भागवताचार्य डॉ. श्याम सुंदर पाराशर ने कहा- सृष्टि का पहला संविधान मनुस्मृति
जाति बुरी नहीं थी, जातिवाद खतरनाक है, जो दूषित राजनीति का परिणाम
19 अक्टूबर को कथास्थल पर निःशुल्क नेत्र चिकित्सा शिविर, हर प्रकार की सुविधा
डॉ. भानु प्रताप सिंह
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Agra, Uttar Pradesh, Bharat, India. फतेहाबाद रोड पर होटल रमाडा के सामने राज देवम में चल रही भागवत कथा में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य पहुंचे। उनके साथ भाजपा किसान मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और फतेहपुर सीकरी से सांसद राजकुमार चाहर, इटावा से सांसद डॉ. रामशंकर कठेरिया, कई विधायक और भाजपाइयों का रेला आया। भाजपाई तो कथा में प्रतिदिन सेवाएं दे ही रहे हैं लेकिन आज बड़े नेता आए। विश्वविख्यात भागवताचार्य डॉ. श्याम सुंदर पाराशर श्रीमद भागवत का रसपान करा रहे हैं। हजारों श्रद्धालु श्रोता पहुंच रहे हैं। सूरकुटी के नेत्रहीन विद्यार्थियों की उपस्थिति उल्लेखनीय सिद्ध हो रही है।
उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने सांसद राजकुमार चाहर के साथ भागवत कथा सुनी। संतोष कुमार शर्मा को भागवत कथा कराने के लिए बधाई दी। कथा के मध्य में ही व्यासपीठाचार्य डॉ. श्यामसुन्दर पाराशर से आशीर्वाद लिया। इस अवसर पर महापौर हेमलता दिवाकर कुशवाहा, विधायक रानी पक्षालिका, विधायक डॉ. धर्मपाल सिंह, विधायक भगवान सिंह कुशवाहा, एमएलसी विजय शिवहरे, भाजपा जिलाध्यक्ष गिर्राज सिंह कुशवाह, महानगर अध्यक्ष भानु महाजन, शैलू पंडित, गौरव राजावत, पुष्पेन्द्र त्रिवेदी, बबलू लोधी, प्रखर शर्मा, पीएल शर्मा, मनीष शर्मा, सुभाष उपाध्याय, रामकुमार शर्मा, संजय शर्मा, जितेंद्र रावत, अजय शर्मा, मनीष थापक, रविकांत पचौरी, मुकेश शर्मा, सुभाष शर्मा, प्रदीप भारद्वाज, हरि मोहन शर्मा, राजेंद्र बरुआ, दैनिक जागरण के संपादक अवधेश माहेश्वरी, पूर्व संपादक आनंद शर्मा, संदीप अरोड़ा, समाजवादी पार्टी के नितिन कोहली, डॉ. वीरेन्द्र चौहान आदि की उपस्थिति उल्लेखनीय रही। आरती का संचालन शिक्षाविद डॉ. हरिनारायण चतुर्वेदी ने किया।

भागवत कथा में 19 अक्टूबर को सामाजिक काम भी किया जाएगा। प्रातः 10 से एक बजे तक निःशुल्क नेत्र चिकित्सा शिविर लगाया जाएगा। जाने-माने नेत्र चिकित्सक इसमें सेवाएं देंगे। भागवत कथा के आयोजक एसकेएस ग्रुप के कर्ताधर्ता संतोष कुमार शर्मा ने आग्रह किया है कि शिविर में आकर आँखों की जांच कराएं। यह शिविर सबके लिए है। हर प्रकार की सुविधा रहेगी।
कथा के दौरान डॉ. श्याम सुंदर पाराशर ने तीसरे दिन संत की महिमा का वर्णन, शिव विवाह, सती चरित्र के साथ ध्रुव चरित्र का वर्णन करते हुए कहा कि राजा उत्तानपाद के पत्नी सुनीति वह जो नीति से चले और सुरुचि वह जो अपनी रुचि से चले। आजकल नीति नहीं, रुचि ज्यादा हावी है। दोनों का परिणाम देखिए कि सुनीति का पुत्र ध्रुव आज भी आकाश में चमक रहा है, जिससे उसका मातृत्व सफल हुआ। नीति के मार्ग पर चलने से संकट और संघर्ष तो आएगा परन्तु परिणाम सकारात्मक ही होगा।

