रामलला की मूर्ति के प्राण-प्रतिष्ठा आयोजन को भव्य, दिव्य और नव्य बनाने के लिए हरसंभव प्रयास किया जा रहा है. इसी के तहत देश के विभिन्न राज्यों से आए 50 से ज्यादा वाद्य यंत्र की मंगल घ्वनि गूंजेगी.
22 जनवरी को देश दिवाली मनाने जा रहा है. देश ही नहीं विदेशों से भी रामलला के लिए बेशकीमती तोहफे आए हैं. साथ ही प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम के ऐतिहासिक पल का साक्षी बनने के लिए रामभक्तों का अयोध्या पहुंचने का सिलसिला जारी है. पूरी अयोध्या नगरी सजकर तैयार है. 22 जनवरी को जब रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा होगी, उससे 2 घंटे पहले से ही राम मंदिर परिसर में मंगल ध्वनि गूंजने लगेगी. वैदिक मंत्रोच्चार के साथ-साथ देश के तमाम राज्यो से आए 50 से ज्यादा शुभ वाद्य यंत्र भी बजाए जाएंगे. कह सकते हैं कि यह मंगल ध्वनि, मंत्रोच्चार, पूजा-पाठ आदि पूरे माहौल को एक अनोखी दिव्यता देंगे.
मनमोहक मंगल ध्वनि
श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने रविवार को घोषणा की है कि प्राण प्रतिष्ठा समारोह के दिन मंगल ध्वनि का कार्यक्रम भी होगा. यह एक मनमोहक संगीत कार्यक्रम होगा, जिसमें विभिन्न राज्यों से आए 50 से अधिक उत्कृष्ट वाद्ययंत्र इस शुभ मौके पर एक साथ बजाए जाएंगे. करीब 2 घंटे तक यह मंगल ध्वनि गूजेगी. इस मांगलिक संगीत कार्यक्रम के परिकल्पनाकार और संयोजक यतीन्द्र मिश्र हैं, जो प्रख्यात लेखक, अयोध्या संस्कृति के जानकार और कलाविद हैं. वहीं इस कार्यक्रम में केंद्रीय संगीत नाटक अकादेमी, नई दिल्ली भी सहयोग दे रही है.
मुहूर्त से ठीक पहले होगा वादन
श्रीरामजन्मभूमि प्राण-प्रतिष्ठा समारोह के ऐतिहासिक मौके पर मुख्य मुहूर्त से पहले सुबह 10 बजे से ही करीब 2 घंटे तक ‘मंगल ध्वनि का आयोजन किया जाएगा. श्रीराम जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया कि हमारी भारतीय संस्कृति की परम्परा में किसी भी शुभ कार्य, अनुष्ठान, पर्व के अवसर पर देवता के सम्मुख आनन्द और मंगल के लिए पारम्परिक ढंग से मंगल- ध्वनि बजाने का विधान है.
इसे लेकर ट्रस्ट ने पोस्ट में लिखा है- ‘भक्ति में डूबे हुए, अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि पर प्राण प्रतिष्ठा का समारोह सुबह 10 बजे राजसी ‘मंगल ध्वनि’ से सुशोभित होगा. विभिन्न राज्यों के 50 से अधिक उत्कृष्ट वाद्ययंत्र इस शुभ अवसर पर एक साथ बजेंगे और लगभग दो घंटे तक गूंजते रहेंगे. विभिन्न राज्यों के ये अनोखे वाद्य यंत्र, दिव्य आर्केस्ट्रा में एकजुट होंगे. इससे भारत की सदियों पुरानी परंपराओं को अपनाने और पुनर्जीवित करने का एक महत्वपूर्ण अवसर है.”
– एजेंसी
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