आगरा। संत विजय कौशल महाराज ने श्रीराम कथा में विभीषण के लंका त्यागने और श्रीराम की शरण में आने तथा लक्ष्मण पर शक्ति प्रहार के प्रसंग का वर्णन किया। महाराज श्री ने कहा कि लात मारने पर भी व्यक्ति सत्ता का सुख छोड़ने को तैयार नहीं होता।
उन्होंने कहा कि पापी की लात खाकर भगवान की शरण में आया विभीषण, परन्तु जब हनुमान जी ने कहा, तब नहीं आया। इसीलिए विभीषण भगवान के पास तो आया, परन्तु विभीषण का सम्मान नहीं आया। हनुमान जी की बात मान कर आया होता तो स्वर्णाक्षर में नाम होता। सत्ता का विरोध बहुत विचित्र होता है। सदन का सम्मानित सदस्य होने पर सत्य और धर्म के प्रतीक श्रीराम का पक्ष लेने पर रावण ने विभीषण को लात मार कर निकाल दिया।
संत श्रीविजय कौशल जी महाराज ने आज मंगलमय परिवार द्वारा सीता धाम (कोठी मीना बाजार) में आयोजित श्रीराम कथा में रावण द्वारा विभीषण को लात मारकर लंका से बाहर निकालने का प्रसंग सुनाते हुए कहा कि जहां सुमति वहां सम्पत्ति नाना, जहां कुमति वहां विपत्ति निदाना…।
संतश्री ने कहा कि सभी व्यक्ति के मन में सुमति और कुमति दोनों बराबर होती हैं, परन्तु जहां सुमति होती है वहां सुख शांति और जहां कुमति है, वहां कलह और क्लेश होता है। नाना माल्यवंत और विभीषण के समझाने पर भी शास्त्रों का ज्ञाता रावण कुमति के कारण ही माता सीता को श्रीराम को लौटाने को तैयार नहीं था। विभीषण श्रीराम की शरण में आ गया।
रघुवर की सिया हर लाए, मति मारी गई रे भरतार… कीर्तन के माध्यम से मंदोदरी द्वारा रावण को सीता जी को लौटाने की मार्मिक प्रार्थना का वर्णन भी कथा व्यास ने किया।
अंगद द्वारा दूत बनकर लंका जाने की कथा की व्याख्या करते हुए संत विजय कौशल महाराज ने कहा कि भक्त के संकल्प में भगवान की शक्ति होती है, इसीलिए अंगद के पैर को लंका में कोई डिगा नहीं पाया। मुकुट सत्ता का प्रतीक है और सत्ता बहुत कमजोर होती है। इसीलिए अंगद ने रावण का मुकुट गिरने पर उसे लात मारकर सीधा सत्यनारायण के चरणों में भेज दिया। उन्होंने कहा कि रावण वह जो अपनी मनमानी करे।
इस अवसर पर मुख्य रूप से राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष बबिता चौहान, मधु बघेल, सलिल गोयल, खेमचंद गोयल, अतुल, संजय गुप्ता, मनोज गुप्ता, हेमन्त भोजवानी, मनोज गुप्ता, ओपी गोयल, विजय बंसल, निखिल गर्ग, विजय गोयल, अनुज अग्रवाल, पीके भाई आदि उपस्थित थे।
लव-कुश ने सुनाई राम कथा तो श्रद्धालु भावुक हो गए
श्रीराम कथा में लव-कुश ने श्रद्धालुओं को श्रीराम कथा सुनाई तो श्रद्धालुओं की अश्रुधारा बहने लगी। ऋषि कुमार के रूप में श्रंगारित बच्चों ने रामजन्म से लेकर लव-कुश के जन्म की कथा सुनाई।
कथा विश्राम के उपरान्त सभी भक्तों ने आरती कर प्रसाद ग्रहण किया। संतश्री विजय कौशल महाराज ने बताया कि 22 दिसम्बर को कथा का समय सुबह 10 से दोपहर 12 बजे तक रहेगा। कल रावण वध व श्रीराम के राजतिलक की कथा सुनाई जाएगी।
कलयुग में हरिनाम संकीर्तन से ही तर जाते हैं भक्त
संत विजय कौशल महाराज ने कहा कि कलयुग में योग, यज्ञ और तप जैसे कठिन मार्गों के बजाय केवल हरि नाम के संकीर्तन से ही तर जाते हैं भक्त। संतश्री ने कहा कि जिस तरह हर मौसम का भोजन और परिधान लग-अलग होते हैं, वैसे ही हरि प्राप्ति का रास्ता भी अलग होता है।
कई बार शांति की रक्षा के लिए लड़े जाते हैं युद्ध
संत विजय कौशल महाराज ने कहा कि अक्सर शांति के लिए युद्ध टाले जाते हैं तो कई बार शांति के लिए युद्ध लड़े जाते हैं। श्रीराम की वानर सेना समुद्र पार कर आने पर समस्त लंका में कोलाहाल मच गया। पहले दिन रावण की एक चौथाई तो वहीं दूसरे दिन आधी सेना का अंत हो गया। संतश्री ने कहा कि पहले धर्म युद्ध सूर्य के प्रकाश में होते थे। आज रात के धोखे में युद्ध होते हैं।
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