योगेन्द्र उपाध्याय

आगरा किला से राजगढ़ तक 1250 कि.मी. लम्बी गरुड़क्षेप यात्रा शुरू, सैकड़ों लोग शामिल, युद्धकला का प्रदर्शन, सराय मलूकचंद में शिवाजी की प्रतिमा स्थापित

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कोठी मीना बाजार में छत्रपति शिवाजी म्यूजियम होगा पर्यटकों के आकर्षण का केंद्रः योगेंद्र उपाध्याय

शिवाजी ने हर युद्ध जीता, वे न होते तो सबकी सुन्नत हो गई होतीः डॉ. हरीश रौतेला, प्रांत प्रचारक

महाराष्ट्र से आए हिंदवी स्वराज्य की पैदल सेना के प्रमुख के 14वें वंशज मारुती गोले ने किया सम्मान

समर्थ गुरु रामदास एवं छत्रपति शिवराय प्रतिष्ठान आगरा ने कराया भव्य कार्यक्रम,  क्रीड़ा भारती करेगा  संयोजन

डॉ. भानु प्रताप सिंह

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Agra, Uttar Pradesh, India.  17 अगस्त, 1666 को छत्रपति शिवाजी आगरा किला आए। शक्तिशाली मुगल शासक औरंगजेब ने उन्हें धोखे से बंदी बना लिया। आगरा में कोठी मीना बाजार में कैद किया। जबर्दस्त सुरक्षा थी। इसके बाद भी चकमा देकर शिवाजी निकल गए थे। यहां से सराय मलूकचंद (सेवला, आगरा) होते हुए राजगढ़ (महाराष्ट्र) पहुंच गए। 17 अगस्त, 1666 शिवचातुर्य दिवस है। इसी उपलक्ष में आगरा से राजगढ़ तक गरुड़क्षेप मुहिम चलाई जा रही है। यात्रा का चतुर्थ अध्याय भव्य बन गया। उत्तर प्रदेश सरकार के उच्च शिक्षा मंत्री योगेन्द्र उपाध्याय ने आगरा में यात्रा को अविस्मरणीय बना दिया। आगरा किला के समक्ष भव्य कार्यक्रम हुआ। आगरा किला के सामने शिवाजी महाराज की भव्य प्रतिमा का जलाभिषेक और माल्यार्पण किया गया। महाराष्ट्र से आए मराठों ने प्राचीन युद्ध कला का जबर्दस्त प्रदर्शन किया। आगरा से शिवाजी सराय मलूकचंद (सेवला, आगरा) में जिस स्थान पर ठहरे थे, वहां भव्य प्रतिमा का स्थापित की गई है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांत प्रचारक डॉ. हरीश रौतेला ने घोषणा की है कि अगले वर्ष गरुड़क्षेप यात्रा का संयोजन क्रीड़ा भारती करेगा।

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महाराष्ट्र से आई टीम का स्वात करते मंत्री योगेन्द्र उपाध्याय।

इस यात्रा में हिंदवी स्वराज्य की पैदल सेना के प्रमुख सरनौबत नरवीर पिलाजी गोले के 14वें वंशज मारुती (आबा) गोले की उपस्थिति खास रही। वे गरुड़क्षेप मुहिम के संस्थापक अध्यक्ष हैं। उनका सम्मान किया गया। मारुती गोले ने भी अतिथियों का स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया। यात्रा संयोजक मारुति आवा गोले ने बताया कि आज भी हम लोग शिवाजी महाराज से प्रेरणा लेकर उनके द्वारा दर्शायी और बताई गई युद्ध कला और करतब का अनुसरण करते हैं।

यह कार्यक्रम समर्थ गुरु रामदास एवं छत्रपति शिवराय प्रतिष्ठान आगरा के अध्यक्ष डॉक्टर वात्सल्य उपाध्याय, उपाध्यक्ष डॉक्टर सिमरन उपाध्याय ने संयोजित किया। प्रतिष्ठान की ओर से अतिथियों का स्वागत भगवा पटका और पगड़ी पहनाकर किया गया।

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प्राचीन युद्धकला का प्रदर्शन

उत्तर प्रदेश सरकार के उच्च शिक्षा मंत्री योगेन्द्र उपाध्याय ने बताया कि मुगल शासक औरंगजेब ने शिवाजी को 99 दिन तक जयपुर हाउस के नजदीक स्थित जयपुर के महाराजा की कोठी मीना बाजार स्थित कोठी में कैद रखा था। प्रदेश सरकार द्वारा इस स्थान को छत्रपति शिवाजी म्यूजियम के रूप में विकसित करके भव्य स्मारक बनाया जाएगा। 17 अगस्त सन 1666 को महाराज छत्रपति शिवाजी आगरा से औरंगजेब की कैद से मुक्त होकर निकले थे। शिवाजी के सेनापतियों के 14 वें वंशज इस दिन को स्मृति दिवस के रूप में मनाते हुए आगरा से राजगढ़ तक करीब 1250 किलोमीटर लंबी गरुड़क्षेप यात्रा निकालते हैं आगराल किला के सामने स्थित शिवाजी प्रतिमा स्थल से इस यात्रा को भगवा ध्वज दिखाकर उत्तर प्रदेश सरकार के उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय ने रवाना किया। इस यात्रा में सैकड़ों धावक, साइकिल सवार, घुड़सवार सम्मिलित हुए।

