-दो दशक पहले तक इन दोनों नदियों में साल भर रहती थी जलराशि, अब ये अधिकांश समय सूखी पड़ी रहती हैं
-उटंगन का पानी करौली के पांचना बांध और खारी नदी का जल भरतपुर के अजान बांध पर रोक लिया गया है
-आगरा की जल संचय संरचनायें निष्प्रयोज्य पड़ी हुई हैं, टीटीजेड क्षेत्र में धूल नियंत्रण को सरकार करे विमर्श
-यूपी के सिंचाई विभाग ने शासन को इसकी रिपोर्ट तक नहीं भेजी है, जनप्रतिनिधियों ने भी नहीं उठाई आवाज
आगरा। ज्यादा लम्बा वक्त नहीं हुआ है। दो दशक पहले तक आगरा में उटंगन और खारी नदी में साल पर जलराशि रहती थी। आज स्थिति यह है कि मार्च की शुरुआत में ही ये दोनों नदी जल शून्य की स्थिति में पहुंच चुकी हैं। वजह यह है कि इन दोनों नदियों का पानी राजस्थान में रोक लिया गया है। इस बारे में न तो यूपी सरकार ने आपत्ति की है और न स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने इस ओर आवाज उठाई है।
ताज ट्रिपेजियम जोन प्राधिकरण के तहत भरतपुर का केवलादेव राष्ट्रीय पक्षी अभ्यारण्य और उसके आसपास का भाग भी आता है। सुप्रीम कोर्ट के द्वारा गठित इस निकाय और अंतरराज्यीय जल स्रोतों के प्रबंधन संबंधी नीति को राजस्थान सरकार ने पूरी तरह से नजरअंदाज कर रखा है।
राजस्थान के सिंचाई विभाग ने जल प्रबंधन कार्य की जो योजनायें बनाई हुई हैं, उनके कारण आगरा जनपद की उटंगन और किरावली की गंगा के नाम से पहचान रखने वाली खारी नदी जल शून्य स्थिति में पहुंच चुकी हैं। इन नदियों का पूरा पानी इनकी भंडारण संरचनाओं खनुआ बांध और तेरह मोरी तक पहुंचने से रोक रखा गया है।
नियमित जलयुक्त रहती थीं दोनों नदियां
खारी और उटंगन नदियों की जल शून्यता को लेकर जब भी मुद्दा उठाया जाता है, उनके मानसून कालीन होने की बात कहकर मामले को ठंडा कर दिया जाता है, जबकि ये नियमित जलयुक्त रहने वाली नदियां है और विंध्य पहाड़ी श्रृंखला की करौली जनपद (राजस्थान) की जलधाराओं से पोषित हैं। यह सही है कि मानसून काल में पूर्व में इनमें जल की प्रचुरता रहती थी किंतु दो दशक पूर्व तक इनमें प्रवाह शून्यता की स्थिति मई-जून में भी नहीं रही।
आगरा के आठ विकास खंड पानी से वंचित
भरतपुर में राजस्थान के सिंचाई विभाग ने इन नदियों के हैड रिजर्वायरों की भूमिका वाले खनुआ बांध (बाबन मोरा) और तेरह मोरी बांध तक पहुंचने वाले पानी को भारत सरकार की जल प्रबंधन में राज्यों की सहभागिता नीति को नजरअंदाज कर रोक लिया है। इस पानी को अपस्ट्रीम में ही राजस्थान सरकार के सिंचाई विभाग ने जब से डायवर्ट किया है, तब से आगरा जनपद के फतेहपुर सीकरी, अकोला, शमसाबाद, फतेहाबाद, जगनेर, खेरागढ, पिनाहट और बाह विकास खंडों के जलभित्ति तंत्र जल शून्यता की स्थिति में पहुंच चुके हैं। पिछले 7-8 साल से तो इन क्षेत्रों के गांवों में हैंडपंप का उपयोग बीते दिनों की सुनहरी यादें बन चुका है।
यूपी का हित अनदेखा कर दिया राजस्थान ने
उटंगन नदी जो कि राजस्थान में बाबन मोरा (खानुआ बांध) होकर आगरा में आती है, का पानी हिंडौन (करौली जनपद) में बने पांचना बांध पर रोक लिया गया है, जबकि खारी नदी का पानी भरतपुर के अजान बांध पर रोक लिया गया है।
इसी बांध की राजा ब्रिजेन्द्र सिंह मोरी से खारी नदी शुरू होती है। फतेहपुर सीकरी की पहाड़ियों के बीच से होकर तेरह मोरी बांध जलाशय को पानी से लबालब करने के बाद यह नदी किरावली की ओर बढ जाती है। वर्तमान में ब्रिजेन्द्र सिंह मोरी के गेट ग्रिल नेट लगाकर सील कर दिए गए हैं। यूपी के हित का ध्यान रखे बिना बांध का पूरा पानी घना पक्षी अभ्यारण डायवर्ट कर दिया जाता है।
राणा सांगा स्मारक की परिकल्पना के विपरीत
