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केन्द्रीय विधि एवं न्याय राज्यमंत्री प्रो. एसपी सिंह बघेल ने कोर्ट में मुकदमे लंबित रहने का कारण और अपनी ऊर्जा का रहस्य बताया, कहा- डॉक्टर की गवाही वर्चुअली हो, देखें वीडियो

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डॉ. भानु प्रताप सिंह

Agra, Uttar Pradesh, India. केन्द्रीय विधि एवं न्याय राज्यमंत्री प्रोफेसर एसपी सिंह बघेल ने न्यायालयों में मुकदमे लंबित रहने के 50 कारण गिनाए हैं। साथ ही कहा कि न्यायालयों को एडवाइजरी जारी कर रहे हैं कि डॉक्टर की गवाही वर्चुअली की जाए। उन्होंने ‘जनसंदेश टाइम्स’ के 10 सवालों के जवाब बेबाकी के साथ दिए।

Dr Bhanu Pratap Singh: आप विधि एवं न्याय राज्यमंत्री हैं। लोग कहते हैं कि आप किसी जज को फोन कर देंगे तो फैसला उनके पक्ष में हो जाएगा। ऐसा होता है क्या?

Prof SP Singh Baghel: भारत की न्यायपालिका स्वतंत्र एवं निष्पक्ष है। देश का लोकतंत्र चार पहियों पर टिका हुआ है- कार्यपालिका, विधायिका, न्यायपालिका और मीडिया। सबके अपने अधिकार हैं। ये पाकिस्तान नहीं है कि न्यायपालिका प्रभावित हो जाए।

Dr Bhanu Pratap Singh: आपके पास भी लोग सिफारिश कराने के लिए आते होंगे?

Prof SP Singh Baghel: जब मैं कानून एवं न्याय राज्यमंत्री नहीं था और जिन लोगों को पता नहीं था, लोग आते थे। न्यायालय में किसी भी प्रकार की सिफारिश करना संभव नहीं है।

Dr Bhanu Pratap Singh: आपने पूरे देश में नोटरी बनाने की बात कही थी, उसमें क्या प्रगति है?

Prof SP Singh Baghel: उत्तर प्रदेश में तीन हजार नोटरी होते थे। पहली बार जनसंख्या के अनुपात में पांच हजार नोटरी किए गए हैं। 2500 केन्द्र के और 2500 राज्य के। लोगों से अपील है कि ऑनलाइन आवेदन करें। साक्षात्कार से चयन होगा। केवल वकील ही आवेदन कर सकते हैं।

Dr Bhanu Pratap Singh: देश के अन्य राज्यों में नोटरी की क्या स्थिति है?

Prof SP Singh Baghel: जनसंख्या के अनुपात में नोटरी कम हैं तो नए बनाए जाएंगे। नोटरी का काम बहुत बढ़ गया है। विधवा, विवाह, आधार कार्ड, विकलांग पेंशन, जन्मदिन, ग्राम पंचायत सदस्य, प्रधान, बीडीसी, जिला पंचायत आदि का चुनाव लड़ना है तो नोटरी देना होगा। नोटरी छोटी-मोटी नौकरी है।

Dr Bhanu Pratap Singh: न्यायालयों पर मुकदमों का बोझ बहुत बढ़ रहा है, जिसके लिए वकीलों को जिम्मेदार ठहराया जाता है। आप क्या कहते हैं इस बारे में?

Prof SP Singh Baghel: 50 कारण हैं। हाईकोर्ट की कमी, बेंच की कमी, कॉलेजियम सिस्टम होने से न्यायाधीशों की नियुक्ति में विलम्ब, वादी तारीख पर जाने से बचता है, शरीर पर चोटें तो मेडिकल करने वाले डॉक्टर, जांच करने वाले पुलिस अधिकारी, मुकदमा करने वाले अधिकारी, फर्द पर जितने लोगों के दस्तखत हैं, उन्हें फिजिकली गवाही के लिए आना पड़ता है। इस बीच इनका तबादला दूसरे शहर में हो जाता है। जब कोर्ट से बुलावा जाता है तो तमाम कारणों से उपस्थित नहीं हो पाते हैं। वादी भी वकील से अगली तारीख लेने की बात कहता है। तभी फिल्म में लिखना पड़ा- तारीख पर तारीख। भारत का कानून कहता है कि सौ गुनहगार छूट जाएं लेकिन बेगनुनाह को सजा नहीं होनी चाहिए, इसी कारण कई चरणों में सुनवाई होती है। एक डॉक्टर एक दिन में आठ-आठ डॉक्टरी मुआयना करता है। 30 दिन एवीडेंस होती है। क्या डॉक्टर अस्पताल छोड़कर कोर्ट जाए? मृत्यु का कारण अनिश्चित है तो बिसरा की रिपोर्ट, फ्रिंगर प्रिंट की रिपोर्ट, बैलास्टिक रिपोर्ट भी आनी होती है। इन सब कारणों से विलम्ब होता है। सुप्रीम कोर्ट ने बहुत अच्छा फैसला दिया है कि मुल्जिम के कहने पर जांच नहीं बदली जाएगी। इससे पहले तो अभियुक्त जांच बदलवाने के नाम पर दो साल तक मुकदमा खींच लेता था। इस बीच वादी का गुस्सा शांत हो जाता है तो वह कोर्ट में आने से बचता है, दोनों पक्षों में समझौता हो जाता है। अब हमें वर्चुअल होना चाहिए। अब हम एडवाइजरी दे रहे हैं कि डॉक्टर की गवाही वर्चुअली कर लें।