भव्य समारोह में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांत प्रचारक डॉ. हरीश रौतेला, संघ के विभाग प्रचारक आनंद, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के प्रांत संगठन मंत्री मनीष राय, राष्ट्रीय बजरंग दल के अध्यक्ष मनोज सिंह, कीड़ा भारती के राजेश कुलश्रेष्ठ , मारुति आबा गोले मंच पर उपस्थित रहे। महाराष्ट्र के 11 किलों के जल से शिवाजी महाराज की प्रतिमा का अभिषेक किया गया। अतिथियों ने शिवाजी महाराज को माल्यार्पण किया। दोनों कार्यक्रम के क्रेन के माध्यम से सम्पन्न हुए।

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युद्ध कला का प्रदर्शन करने वालों के साथ मंत्री योगेंद्र उपाध्याय, मारुति गोले एवं अन्य।

इस मौके पर कैबिनेट मंत्री योगेंद्र उपाध्याय ने बताया कि छत्रपति शिवाजी महाराज की युद्ध कौशलता वीरता एवं राष्ट्रीय एकता की भावना युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत है । कोठी मीना बाजार में शिवाजी म्यूजियम बनने के बाद युवा पीढ़ी को छत्रपति शिवाजी महाराज की दूरगामी सोच और हिंदुत्व की भावना से प्रेरणा मिलेगी।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांत प्रचारक डॉ. हरीश रौतेला ने कहा शिवाजी महाराज ने जीवन पर्यंत अपने धर्म की रक्षा के लिए संघर्ष के रास्ते को चुना। वे एक भी युद्ध में पराजित नहीं हुए। अगर शिवाजी न होते तो सबकी सुन्नत हो जाती।

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सरायक मलूकचंद में शिवाजी की प्रतिमा  अनावरण के मौके पर डॉ. वात्सल्य उपाध्याय, मंत्री योगेन्द्र उपाध्याय, मारुति गोले एवं अन्य।

राष्ट्रीय बजरंग दल के अध्यक्ष मनोज कुमार ने यह कार्यक्रम कराने के लिए डॉ. वात्सल्य उपाध्याय को कई बार सराहा।

क्रीड़ा भारती के क्षेत्रीय संयोजक राजेश कुलश्रेष्ठ ने बताया कि आगरा के 60 धावक आगरा से राजगढ़ तक 1250 कि.मी. की यात्रा तय करेंगे। वे मशाल लेकर सुबह सात बजे यहां से प्रस्थान कर गए।

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सराय मलूकचंद में आयोजित कार्यक्रम में मंचासीन अतिथि।

छत्रपति शिवाजी के सेनापतियों के 14वें वंशजों की मौजूदगी में लाल किला के सामने शिवाजी महाराज प्रतिमा के समक्ष मराठी कलाकारों ने प्राचीन युद्ध कला तलवारबाजी, भाला फेंक जैसी मराठी युद्ध कलाओं का प्रदर्शन किया।

सराय मलूक चंद में शिवाजी की प्रतिमा का अनावरण

महाराष्ट्र से आए छत्रपति शिवाजी महाराज सेनापतियों के वंशजों की मौजूदगी में उत्तर प्रदेश सरकार के उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय ने सराय मलूकचंद सेवला में छत्रपति शिवाजी महाराज की भव्य प्रतिमा का अनावरण किया। इस मौके पर उन्होंने कहा आने वाले दिनों में इस क्षेत्र को विकसित कर पर्यटन से जोड़ा जाएगा। इसी स्थान पर आगरा से पुणे लौटते समय शिवाजी महाराज ने एक रात्रि विश्राम किया था। प्रतिमा अनावरण के मौके पर उनके समर्थकों ने जय भवानी जय शिवाजी महाराज के जयकारों से वातावरण को गुंजित कर दिया।

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आगरा किला के सामने हुए कार्यक्रम में उपस्थिति लोग।

संचालक रीनेश मित्तल ने कहा कि अपनी सांस्कृतिक विरासत को बचाकर ऱखने वाला  देश ही उन्नति करता है। यह काम महाराष्ट्र के लोग कर रहे हैं। शिवाजी आगरा से निकल गए और औरंगजेब की सेना देखती रह गई।

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आगरा किला के सामने हुए कार्यक्रम में उपस्थिति लोग।

गरुड़ क्षेप यात्रा के शुभारंभ के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में प्रतिष्ठान के संरक्षक विजय गोयल, मुकुल साहनी, प्रमोद पांडे, नितिन मित्तल, मनमोहन वालिया,  सियाराम प्रजापति, रवि दुबे, बंटी ग्रोवर, दीपक खरे, फूल सिंह सिकरवार, ओमप्रकाश सागर, संजय जैन, रश्मि सिंह, ओमप्रकाश चलनीवाले, डॉ.सत्यदेव पचौरी, लव तिवारी, प्रमेन्द्र जैन, अनुराग चतुर्वेदी, डॉ. भूपेन्द्र सिंह, मनोज शर्मा, मुनेंद्र जादौन, बसंत गुप्ता एडवोकेट, मनोज वर्मा, दिलीप वर्मा, सुधीर टंडन, लोकहितम ब्लड बैंक के अखिलेश अग्रवाल की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।

देखें युद्धकला का जीवंत प्रदर्शन- वीडियो

Dr. Bhanu Pratap Singh