गोरखपुर :: कस्टम विभाग का डीआरआई विंग सोना तस्करों पर नकेल कसने की तैयारी में हैं। प्रदेश में सोना तस्करी के लिए सबसे मुफीद रूट के 76 सराफा कारोबारी चिन्हित भी हुए हैं। इनमें से पांच गोरखपुर के हैं, जिनका नेटवर्क कोलकाता से लेकर नेपाल तक फैला हुआ है। ये सब विभाग के रडार पर हैं।
सोना तस्करी के मामले हाल के दिनों में काफी बढ़ गए हैं। इसके पीछे कारण सोने पर भारी भरकम टैक्स बताया जा रहा है। जानकारों के मुताबिक एक किलो सोना करीब 62 लाख का है, इस पर करीब 17 फीसदी टैक्स देना होता है। यानी एक किलो सोना पर सर्राफ की 10 लाख तक की कमाई हो जाती है। यदि ‘ट्रैवलर’ और अन्य बंटवारे का खर्च निकाल भी दें तो छह लाख रुपये तक की बचत हो जाती है।
पिछले दिनों पकड़े गए सोने की खेप से साफ हुआ है कि तस्कर बैंकाक, दुबई, म्यांमार आदि से सोना मंगा रहे हैं। कोलकाता से बिहार होते हुए गोरखपुर तक सोना पहुंच रहा है। गोरखपुर में बैठे मास्टर मांइड इसे दिल्ली से लेकर पंजाब तक पहुंचा रहे हैं। ज्यादातर माल गोरखपुर के आसपास ही खपाया जाता है। हिन्दी बाजार में सोना तस्करों से खरीद करने वाले कई कारोबारी है। डीआरआई के छापों में इसका खुलासा भी हुआ है। पिछले दिनों तारामंडल के पास सोने के तस्कर को दबोचा गया था, तो उसने बताया भी था कि सोने को हिन्दी बाजार के एक कारोबारी के पास पहुंचाना था।
हिन्दी बाजार और कस्बों के हैं कारोबारी
विभाग ने तस्करी के खेल में जिन पांच सराफा कारोबारी को चिन्हित किया है, वे शहर के हिन्दी बाजार से लेकर कस्बाई इलाकों के हैं। बताते हैं कि इनकी दुकानें बड़ी नहीं हैं, लेकिन दुकान की अपेक्षा इनकी कमाई काफी अधिक है। सूत्रों के मुताबिक इनमें से दो तो कारोबारी तो देखते ही देखते काफी अमीर हो गए हैं। जीएसटी के अधिकारियों के रडार पर भी ये हैं। इनकी निगरानी की जा रही है।
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