आगरा: आगरा में आयोजित तीन दिवसीय चतुर्थ राष्ट्रीय प्राकृत संगोष्ठी का समापन जैन आगम स्थानाङ्गसूत्र पर गहन चर्चा के साथ हुआ। महावीर भवन, जैन स्थानक, न्यू राजा की मंडी कॉलोनी में सुबह 9.30 बजे से शुरू हुए अंतिम दिन के सत्रों में प्राकृत भाषा और जैन दर्शन के विद्वानों ने अपने विचार और शोधपत्र प्रस्तुत किए।
संगोष्ठी के आठवें सत्र में प्राकृत भाषा के विद्वानों ने विभिन्न विषयों पर अपने विचार प्राकृत में व्यक्त किए। इसके बाद नवम सत्र में मोहन पांडे, श्रेणु जैन, नीरू जैन, डॉ. प्रीति रानी, लिना जैन, विवेक जैन और कमल जैन जैसे विद्वानों ने अपने शोधपत्र प्रस्तुत किए, जिन्होंने श्रोताओं को प्राकृत भाषा और जैन दर्शन के विभिन्न पहलुओं से अवगत कराया।
संगोष्ठी का समापन दसवें सत्र में हुआ। इस सत्र में श्री एम चंद्रशेखर जी ने कृतज्ञता ज्ञापन किया। इसके अलावा, श्रुत रत्नाकर के निर्देशक श्री जीतूभाई और बहुश्रुत मुनि श्री जयमुनि जी ने सभी प्रतिभागियों और आयोजकों का आभार व्यक्त किया, जिसके बाद इस ज्ञानवर्धक संगोष्ठी का समापन हुआ।
इस संगोष्ठी ने न केवल प्राकृत भाषा और जैन दर्शन के विद्वानों को एक मंच प्रदान किया, बल्कि यह आत्मशुद्धि, ज्ञान और साधना का भी एक महत्वपूर्ण अवसर था। प्रतिभागियों ने स्थानाङ्गसूत्र की गूढ़ता को समझने और उसे अपने जीवन में उतारने के लिए बहुत कुछ सीखा। इस सफल आयोजन ने प्राकृत भाषा और जैन दर्शन के प्रचार-प्रसार में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
संगोष्ठी के समापन से पूर्व एस एस जैन ट्रस्ट के मंत्री राजेश सकलेचा,सह मंत्री अनिल जैन, मीडिया समन्वयक विवेक कुमार जैन सहित संगोष्ठी कार्य में जुड़े सभी व्यक्तियों का बहुमान शॉल और माला के द्वारा बहुश्रुत संस्था अहमदाबाद के संसंस्थापक जितेन्द्र भाई शाह, पूज्य जय मुनि जी के सांसारिक भाई रविन्द्र जैन और अन्य पदाधिकारियों द्वारा किया गया ।
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