उन्होंने कहा- जो जगत में माया का दास बनकर नाच रहा है वह जीवात्मा, श्रीहरि की माया के जगत में रहकर भी जो भगवान की भक्ति में डूबा है वह महात्मा और जो अपनी माया से जगत को नचा रहा है वह परमात्मा है। जीवात्मा को परमात्मा से मिलाने का सेतु है महात्मा। सिद्ध संत ही जीवात्मा को परमात्मा से मिला सकते हैं। परमात्मा को पाने से भी कठिन कार्य सिद्ध संत को प्राप्त करना है। महात्मा जीव की व्यथा परमात्मा से और जीव को हरि कथा सुनाते हैं।
श्रीरामचरित मानस की चौपाई अस कहि चला विभीषण जबहीं, आयु हीन भए सब तबहीं, साधु अवग्या तुरत भवानी, कर कल्याण अखिल के हानी… की व्याख्या करते हुए कहा कि लंका में जब तक संत विभीषण और हस्तिनापुर में जब तक विदुर रहे, वहां धर्म रहा। संत रूपी विदुर के हस्तिनापुर और विभीषण के लंका त्यागने पर समस्त पुण्य चला गया। धर्मचारी व्यक्ति के पुण्यकारी कर्मों से राक्षस भी बच जाते हैं। जब आप धर्म की रक्षा करेंगे तभी धर्म बल आपकी रक्षा कर पाएगा। धर्म रूपी विदुर के जाने से हस्तिनापुर धर्मनिरपेक्ष हो गया। जो हाल धर्मनिरपेक्ष पार्टियों का होता है वही हाल हस्तिनापुर का हुआ। वंश और राज्य दोनों का विनाश हो गया। दासी पुत्र विदुर की कथा का भी भावपूर्ण वर्णन किया। विपरीत ज्ञान के कारण भवरोग से ग्रसित होने से हमारा मन श्रीहरि की भक्ति में नहीं लगता। संत वही है जिसमें सहनशीलता, करुणा, सुहृदय, अजात शत्रु और महात्मा होने के गुण हों।

उन्होंने कहा कि अपने सुख दुख की चाबी किसी दूसरे के हाथों में न दें। यह पराधीनता का संकेत है। साधु अपनी मस्ती में मस्त रहते हैं, इसलिए स्वस्थ रहते हैं। जो स्व स्वरूप में स्थित रहे वही स्वस्थ है। स्व स्वरूप का अर्थ है न किसी के अपमान से दुखी हों और किसी के सम्मान से अहंकार करें।
कथावाचक डॉ. श्यामसुन्दर पाराशर ने कहा कि सृष्टि का पहला संविधान है मनुस्मृति, जिसका आधार वेद हैं। जो मानव को जीवन जीने की नियम और व्यवस्था सिखाते हैं। वर्ण व्यवस्था का जिक्र करते हुए कहा इस व्यवस्था के मूल स्वरूप को हम समझ ही नहीं पाए। जाति बुरी नहीं थी, जातिवाद खतरनाक है, जो दूषित राजनीति का परिणाम है।
मनोरंजन नहीं, डॉ. श्याम सुंदर पाराशर से भागवत कथा सुननी है तो राज देवम चले आइए
भागवत कथा के आयोजक संतोष कुमार शर्मा व उनकी धर्मपत्नी ललिता, सांसद डॉ. रामशंकर कठेरिया, मनकामेश्वर मंदिर के महंत निर्मल गिरि महाराज, पूर्व आईएएस शशिकांत शर्मा, मनीष थापक आदि ने आरती की। सभी श्रद्धालुओं को प्रसाद वितरण किया। कथा के उपरान्त बृज किसोर वशिष्ठ (भैय्या जी) ने संगीतमय सुन्दरकाण्ड का पाठ किया।
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