आगरा। आगरा में दो सगी बहनों का धर्मांतरण कराने वाले गैंग के सरगना अब्दुल रहमान और मुख्य सदस्यों के झारखंड में आतंकवादियों से कनेक्शन के बारे में तो अब खुलासा हुआ है। आगरा पुलिस की पूछताछ में इससे पहले यह सनसनीखेज खुलासा भी हुआ था कि गैंग के सरगना अब्दुल रहमान को 26 नवंबर 2008 के मुंबई आतंकी हमलों के बारे में पहले से जानकारी थी। यह जानकारी सामने आते ही उस समय इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) ने उससे आगरा में विस्तार से पूछताछ भी की थी।
धर्मांतरण के मामले में जांच कर रही आगरा पुलिस को हाल में अब्दुल रहमान और उसके गैंग के दूसरे प्रमुख साथियों के झारखंड में पकड़े गये चार आतंकियों से लिंक होने का पता चला है। इसी साल अप्रैल के महीने में झारखंड पुलिस ने हिज्ब उत तहरीर नाम के आतंकी संगठन से ताल्लुक रखने वाले अयान जावेद, उसकी बेगम शबनम परवीन, मोहम्मद शहजाद आलम और फैयाज हुसैन को पकड़ा था।
आगरा पुलिस को इन आतंकियों से अब्दुल रहमान के सम्पर्कों का पता तब चला जब वह धर्मांतरण के आरोपियों के मोबाइल डाटा की जांच कर रही थी। अब आगरा पुलिस इन आतंकियों से सम्पर्क के आधार पर धर्मांतरण के मुकदमे में आतंकवाद की धारा 113 बीएनएस भी जोड़ने की तैयारी में है। हालांकि इससे पहले आगरा पुलिस पुख्ता साक्ष्य जुटा रही है।
अब्दुल रहमान को मुंबई के आतंकी हमलों के बारे में जानकारी थी, इसका खुलासा आगरा के पुलिस कमिश्नर दीपक कुमार ने किया। पुलिस आयुक्त के मुताबिक, अब्दुल रहमान से हुई पूछताछ में उसके 26/11 से जुड़ी पूर्व जानकारी का पहलू सामने आते ही सभी हैरान रह गए थे। यह स्पष्ट नहीं है कि वह हमलों में सक्रिय रूप से शामिल था या नहीं, लेकिन पहले से जानकारी होना गंभीर संकेत था। इसी कोण पर आईबी ने अपनी पड़ताल की। पुलिस आयुक्त ने बताया कि आगरा पुलिस ने इस बारे में मुंबई पुलिस को भी जानकारी भेज दी थी।
इस खुलासे के बाद आईबी ने अब्दुल रहमान के बयान लिए थे। अब एजेंसी का फोकस यह पता करने पर रहेगा कि 26/11 के बारे में उसे सूचना कहां से और किस चैनल से मिली? क्या वह किसी मॉड्यूल के संपर्क में था? उस समय उसकी गतिविधियां और कॉन्टेक्ट्स किन-किन इलाकों/व्यक्तियों तक फैले हुए थे?
बता दें कि अब्दुल रहमान का वर्तमान ठिकाना दिल्ली में था, लेकिन वह लंबे समय तक मुंबई में रहा। गांव रजावली (जिला फिरोजाबाद) को वह करीब 35 साल पहले छोड़कर पहले कन्नौज गया और बाद में मुंबई पहुंचा। मुंबई में ही उसने धर्मांतरण कर इस्लाम स्वीकार किया। 26 नवंबर 2008 के आतंकी हमलों के दौरान भी वह मुंबई में ही रह रहा था। अब एजेंसियां उसके उस दौर के मोवमेंट्स और संपर्कों की सूक्ष्म छानबीन कर सकती हैं।
आईबी और पुलिस ने रिमांड अवधि के दौरान अब्दुल रहमान की कॉल डिटेल्स, लोकेशन हिस्ट्री, पुराने परिचितों, संभावित फाइनेंशियल ट्रेल और डिजिटल फुटप्रिंट की तहकीकात की थी। प्राथमिकता पर अब यह भी जांचा जा सकता है कि 26/11 की पूर्व जानकारी सिर्फ कहानी थी या उसके पीछे कंक्रीट सोर्स छिपा है।
ज्ञातव्य है कि अब्दुल रहमान आगरा में दो सगी बहनों का धर्मांतरण कराने वाले गिरोह का कथित सरगना है। इस नेटवर्क के तरीके-ए-कारोबार, टारगेटिंग और फंडिंग की जांच आगरा पुलिस पहले से ही कर रही है। आईबी और पुलिस की साझा पड़ताल अब इस पूरे सिंडिकेट के लिंक्स और सपोर्ट-मैकेनिज़्म तक पहुंचने की कोशिश कर रही है।
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