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कांग्रेसी डॉ. हेडगेवार ने RSS की स्थापना क्यों की, वर्ष प्रतिपदा पर जानिए देश के सामने कौन से खतरे हैं

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आगरा पश्चिम महानगर के शास्त्रीनगर में केशव शाखा पर मनाया वर्ष प्रतिपदा उत्सव

डॉ. भानु प्रताप सिंह

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Agra, Uttar Pradesh, India, Bharat.  राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ वर्ष में छह उत्सव मनाता है। ये हैं- विजयादशमी, मकर संक्रांति, वर्ष प्रतिपदा, हिंदू साम्राज्य दिवस, गुरु पूर्णिमा तथा रक्षा बंधन। विदयादशमी के दिन 1925 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना हुई थी। मकर संक्रांति पर सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण में आते हैं। वर्ष प्रतिपदा के दिन भारतीय नववर्ष या हिंदू नव वर्ष भी कह सकते हैं। इसी दिन से विक्रमी संवत का शुभारंभ होता है। संघ के संस्थापक डॉ. केशव राव बलिराम हेडगेवार का जन्मदिन भी इसी दिन हुआ था। वर्ष प्रतिपदा के दिन संघ की सभी शाखाओं पर डॉ. हेडगेवार की स्मृति में आद्य सरसंघचालक प्रणाम किया जाता है। छत्रपति शिवाजी ने 1674 में जिस दिन हिंदू साम्राज्य की विधिवत स्थापना की थी, उस दिन को हिंदू साम्राज्य दिवस के रूप में मनाया जाता है। शिवाजी महाराज ने सिंहासनारूढ़ होते हुए घोषणा की थी कि ‘यह राज्य शिवाजी का नहीं, धर्म का है । रक्षाबंधन पर कलाई पर राखी बांधकर एक दूसरे और समाज की रक्षा करने का संकल्प लेते हैं। गुरु पूर्णिमा पर संघ अपने गुरु भगवा ध्वज के समक्ष दक्षिणा कार्यक्रम करता है।

संघ की शाखाओं में चैत्र शुक्ल प्रतिपदा (इस बार 9 अप्रैल, 2024) को वर्ष प्रतिपदा उत्सव मनाया गया। वर्ष प्रतिपदा के दिन ही संघ संस्थापक डॉ. हेडगेवार (1 अप्रैल 1889 से 21 जून 1940) का जन्म नागपुर में हुआ था। पश्चिम महानगर की केशव शाखा पर हुए कार्यक्रम में राजीव सिंह रघुवंशी (ब्रज प्रांत सह व्यवस्था प्रमुख) मुख्य वक्ता के रूप में आए। उन्होंने संघ की कार्यपद्धति, कार्यों, देश के समक्ष खतरे और भविष्य में क्या होने वाला है, जैसे बिंदुओं पर समाज का ध्यान आकर्षित किया।

श्री रघुवंशी ने कहा- आज के दिन ही भगवान राम का राज्याभिषेक, आर्य समाज की स्थापना, संत झूलेलाल का अवतरण हुआ था। शक्तिपूजा की शुरुआत होती है। नव संवतसर 2081 शुरू हो रहा है। संघ संस्थापक डॉ. हेडगेवार के बारे में अवगत कराया कि वे बचपन से ही क्रांतिकारी थे। उन्होंने स्कूल में विक्टोरिया के नाम पर बाँटी जा रही मिठाई लेने से इनकार कर दिया था। स्कूल में अंग्रेज अधिकारी निरीक्षण करने लिए आया तो डॉ. हेडगेवार के कहने पर सभी बच्चों ने वंदे मातरम कहा था। कलकत्ता में डॉक्टरी की पढ़ाई इसलिए करने गए था कि वहां सक्रिय क्रांतिकारियों की धन और शस्त्र से मदद की जा सके।

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संघचालक डॉ.सतीश कुमार सिंह और राजीव सिंह रघुवंशी

उन्होंने कहा कि डॉक्टरी की पढ़ाई करने के बाद घर वाले चाहते थे कि डॉ. हेडगेवार प्रैक्टिस करें। लेकिन वे देश को स्वतंत्र कराने के उद्देश्य से कांग्रेस में शामिल हो गए। कांग्रेस की एक सभा में उन्होंने ऐसा भाषण दिया कि अंग्रेजी सरकार ने देशद्रोह का मुकदमा कर दिया। तब गांधी जी ने कहा कि हम पैरवी न करके सजा स्वीकार करेंगे। इस कारण डॉ. हेडगेवार को जेल हो गई। जेल से छूटे तो भव्य स्वागत हुआ। उन्होंने नागपुर में कांग्रेस का सफल अधिवेशन कराया।

