आगरा नगर निगम में फिर नाम बदलने की कयावद हुई शुरू: ‘नाम’ में आखिर क्या रखा है?

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आगरा शहर में क्या कोई कमी रह गई थी जो अब नाम बदलने की कवायद शुरू हो गई है? आखिर यह सरकारें नाम बदलने से क्या हासिल करना चाहती हैं? क्या नाम बदल देने से कोई बदलाव आ जाएगा? क्या मारुति एस्टेट चौराहे का नाम ‘लव-कुश चौक’ रख देने से ट्रैफिक की समस्या खत्म हो जाएगी? या फिर बेरोजगारी दूर हो जाएगी?

क्या सिर्फ नाम बदलने से ही विकास हो पाएगा? यह सवाल मेरे नहीं, बल्कि इस शहर के हर उस नागरिक के हैं जो रोज़गार, सड़क, बिजली-पानी जैसी समस्याओं से जूझ रहा है। लेकिन इन सब समस्याओं को दरकिनार करते हुए, नगर निगम कार्यकारिणी की बैठक में सबसे महत्वपूर्ण प्रस्ताव आया मारुति एस्टेट चौराहे का नाम बदलने का। वाह! क्या बात है!

नगर निगम कार्यकारिणी की बैठक मेयर हेमलता दिवाकर कुशवाह की अध्यक्षता में हुई, जिसमें 8 प्रस्तावों पर चर्चा हुई। इन प्रस्तावों में सबसे आकर्षक और दिलचस्प प्रस्ताव था, पार्षद विक्रांत सिंह कुशवाह का, जिन्होंने मारुति एस्टेट चौराहे का नाम बदलकर लव-कुश चौक करने का प्रस्ताव रखा।

क्या हमारे शहर में और कोई काम नहीं बचा था? क्या सच में ‘लव-कुश’ का नाम रखने से सारी समस्याएं हल हो जाएंगी? अगर नाम बदलने से ही विकास होता तो हर शहर का नाम बदलकर ‘विकास नगर’ रख देना चाहिए। लेकिन ऐसा होता नहीं है। ये सिर्फ एक राजनीति है, जो लोगों को भावनात्मक मुद्दों में उलझा कर असली मुद्दों से भटकाने का काम करती है।

नाम बदलने का प्रस्ताव, क्यों?

पार्षद विक्रांत सिंह कुशवाह का कहना है कि शहर के अधिकांश चौराहों पर महापुरुषों की प्रतिमाएं हैं, इसलिए मारुति एस्टेट चौराहा का नाम लव-कुश चौक करते हुए वहां उनकी प्रतिमा स्थापित की जाए।

यह सुनकर हंसी आती है। क्या महापुरुषों के नाम पर सिर्फ चौराहे ही रह गए हैं? क्या उनका सम्मान सिर्फ चौराहे का नाम बदलकर ही किया जा सकता है? क्या हम उनके सिद्धांतों पर चलकर उनका सम्मान नहीं कर सकते? शायद यह बात किसी को समझ नहीं आती है। या फिर समझाना ही नहीं चाहते।

नगर निगम ने इस प्रस्ताव को कमेटी के पास भेज दिया है। वहां से हरी झंडी मिलने के बाद इस पर आगे की कार्रवाई होगी। लेकिन क्या सिर्फ एक नाम बदल देने से कोई जादू हो जाएगा?

क्या मोतीगंज मंडी में लगने वाला जाम खत्म हो जाएगा? क्या न्यू राजामंडी से मदिया कटरा तक की सड़क के ‘मॉडल रोड’ बन जाने से शहर की गरीबी दूर हो जाएगी?
इस बात पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए कि गल्ला मंडी की हालत बहुत खराब है। यहाँ की सड़कें सीमेंटेड होंगी और स्ट्रीट लाइटें भी लगेंगी। लेकिन क्या ये नाम बदलने से ही होगा? क्या ये काम पहले नहीं किए जा सकते थे?
शहर में ताज नगरी के पार्कों पर हुए अतिक्रमण और अवैध कब्जों को हटाने की स्वीकृति भी दी गई है। यह एक अच्छा कदम है, लेकिन क्या अतिक्रमण करने वालों के नाम में कोई बदलाव हो सकता है? नहीं। फिर भी, यह निर्णय सराहनीय है।

क्या ‘कबाड़’ से बना हलधर धाकरान चौराहे पर रखे जाने से शहर में हरियाली आ जाएगी? क्या ‘कबाड़’ का इस्तेमाल करने से शहर का विकास हो जाएगा?

नाम बदलने से कुछ नहीं होगा। यह सिर्फ लोगों को भ्रम में डालने का एक तरीका है। हमें नाम बदलने के बजाय काम करने पर ध्यान देना चाहिए। क्या ऐसा नहीं लगता कि यह सब बस एक दिखावा है, ताकि लोगों को लगे कि सरकार काम कर रही है, भले ही वह असल मुद्दों से कितना भी दूर हो?

लेकिन क्या ये सवाल उठाने से कोई फर्क पड़ेगा? या फिर सिर्फ नाम बदलने का खेल जारी रहेगा?

-मोहम्मद शाहिद

Dr. Bhanu Pratap Singh