लखीमपुर हिंसा मामले में मुख्य अभियुक्त आशीष मिश्रा की ज़मानत के खिलाफ़ सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान यूपी सरकार ने कहा कि ‘गवाहों को किसी तरह का कोई ख़तरा नहीं है’ इसलिए आशीष मिश्रा की ज़मानत को लेकर पूर्व न्यायाधीश की सिफ़ारिश पर कोई कार्रवाई नहीं की गई.
सुप्रीम कोर्ट ने सेवानिवृत्त न्यायाधीश को एसआईटी की जाँच की निगरानी के लिए नियुक्त किया था. पूर्व जज ने यूपी सरकार को सिफ़ारिश भेजी थी कि वह आशीष मिश्रा की ज़मानत को चुनौती दे.
वरिष्ठ वकील महेश जेठमलानी कोर्ट में उत्तर प्रदेश सरकार का पक्ष रख रहे थे और इस दौरान उन्होंने कहा, ‘हमने सभी गवाहों को पुलिस सुरक्षा दी है, उन्हें कोई डर नहीं है. हमने सभी 97 गवाहों से बात की और उन्होंने बताया कि वे सुरक्षित महसूस कर रहे हैं.
‘लखीमपुर हिंसा केस में गवाहों को किसी भी तरह का ख़तरा आशीष मिश्रा की ओर से नहीं है इसीलिए सिफ़ारिश पर किसी तरह का एक्शन नहीं लिया गया.’
पीड़ितों का पक्ष रखते हुए वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे ने कहा, ‘इस बात के सबूत हैं कि उन्होंने (आशीष मिश्रा) जानबूझकर वो रास्ता लिया, जहाँ किसान विरोध कर रहे थे. सबूत हैं कि महिंद्रा थार गाड़ी ने लोगों को कुचला. हाईकोर्ट ने अपने फ़ैसले में केवल गोली की चोटों फोकस किया.’
सुप्रीम कोर्ट ने लखीमपुर खीरी मामले के मुख्य अभियुक्त और केंद्रीय गृहराज्य मंत्री के बेटे आशीष मिश्रा की ज़मानत रद्द करने की मांग वाली याचिका पर आदेश सुरक्षित रखा है.
-एजेंसियां
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