डॉ. भानु प्रताप सिंह
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Agra, Uttar Pradesh, India, Bharat. मैं वह समय अच्छी तरह से जानता हूँ जब नारायण साकार विश्व हरि को सिर्फ भोले बाबा के नाम से जाना जाता था। भोले बाबा की ख्याति इतनी हो गई कि उन्हें पहले साकार विश्व हरि और इसके बाद नारायण साकार विश्व हरि के नाम से जाना जाने लगा। बाबा की शक्तियों को देखने के लिए मैं लगातार तीन दिन उनके सतसंग में गया। मुझे वह कुछ भी नहीं दिखाई दिया जैसा कि उनके अनुयायी हल्ला मचाते हैं।
क्या कहना है भक्तों को
भक्तों का कहना है कि भोले बाबा में ब्रह्मा, विष्णु और महेश का स्वरूप दिखाई देता है। कोई कहता है कि मैंने बाबा के गले में सर्फ फुंकारते हुए देखा है। कोई कहता है कि बाबा की तर्जनी पर सुदर्शन चक्र है। कोई कहता है कि बाबा के पांच सिर हैं। जितने मुँह उतनी बातें। भक्त यह भी कहते हैं कि वीडियो कैमरा वालों ने यह सब देखा है, इसी कारण वे भक्त हो गए हैं। भोले बाबा को उनके भक्त परमात्मा कहते हैं।

जो मैंने देखा
ये बातें सुनकर भोले बाबा की सत्यता परखने के लिए कोठी मीना बाजार मैदान में हुए सत्संग में तीन दिन तक गया। जिस दिन सत्संग होना था, उसी दिन मेरी पत्नी के दोनों हाथ जल गए थे। इसके बाद भी मैं लगातार तीन दिन सत्संग में गया। निकट जाकर बैठा। पत्रकार हूँ, यह बताए बिना सत्संग में गया। मुझसे कहा गया था कि बस एकटक भोले बाबा को देखते रहना, सबकुछ दिखाई देगा। मैंने यही किया। कुछ भी दृष्टिगोचर नहीं हुआ। जब मैंने इस बारे में भक्त से कहा तो उसका जवाब था कि तुममें श्रद्धा नहीं है। बात भी ठीक है, बिना श्रद्धा के कुछ भी नहीं है।
बाबा को आता है बहुत क्रोध
आवास विकास कॉलोनी में भोले बाबा का आवास था। एक प्रशासनिक अधिकारी मुझे भोले बाबा से मिलवाने ले गए। भोले बाबा बनियान और तौलिया में थे। बाबा की यह सादगी मुझे बहुत भायी। भोले बाबा के आसपास कई शिष्याएं थीं। भोले बाबा बात-बात पर क्रोधित हो रहे थे। शिष्यों से कह रहे थे कि अपनी बॉडी छूने नहीं दूंगा। यह प्रशासनिक अधिकारी भी सहमा सा दिखाई दिया। मुझे बड़ा ताज्जुब हुआ कि भोले बाबा को अपने क्रोध पर नियंत्रण नहीं है। मैंने मन ही मन कहा कि यह कैसा बाबा है, जो सिर्फ क्रोध करना जानता है।

प्रेसवार्ता की बात
आवास विकास कॉलोनी में ही भोले बाबा की प्रेसवार्ता हुई। वार्ता शुरू होने से पहले ही भोले बाबा के भक्त आ गए। उन्होंने पत्रकारों को निर्देश दिया कि भोले बाबा आएं तो सब खड़े हो जाएं और दंडवत होकर प्रणाम करें। यह सुनकर पत्रकार हँसने लगे। इस पर उसने एटा के एक पत्रकार का नाम लेकर कहा कि उससे जाकर मिलो, बाबा को हल्के में लेने पर उसका कितना नुकसान हुआ है। बाबा तो साक्षात ब्रह्मा, विष्णु, महेश हैं।
बाबा के लठैत
भोले बाबा को अपने काफिले के साथ जिस मार्ग से जाना होता है, उस मार्ग पर सेवादार तैनात हो जाते हैं। ये गुलाबी पैंट और शर्ट धारण किए रहते हैं। हाथ में लाठी होती है। मैं इन्हें लठैत कहूं तो गलत नहीं होगा। ये सेवादार भोले बाबा का काफिला आने से एक घंटा पहले मार्ग अपने कब्जे में ले लेते हैं। भोले बाबा का काफिला आते ही कािला आट्रैफिक पुलिस की तरह यातायात रोक दिया जाता है। सायरन बजाता हुआ काफिला निकलता है। इन्हें पुलिस की कोई आवश्यकता नहीं है।

घर में रुकवाने की होड़
भोले बाबा के भक्तों में होड़ लगी रहती है अपने घर में भोले बाबा को आवासित करने की। माना जाता है कि जिसके यहां भोले बाबा रुक जाते हैं, उसकी किस्मत जाग जाती है। भोले बाबा का रुकना ही गृह प्रवेश माना जाता है।
मीडिया से दूरी
भोले बाबा मीडिया से दूरी बनाकर रखते हैं। उनके कार्यक्रम की भनक मीडिया को नहीं लगती है। इसके बाद भी सत्संग में लाखों भक्त आते हैं।
पाखंड का खंडन
भोले बाबा अपने प्रवचन में कबीर दास के दोहे खूब सुनाते हैं। साथ ही पाखंड का खंडन करते हैं। इसके बाद भी उनके भक्त पाखंड करते हैं। जैसे बाबा की चरण रज लेना, जहां से बाबा गुजरते हैं, वहीं दंडवत लेट जाना आदि। सत्संग समाप्ति के बाद किस तरह से जाना है, यह भी बाबा सबको बताते हैं, इसके बाद भी हादसे हो जाते हैं।
भोलेबाबा का असली नाम
कासगंज के पटियाली थाना क्षेत्र के बहादुर नगर के निवासी ‘भोले बाबा’ का असली नाम सूरज पाल सिंह है। उनकी उम्र 70 साल है। बाबा अनुसूचित जाति जाटव समाज से हैं और यही कारण है कि उनके भक्तों में अधिकांशतः जाटव हैं।
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बाबा के शौक
भोले बाबा को महंगी कारों का शौक है। उनके पास अनेक कारें हैं, जो दूसरों के नाम पर हैं। भोले बाबा थ्री पीस सूट सफेद शूट पहनते हैं। टाई भी लगाते हैं। सर्दियों में श्वेत सफारी सूट धारण करते हैं। मंच पर उनके साथ उनकी पत्नी बैठती हैं, जिन्हें सब मां जी कहते हैं।
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