उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग का 4.64 लाख बेरोजगारों से क्रूर मजाक, प्रवक्ता परीक्षा चौथी बार स्थगित, भारी आक्रोश

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 बेरोजगारों का फूटा गुस्सा, डॉक्टर देवी सिंह नरवार ने कहा, आयोग को तत्काल भंग किया जाए


बार-बार परीक्षा स्थगित, बेरोजगारों का धैर्य टूटा

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Agra, Uttar Pradesh, India, Bharat.

उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग द्वारा अशासकीय माध्यमिक विद्यालयों में प्रवक्ता (Lecturer) पद पर भर्ती हेतु 15 व 16 अक्टूबर 2025 को प्रस्तावित लिखित परीक्षा चौथी बार स्थगित कर दी गई।
इससे शिक्षित बेरोजगारों (Educated Unemployed) में गहरा आक्रोश है।
आयोग की लगातार असफलता से सरकार की छवि धूमिल (Image Tarnished) हो रही है और अध्यापकों की भर्ती का पूरा तंत्र सवालों के घेरे में आ गया है।

4.64 लाख आवेदकों की उम्मीद पर पानी

वर्ष 2022 में प्रवक्ता के 624 पदों (Posts) पर भर्ती हेतु विज्ञापन निकाला गया था, जिसके विरुद्ध 4,64,605 आवेदन प्राप्त हुए।
तीन साल से अधिक समय बीत जाने के बाद भी परीक्षा का न होना और बार-बार स्थगन ने अभ्यर्थियों के धैर्य को तोड़ दिया है।
“अब आयोग पर भरोसा खत्म हो गया है”, यह शिक्षित बेरोजगारों की सामूहिक पीड़ा है।

डॉ. देवी सिंह नरवार का कड़ा बयान

राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ उत्तर प्रदेश (National Educational Federation, UP) के संस्थापक तथा अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी साहित्य भारती (International Hindi Sahitya Bharti) के कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष डॉ. देवी सिंह नरवार ने बयान जारी कर कहा—
“साढ़े चार लाख शिक्षित बेरोजगारों (4.64 Lakh Candidates) के भविष्य से खिलवाड़ कतई बर्दाश्त नहीं होगा। बहुत से अभ्यर्थी आयु सीमा (Over Age) पार करने की चिंता में हैं।”

शिक्षा व्यवस्था चरमराई, अभ्यर्थी सड़क पर उतरने को तैयार

डॉ. नरवार ने स्पष्ट किया कि प्रदेश में पहले से ही शिक्षकों की भारी कमी है।
एक ओर विद्यालयों (Schools) में शिक्षक नहीं, दूसरी ओर बेरोजगारों की फौज (Army of Unemployed) बढ़ती जा रही है।
उन्होंने चेतावनी दी—
“अगर तुरंत भर्ती प्रक्रिया शुरू नहीं हुई तो यह आक्रोश (Anger) सड़कों पर फूट पड़ेगा।”

आयोग को भंग करने की मांग

डॉ. नरवार ने मुख्यमंत्री से मांग की है कि उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग (UP Educational Service Selection Commission) को तत्काल प्रभाव से भंग कर दिया जाए।
उन्होंने कहा कि पूर्व की भांति विद्यालय प्रबंधन (School Management) को नियुक्ति का अधिकार सौंपा जाना चाहिए।

केंद्रीकरण की व्यवस्था फेल साबित

पूर्व में उच्च शिक्षा आयोग (Higher Education Commission), माध्यमिक शिक्षा चयन बोर्ड (Secondary Education Board) और प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती बोर्ड (Primary Education Board) अलग-अलग कार्यरत थे।
लेकिन सबको एक ही आयोग में मिला दिया गया।
यह केंद्रीकरण (Centralization) व्यवस्था पूरी तरह विफल साबित हुई है।
अध्यापकों की भर्ती कराने में आयोग की अक्षमता अब साफ दिखाई देने लगी है।

✍️ संपादकीय

“बेरोजगारी केवल आंकड़े नहीं, यह युवाओं के टूटते सपनों का आईना है।”
उत्तर प्रदेश में प्रवक्ता भर्ती परीक्षा का चौथी बार स्थगन, व्यवस्था की नाकामी (System Failure) का जीवंत उदाहरण है। लाखों अभ्यर्थियों ने तीन वर्ष से तैयारी की, उम्मीदें जोड़ीं, और हर बार परीक्षा रद्द होने पर उनका मनोबल टूटा।

इस परिप्रेक्ष्य में डॉ. देवी सिंह नरवार की आवाज बेहद महत्वपूर्ण है। उन्होंने न केवल बेरोजगारों के दर्द को मुखर किया बल्कि सरकार के सामने ठोस समाधान भी रखा।
ऐसे नेतृत्व की सराहना की जानी चाहिए जो बेरोजगारों (Unemployed Youth) की आवाज़ बनकर सत्ता के गलियारों तक सच्चाई पहुंचाता है।

प्रदेश सरकार को चाहिए कि वह इस आंदोलनकारी चेतावनी को गंभीरता से ले और शिक्षकों की भर्ती तत्काल सुनिश्चित करे।
क्योंकि शिक्षा और रोजगार, दोनों ही समाज के भविष्य की आधारशिला हैं।

Dr Bhanu Pratap Singh

Dr. Bhanu Pratap Singh