आयुर्वेद में पंचफोरन को एक अच्छे मसालों की श्रेणी में रखा गया है, जिसके कई स्वास्थ्य लाभ हैं। यह पकवानों को स्वादिष्ट भी बनाता है।
हम भारतीयों में स्वाद और सेहत दोनों महत्वपूर्ण होता है, यही वजह है कि हम अपने व्यंजनों में अलग-अलग प्रकार के मसालों को शामिल करते हैं, जो हमें स्वस्थ रखने में बहुत मदद करते हैं, मसाले स्वाद को भी बढ़ा देते हैं। हम बात कर रहे हैं ऐसे मसाले की जो पांच बीजों के मिश्रण से तैयार किया जाता है, जिसे आम बोलचाल में पंचफोरन (Panch Phoron) कहा जाता है।
आयुर्वेदिक एक्सपर्ट डॉक्टर अनवेषा मुखर्जी ने पंचफोरन के बारे में विस्तार से बताया है। डॉक्टर अनवेषा ने बताया है कि पंचफोरन क्या है, इसका आयुर्वेद में क्या महत्व है और पंचफोरन खाने के फायदे क्या हैं। आइए विस्तार से जानते हैं।
पंचफोरन क्या होता है?
‘पंच’ का अर्थ है ‘5’ और फोरन का मतलब होता है ‘तड़का’। पंचफोरन 5 अलग-अलग बीजों को मिलाकर तैयार किया गया एक मिश्रण है। जिसमें मेथी, काली सरसों, जीरा, सौंफ और कलौंजी शामिल है। यह सभी बीज औषधीय गुणों से युक्त होने की वजह से सेहत के लिए बड़े ही फायदेमंद होते हैं।
आयुर्वेद में भी पंचफोरन को एक औषधि के तौर पर देखा जाता है जिसके कई फायदे हैं। भारतीय घरों में पंचफोरन का अन्य मसालों की तुलना में महत्वपूर्ण स्थान है। बंगाली रेसिपी में खासकर पंचफोरन का इस्तेमाल किया जाता है।
पकवान बनाने में किया जाता है पंचफोरन का उपयोग
किसी भी पकवान को स्वादिष्ट है सेहतमंद बनाने के लिए अधिकांश लोग पंचफोरन का उपयोग करते हैं। पकवान बनाने से पहले पंचफोरन को तेल या घी में तला जाता है। गर्म तेल से मिलने के बाद पंचफोरन फूल जाते हैं इसे तड़का देना कहते हैं। इन सभी बीजों को भूनकर बारीक पीसकर भी उपयोग किया जाता है।
– एजेंसी
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