डॉ. हेडगेवार ने कांग्रेस में पाया कि यहां हिंदुओं की बात करने वाला कोई नहीं है। आजादी मिली तो हिंदुओं का क्या होगा? हिंदुओं को संगठित करने के उद्देश्य से डॉ. हेडगेवार ने 1925 में पांच बालकों के साथ शाखा शुरू की। तब लोगों ने मजाक बनाया था। शुरुआत में संघ की प्रार्थना मराठी में हुआ करती थी। अब संस्कृत में होती है। अब संघ का काम पूरे देश ही नहीं, विश्व में फैल गया है।

न्होंने बताया कि 1940 में संघ शिक्षा वर्ग नागपुर में हुआ। उन्होंने इस अधिवेशन में कहा था कि आज भारत का लघु रूप देख रहा हूँ। देश को एक सूत्र में बँधा हुआ देख रहा हूँ। अत्यधिक परिश्रम और तनिक भी विश्राम न करने के कारण डॉक्टर साहब अस्वस्थ हो गए और 1940 में देहावसान हो गया।

संघ भगवा ध्वज को गुरु मानता है, जिसमें कभी भी कोई विकार नहीं आ सकता है। यही कारण है कि संघ की स्थापना को 100 वर्ष हो रहे हैं और संगठन यथावत गतिमान है। हर क्षेत्र में संघ के कार्यकर्ता काम कर रहे हैं। हर उस देश में शाखा लगती है जहां हिंदू रहता है।

श्री रघुवंशी ने बताया कि जब संघ पर प्रतिबंध लगा तो इस बात पर विचार हुआ कि संसद में हमारी बात रखने वाले होने चाहिए। इसी विचार से जनसंघ की स्थापना हुई जो आज भारतीय जनता पार्टी है। परिणाम स्पष्ट है कि 500 वर्ष के संघर्ष के बाद अयोध्या में रामलला भव्य राम मंदिर में विराजमान हैं। आजादी के बाद सोमनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार हुआ, हालांकि तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू नहीं चाहते थे। कांग्रेस सरकार चाहती तो राम मंदिर का भी उद्धार हो सकता था लेकिन नहीं किया। कांग्रेस ने तो राम का अस्तित्व ही मानने से इनकार कर दिया था। रामसेतु को भी राम के समय का नहीं माना था। हजारों मंदिरों को खंडित कर मस्जिद बनाई गई। कायदे से आजादी के बाद इन्हें फिर से मंदिर बनाया जाना चाहिए था।

भारत के राजचिह्न में अशोक की लाट है लेकिन सम्राट अशोक को इतिहास में नहीं पढ़ाया जाता है। हालत यह है कि आर्यों को आक्रमणकारी कहा जाता है। 1947 में विभाजन संख्या के आधार पर हुआ था। सभी को पाकिस्तान चले जाना चाहिए था लेकिन नहीं गए। इसका परिणाम हम सबके सामने है।

उन्होंने कहा कि सनातन धर्म वेद, पुराण, गीता, रामायण, महाभारत में हैं। क्या हमने वेद देखे हैं, पढ़ने की बात तो दूर है। जब हम अपने पवित्र ग्रंथों को पढ़ेंगे तो धर्म के बारे में जानकारी मिलेगी। हम बच्चे से पढ़ने के लिए तो कहते हैं लेकिन पूजा करने के लिए नहीं। अगर बच्चा 12 साल तक मिशनरी स्कूल में पढ़ लिया तो वह मंदिर नहीं जाएगा। फिर कहते हैं कि बच्चा कुतर्क करता है।

श्री रघुवंशी ने कहा कि हमारे यहां संस्कृत भाषा लुप्त हो रही है लेकिन विदेशों में पढ़ाई जाती है। नासा में वैदिक गणित का उपयोग किया जाता है। हमारे यहां मिसाइल, हवाई जहाज पहले से थे लेकिन अंग्रेजों का आविष्कार प्रचारित किया जाता है। अध्यक्षता संघचालक डॉ. सतीश कुमार सिंह ने की। विश्वजीत ने एकल गीत प्रस्तुत किया। रूपेश सिंह सोलंकी ने शाखा लगवाई। राजकिशोर सिंह परमार ने प्रार्थना कराई।

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