें।
प्रणामासन
सबसे पहले मैट के ऊपर सीधे खड़े हो जाएं। अब आगे की ओर देखते हुए अपने दोनों हाथों को नमस्कार की स्तिथि में जोड़ लें। हथेलियों को अपनी छाती के केंद्र में रखें। आपकी जांघें सटी हों, तो पैरों के बीच थोड़ी दूरी रखें।
-एजेंसियां

Dr. Bhanu Pratap Singh