लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव मंझनपुर से विधायक इंद्रजीत सरोज ने मंदिरों की भूमिका और प्राचीन ग्रंथों में कथित जाति-आधारित भेदभाव के बारे में टिप्पणी करके विवाद खड़ा कर दिया है। कौशाम्बी में सपा कार्यालय में आंबेडकर जयंती के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में बोलते हुए सरोज ने मंदिरों की आध्यात्मिक शक्ति पर सवाल उठाया और आक्रमणकारियों के खिलाफ उनकी कथित कमजोर ताकत को इससे जोड़ा।
इंद्रजीत सरोज ने कहा कि अगर भारत के मंदिरों में शक्ति होती तो मुहम्मद-बिन-कासिम नहीं आता, महमूद गजनवी नहीं आता, मुहम्मद गौरी आकर इस देश को नहीं लूटता, इसका मतलब है कि मंदिरों में कोई शक्ति नहीं थी। सरोज ने कहा कि असली शक्ति सत्ता के मंदिर में है, जहां बाबा लोग सत्ता का आनंद ले रहे हैं, राम का नारा लगाने से कुछ नहीं होगा, जय भीम का नारा लगाइए तो आप आगे बढ़ेंगे।
इंद्रजीत सरोज ने तुलसीदास पर भी हमला किया और कहा कि तथाकथित नकली हिंदुओं के खिलाफ इतना कुछ लिखा, लेकिन मुसलमानों के बारे में उन्होंने कुछ अच्छा या बुरा क्यों नहीं लिखा, उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए था, मुगल काल में उनमें हिम्मत नहीं थी, हमारे लिए उन्होंने बहुत सारी नकारात्मक बातें लिखीं और हम उन्हें पढ़ते रहते हैं।
इंद्रजीत सरोज ने उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था की स्थिति पर भी निशाना साधा और व्यापक अन्याय और अत्याचार का आरोप लगाया। सरोज ने रामजी लाल सुमन के मामले और करछना में एक दलित व्यक्ति की हत्या सहित कई मुद्दों से निपटने की आलोचना की। सरोज ने कहा कि यूपी में कोई कानून व्यवस्था नहीं है, हम बड़े पैमाने पर अन्याय और अत्याचार देख रहे हैं।
बसपा मुखिया मायावती पर निशाना साधते हुए इंद्रजीत सरोज ने कहा कि करछना में चमार बिरादरी के युवक को ज़िंदा जला दिया गया, लेकिन मायावती नहीं आईं, उन्होंने समाज को बर्बाद कर दिया है। सरोज ने मायावती पर भाजपा के साथ गठबंधन करने का आरोप लगाया। सरोज ने दावा किया कि मायावती ने बीजेपी के सामने सरेंडर कर दिया है, वह अब बीजेपी की सहयोगी मात्र रह गई हैं।
सरकार पर निशाना साधते हुए इंद्रजीत सरोज ने कहा कि करणी सेना को खुली छूट है, वे समाजवादी नेताओं को गालियां देते हैं, लेकिन उन पर कोई मुकदमा दर्ज नहीं होता, हमारे समाज का गरीब अपनी बेटियां बेच रहा है, उनके पास शादी कराने तक के पैसे नहीं हैं।
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