Dr Bhanu Pratap Singh: आपने वर्चुअल सुनवाई की बात कही है, इस पर कानून नहीं बना सकते क्या?

Prof SP Singh Baghel: कानून की बात नहीं है। माननीय न्यायाधीश कहेंगे कि फिजीकली आना है तो फिजीकली आना है। डॉक्टर को सिर्फ यह कहना होता है कि हां, मैंने मेडिकली मुआयना किया था और ये चोटें थीं। डॉक्टर को किसी का नाम थोड़े ही याद रहता है।

Dr Bhanu Pratap Singh: केन्द्रीय मंत्री होने के बाद भी अति सूक्ष्म समारोहों में शिरकत कर रहे हैं, इसके पीछे क्या उद्देश्य है?

Prof SP Singh Baghel: आप हर काम के पीछे उद्देश्य ढूंढते हैं, हिडन एजेंडा क्या है, मैं एक सीधा-सादा सांसद हूँ। जिसके निमंत्रण आते हैं, मैं वहां जाता हूँ। मैं यहां का सांसद हूँ। मेरे और मतदाताओं के बीच किसी भी प्रकार का प्रोटोकॉल नहीं है। मैं ये भी ध्यान नहीं रखता कि मुझे किस हौसियत से बुलाया गया है और भीड़ कितनी होगी। जो बुलाता है, चले जाते हैं लेकिन विवादित जगह पर जाने से बचने की कोशिश करते हैं। कई बार जो प्रोटोकॉल में बहुत पीछे हैं, वे चीफ गेस्ट होते हैं, लेकिन मैं जाता हूँ।

Dr Bhanu Pratap Singh: आपने पहले साक्षात्कार में कहा था कि मंत्री बनने के बाद भी लोकसभा क्षेत्र का भ्रमण प्रभावित नहीं होगा। अब आपको पूरे देश में जाना पड़ रहा है, ऐसे में क्षेत्र का दौरा कर पा रहे हैं क्या?
Prof SP Singh Baghel: बहुत आवश्यक होता है तभी मैं दिल्ली जाता हूँ, देश का भ्रमण अलग बात है लेकिन लोकसभा क्षेत्र के भ्रमण में कोई कमी नहीं है। ढाई बजे सुबह आया हूँ। जो लोग राजनीति सीखना चाहते हैं उनके लिए कहना चाहूँगा कि सामाजिक समारोहों में बिलकुल न जाने से बहुत विलम्ब से जाना या बहुत जल्दी जाना या कम समय के लिए जाना चिट्ठी लिखने से अच्छा होता है।

Dr Bhanu Pratap Singh: आपकी उर्जा का रहस्य क्या है?

Prof SP Singh Baghel: समय की बर्बादी न करना, एनर्जी बेकार के काम में नष्ट न करना, डर्टी पॉलिटिक्स न करना, जैसे आँखों के दोनों ओर पट्टा लगाने से घोड़ा सीधा देखता है मैं उसी तरह से स्टेट फॉरवर्ड पॉलिटिक्स करता हूँ।

Dr Bhanu Pratap Singh: जिन्हें पॉलिटिक्स सीखनी है, उन्हें आपके साथ रहना चाहिए, ऐसा लगता है क्या?
Prof SP Singh Baghel: कोई किसी को क्या सिखा सकता है। जितने चुनाव जीते हैं, उतने हारे भी हैं। चुनाव हारे हैं लेकिन राजनीति कभी नहीं हारे। हां, लोगों से सीधा संपर्क है।

Dr. Bhanu Pratap Singh