प्रो. एसपी सिंह बघेल ने नरेन्द्र मोदी और नितिन गडकरी का आभार जताया
Agra, Uttar Pradesh, India. केंद्रीय विधि एवं न्याय राज्यमंत्री प्रोफेसर एसपी सिंह बघेल के प्रयास सफलीभूत हुए। टेढ़ी बगिया से एटा तक नेशनल हाईवे बनेगा। इसकी लागत करीब 900 करोड़ रुपये है। खास बात यह है कि पूरा व्यय केन्द्र सरकार करेगी। लम्बाई करीब 70 किलोमीटर है।
केंद्रीय सड़क एवं परिवहन राज्य मंत्री नितिन गडकरी से विगत दिनों केन्द्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी से उनके कार्यालय में जाकर मुलाकात की। आगरा लोकसभा के विभिन्न प्रोजेक्ट्स के बारे में चर्चा की। आगरा-आंवलखेड़ा-जलेसर-निधौलीकला से एटा जीटी रोड तक 70 किलोमीटर सड़क निर्माण का कार्य स्वीकृत हो गया है। यह प्रोजेक्ट 900 करोड़ रुपये का है। इसका नंबर नेशनल हाईवे 311जी है।
प्रोफेसर बघेल ने बताया कि यह प्रोजेक्ट दो चरणों में पूरा होगा। पहले चरण में आगरा में टेढ़ी बगिया से लेकर 52 किलोमीटर लम्बा मार्ग है। इसकी लागत लगभग 500 करोड़ रुपये है। इसके लिए एनजीटी (राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण) एवं सुप्रीम कोर्ट से पर्यावरण की स्वीकृति ली जाएगी। दूसरा चरण 26 किलोमीटर का है, जिसकी लागत लगभग 418 करोड़ रुपये हैं। यह पूरा धन केंद्र सरकार द्वारा किया जाएगा।
उन्होंने बताया कि जलेसर एवं निधौली कला में बाईपास बनेगा। रेलवे लाइन पर उपरगामी सेतु (आरओबी) का निर्माण किया जाएगा। इसके अलावा हजारा नहर के ऊपर दो बड़े पुल बनाए जाएंगे। उन्होंने कहा कि आगरा लोकसभा की मांग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने पूरी की है। आगरा लोकसभा के मतदाताओं के लिए टेढ़ी बगिया से एटा तक नेशनल हाईवे देने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और नितिन गडकरी का आभार है।
नदी और इसके ऊपर बहती हजारा नहर देखकर आप भी आश्चर्य में पड़ जाएंगे। उत्कृष्ट निर्माण कला का ये नायाब नमूना देखने को मिलता है, कासगंज और एटा के बीच स्थित गांव नदरई में। वास्तव में ग्राम नदरई स्थित झाल का पुल है, जो ब्रिटिश शासनकाल की उत्कृष्ट निर्माण कला का ऐतिहासिक उदाहरण है। यह स्थान एटा और कासगंज के युवाओें के लिए पिकनिक स्पॉट से कम नहीं है। ब्रिटिश काल का यह पुल लगभग 130 वर्ष पुराना है। इस पुल का निर्माण सन् 1885 में शुरू हुआ था। चार वर्ष में इसका निर्माण तत्कालीन मुख्य अभियंता सिंचाई विभाग एनडब्लू पी एवं कर्नल डब्लू एएच ग्रेट हैंड के निर्देशन में पूरा हुआ। ग्राम छावनी में अंग्रेजी हुकूमत के दौरान स्थानीय मुख्यालय हुआ करता था। जहां जिला मजिस्ट्रेट की हैसियत एवं उसके नुमाइन्दे मय फौज के निवास करते थे। इस इलाके में जलापूर्ति का एक मात्र साधन काली नदी थी, जिससे क्षेत्र के किसानों एवं अन्य लोगों को जलापूर्ति का अभाव रहता था। जलाभाव से पीड़ित लोगों की मांग पर ही अंग्रेजी हुकूमत ने यहां हजारा नहर बनवाई।
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