राणा सांगा स्मारक राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे के कार्यकाल में बनाया गया था। खानुआ बांध इसकी पृष्ठभूमि में था। राजा मेदनी राय, राणा सांगा, हसन खां मेवाती की प्रतिमाओं से युक्त इस स्मारक का अनावरण करने के दौरान वसुंधरा राजे ने कहा था कि खानुआ बांध में रहने वाला पानी यहां आने वाले भ्रमणार्थियों के लिए विशेष आकर्षण होगा। यूपी के सिरौली में उटंगन नदी के हेड रेगुलेटर हैं। वहीं वोकोली गांव पर एस्केप है, जिससे कि एक नहर भी निकलती है। बताते है कि बांध अगर सही प्रकार से प्रबंधित हो तो इसका जल विस्तार क्षेत्र लगभग 26 वर्ग किलोमीटर का है।
खानुआ बांध के जलयुक्त होने से पर्यावरण सुधरेगा
फतेहपुर सीकरी विकास खंड के डाबर गांव के पूर्व प्रधान और भाजपा नेता धर्म सिंह माहुरा बताते हैं कि खानुआ बांध के डिस्चार्ज का उटंगन नदी के प्रवाह में तो योगदान रहता ही था, इससे भी ज्यादा भूमिका राजस्थान से आने वाली धूल भरी आंधियों के धूल कणों को आगरा में पहुंचने से थामने में थी। उन्होंने कहा कि खानुआ बांध का जलयुक्त होना टीटीजेड अथॉरिटी के प्रोजेक्ट के एक अनुकूल और सबसे महत्वपूर्ण कदम होगा।
यूपी के सिंचाई विभाग की रही भारी लापरवाही
उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से अब तक कभी भी राजस्थान सरकार के द्वारा अंतरराज्यीय नदियों के जल उपयोग में साझेदारी की नीति को अनदेखा किये जाने को लेकर न तो विरोध जताया गया है और न ही अपने हक का पानी मांगा गया है। दरअसल सिंचाई विभाग की ओर से अब तक शासन को उटंगन और खारी नदियों में पानी पहुंचना बंद होने से संबंधित आधिकारिक डॉक्यूमेंट ही उपलब्ध नहीं करवाया गया है। केवल पानी की कमी की बात ही प्रचारित की जाती रही है, जिसके फलस्वरूप जनपद के जनप्रतिनिधि शासन के माध्यम से कभी गंगा केनाल सिस्टम की नहरों का पानी मांगते रहे हैं और कभी चम्बल नदी का।
खानुआ और तेरहमोरी बांध वर्तमान में जल शून्य
खानुआ और तेरह मोरी बांध आगरा जनपद की उटंगन और खारी नदियों के हेड रेगुलेटर वाले बांध होने के कारण तो महत्वपूर्ण हैं ही, इससे भी महत्वपूर्ण यह है कि ये सुप्रीम कोर्ट के द्वारा गठित ताज ट्रिपेजियम जोन अथॉरिटी के दायरे में आने वाले क्षेत्र की महत्वपूर्ण जल प्रबंधन और जल संचय से संबंधित संरचनायें हैं। राजस्थान सरकार ने इन बांधों को जल शून्य कर दिये जाने की योजनाओं को बिना ताज ट्रिपेजियम जोन अथॉरिटी की अनुमति के ही अंजाम दे डाला है। नदियों और बांधों में जल शून्यता की स्थिति बने रहने से ताजमहल के एरियल कवर के पर्यावरण पर जहां प्रतिकूल असर पडा है, वहीं धूल कणों की मात्रा भी बढी है।
गोवर्धन ड्रेन का पानी भी घना में डायवर्ट
जब से घना पक्षी विहार का प्रबंधन वैट लैंड कांसेप्ट पर शुरू हुआ है, तब से सेंचुरी के जलाशयों की जल भंडारण क्षमता अति न्यून हो गई है और इनके लिए साल भर पानी की मांग बनी रहती है। परिणामस्वरूप आगरा को मानसून काल में भी परंपरागत स्रोतों से मिलने वाले पानी से भी वंचित हो जाना पड रहा है। कष्टकारी स्थिति यह है कि आगरा जनपद को सबसे ज्यादा जलराशि का योगदान देने वाले ‘गोवर्धन ड्रेन’ का 350 एमसीएफटी क्रॉस रेगुलेटर लगाकर घना पक्षी अभयारण्य डायवर्ट कर दिया गया है। अभ्यारण्य में पानी की डिमांड 550 एमसीएफटी होती है। इस प्रकार उटंगन और खारी नदी के जल शून्य हो जाने बाद अब गोवर्धन ड्रेन से भी जल दोहन शुरू हो चुका है।
ड्रोन मैपिंग तथ्य साक्ष्य के रूप में
ये सारी जानकारियां सिविल सोसायटी ऑफ़ आगरा के सेक्रेटरी अनिल शर्मा, सदस्य राजीव सक्सेना, डाबर ग्राम के पूर्व प्रधान धर्म सिंह माहुरा और एनवायरमेंट फोटोग्राफी के लिये विख्यात फोटोग्राफर ललित राजौरा ने व्यापक सर्वे कर जुटाई हैं। इस टीम ने फतेहपुरसीकरी क्षेत्र की जल संरचनाओं का भ्रमण कर यह आकलन किया कि टीटीजेड के तहत आने वाले बड़े क्षेत्र में रसातल में पहुंच चुके जलस्तर में सुधार के लिये क्या किया जाये।
फोटोग्राफर ललित राजौरा ने इसकी ड्रोन मैपिंग भी की है। इसकी एडिट कॉपी उपलब्ध होते ही सिविल सोसाइटी ऒफ आगरा जिला पंचायत अध्यक्ष डॉ. मंजू भदौरिया और जिलाधिकारी आगरा के समक्ष प्रस्तुत करेगी।
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