महाराष्ट्र की सियासत में राज ठाकरे के दोबारा एक्टिव होने की वजह से शिवसेना की मुश्किलें बढ़ती हुई नजर आ रही हैं। आलम यह है कि हिंदुत्व के मुद्दे को लेकर कहीं राज ठाकरे और बीजेपी, शिवसेना पर हावी ना हो जाएं। इस बात को भी लेकर एक भय का माहौल पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं के बीच में है क्योंकि राज ठाकरे बिल्कुल उसी राह पर चल रहे हैं, जिस पर कभी शिवसेना चलकर इस मुकाम तक पहुंची है। ऐसे में शिवसेना इतने सालों की मेहनत को यूं ही बर्बाद नहीं होने देना चाहती है। शिवसेना की घबराहट का अंदाजा इस बात से भी लगता है कि हाल में 13 विपक्षी लीडरों की तरफ से केंद्र को लिखे एक पत्र में उद्धव ठाकरे के हस्ताक्षर नहीं थे। यह पत्र महाराष्ट्र में लाउडस्पीकर के मुद्दे की वजह से शुरू हुए विवाद के बाद हुई हिंसा की घटनाओं के संदर्भ में था। शिवसेना को लगता है कि अगर इस बाबत उन्होंने ऐसी कोई भूमिका अपनाई तो उनका परंपरागत वोट बैंक उनसे अलग हो सकता है। आगामी बीएमसी चुनाव या फिर अन्य चुनावों के मद्देनजर शिवसेना ऐसा जोखिम नहीं लेना चाहती है।
बढ़ रही हैं बीजेपी एमएनएस की नजदीकियां
बीजेपी और एमएनएस की नज़दीकियों का सिलसिला कई साल पुराना है। आज से तकरीबन आठ से दस साल पहले दक्षिण मुंबई के एक पांच सितारा होटल में भी मौजूदा केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और राज ठाकरे के बीच कई दौर की मुलाकात हुई थी। उस समय भी यह कहा जा रहा था कि बीजेपी और एमएनएस का गठबंधन हो सकता है। हालांकि तब ऐसा कुछ भी नहीं हुआ था। उस समय भी शिवसेना और बीजेपी के रिश्तों में मिठास कम हो रही थी। अब जब शिवसेना, बीजेपी से अलग होकर महाविकास अघाड़ी का हिस्सा बन चुकी है। तब एमएनएस के लिए बीजेपी के साथ जुड़ना काफी आसान हो चुका है। हालांकि इस बात की अभी तक औपचारिक घोषणा नहीं की गई है। लेकिन जिस तरह के हालात बनते हुए नजर आ रहे हैं उससे यह लगता है कि भविष्य में यह गठबंधन हो सकता है।
एमएनएस से बीजेपी को क्या खतरा
बीते दिनों के घटनाक्रम पर अगर हम नजर डालें तो यह पता चलता है कि महाराष्ट्र बीजेपी के कई नेताओं ने राज ठाकरे के नए घर पर जाकर उनसे मुलाकात की है। हालांकि हर नेता ने इस मुलाकात को एक निजी आमंत्रण बताया है। इस फेहरिस्त में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, महाराष्ट्र बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रकांत पाटील समेत कई नेता शामिल हैं। चंद्रकांत पाटील ने मुलाकात के बाद मीडिया के सामने यह बात कही थी कि राज ठाकरे के साथ गठबंधन में कोई दिक्कत नहीं। लेकिन उन्हें सबसे पहले अपना ‘एंटी नार्थ इंडियन स्टैंड’ खत्म करना होगा। उसके बाद ही इस विषय पर विचार किया जा सकता है।
बीजेपी इस बात को भली भांति जानती है कि राज ठाकरे को अपने आप से जोड़ना मतलब उत्तर भारतीय वोटों से हाथ धोने के बराबर है। ऐसे में बीजेपी सबसे पहले उनके नाम पर लगे धब्बे को मिटाना चाहती है। बीजेपी नेताओं की मुलाकात के बाद राज ठाकरे के कार्यक्रम में भी कई परिवर्तन देखने को मिले हैं। मराठी मानुस की बात करने वाले राज ठाकरे अब हिंदुत्व की बात करने लगे हैं। उत्तर भारतीयों के खिलाफ नफरत की आग उगलने वाले राज ठाकरे बीते दिनों उत्तर भारतीयों के कार्यक्रम में भी नजर आए थे। यह कुछ ऐसे संकेत हैं जिनसे यह पता चलता है कि आने वाले भविष्य में महाराष्ट्र की सियासत में बीजेपी और मनसे का गठबंधन हो सकता है।
शिवसेना पर हिंदुत्व छोड़ने का आरोप
जब से महाराष्ट्र में शिवसेना ने एनसीपी और कांग्रेस के साथ मिलकर महाविकास अघाड़ी सरकार की स्थापना की है तब से लगातार बीजेपी ने शिवसेना को हिंदू विरोधी पार्टी बताने का पूरा प्रयास किया है। बीजेपी ने हर उस मौके को भुनाया है जिसमें वह शिवसेना और मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को निशाना बना सकें। साथ ही यह साबित कर सकें कि उद्धव ठाकरे ने बीजेपी की पीठ में खंजर घोंपा है और उनके साथ धोखा किया है। बीजेपी अपने हथकंडे में काफी हद तक कामयाब भी होती हुए नजर आ रही है। शिवसेना भी बात को बखूबी समझती है कि अगर बीजेपी और एमएनएस का गठबंधन हुआ तो उसका सबसे ज्यादा खामियाजा उसे उठाना पड़ेगा। ऐसे में हिंदुत्व को छोड़ना शिवसेना के लिए संभव नहीं है लेकिन महाविकास अघाड़ी सरकार के साथ रहते हुए कट्टर हिंदुत्व की बात कर पाना भी असंभव सी बात है। फिलहाल शिवसेना उस जगह पर खड़ी है जहां एक तरफ खाई है तो दूसरी तरफ कुआं।
-एजेंसियां
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