टाटा ग्रुप के गॉडफादर जमशेदजी टाटा ने इस विशाल बिजनेस साम्राज्य की नींव रखी थी। जमशेदजी टाटा जब शुरुआती दौर में तेजी से आगे बढ़ रहे थे तभी एक ऐसी घटना हुई, जिसके कारण उन्होंने अचानक फाइव स्टार खोलने की घोषणा कर दी थी।
जमशेदजी टाटा के फाइव स्टोर होटल खोलने की बात से परिवार के लोग नाराज भी हुए पर वह डिगे नहीं और मुंबई में पहले ताज होटल की नींव पड़ी। आज टाटा ग्रुप के जनक जमशेदजी टाटा का आज जन्मदिन है। आईए आपको बताते हैं जमशेदजी टाटा ने कैसे कारोबार की शुरुआत की थी। किस तरह से होटल ताज की नींव पड़ी।
गुजरात के छोटे से कस्बे में हुआ जन्म
जमशेदजी का जन्म 3 मार्च 1839 को गुजरात के छोटे से कस्बे नवसारी में हुआ था। उनके पिता का नाम नौशेरवांजी एवं उनकी माता का नाम जीवनबाई टाटा था। पारसी पादरियों के खानदान में नौशेरवांजी पहले व्यवसायी थे। जमशेदजी 14 साल की नाज़ुक उम्र में ही पिताजी का साथ देने लगे। जमशेदजी ने एल्फिंस्टन कॉलेज में दाखिला लिया और अपनी पढ़ाई के दौरान ही उन्होंने हीरा बाई डाबू के साथ विवाह बंधन में बंध गए। वह 1858 में स्नातक हुए और अपने पिता के व्यवसाय से पूरी तरह जुड़ गये।
ऐसे की कारोबार की शुरुआत
जमशेदजी टाटा ने साल 1868 में 21 हजार रुपयों से अपना खुद का बिजनेस शुरू किया था। जमशेदजी ने सबसे पहले एक दिवालिया तेल कारखाना ख़रीदा और उसे एक रुई के कारखाने में तब्दील कर दिया। इसका नाम बाद में बदलकर एलेक्जेंडर मिल रखा। दो साल बाद उन्होंने इसे खासे मुनाफ़े के साथ बेच दिया। इस पैसे के साथ उन्होंने नागपुर में 1874 में एक रुई का कारखाना लगाया था। महारानी विक्टोरिया ने उन्हीं दिनों भारत की रानी का खिताब हासिल किया था और जमशेदजी ने भी वक़्त को समझते हुए कारखाने का नाम इम्प्रेस्स मिल रखा था।
लाखों लोगों को दिया रोजगार
जमशेदजी ने 4 बड़ी परियोजनाएं लगाईं थीं। इनमें एक स्टील कंपनी, एक वर्ल्ड क्लास होटल, एजुकेशनल इंस्टीट्यूट और एक जलविद्युत परियोजना थी। इनके पीछे जमशेदजी की भारत को एक आत्मनिर्भर देश बनाने की सोच थी। हालांकि उनकी जिंदगी में सिर्फ एक ही परियोजना पूरी हो सकी, होटल ताज जो एक वर्ल्ड क्लास होटल था। बाद में उनके सपने को टाटा की आने वाली पीढ़ियों ने पूरा किया। इन्हीं परियोजनाओं के चलते टाटा ग्रुप की भारत कारोबारी हैसियत बनी।
ऐसे पड़ी होटल ताज की नींव
जमशेदजी टाटा अपने एक व्यापारी मित्र के निमंत्रण पर मुंबई के काला घोड़ा इलाके में एक होटल गए थे। लेकिन यहां पर होटल के गेट से ही उन्हें यह कहकर वापस भेज दिया गया कि यहां सिर्फ ‘गोरे’ लोग यानी अंग्रेजों को ही एंट्री मिलती है। जमशेदजी टाटा उस वक्त तो अपमान का घूंट पीकर रह गए, लेकिन उन्होंने इस बेइज्जती का बदला लेने का प्रण लिया। उन्होंने फैसला किया कि ऐसा होटल बनाएंगे जहां न केवल भारतीय बल्कि विदेशी भी बिना किसी रोक-टोक के आ-जा सकेंगे। यहीं से शुरुआत हुई होटल ताज की।
1902 में पहली बार मेहमानों के लिए खुला
16 दिसंबर 1902 में होटल ताज को पहली बार मेहमानों के लिए खोला गया। पहली बार 17 मेहमानों ने ताज में कदम रखा।। होटल ताज देश का पहला होटल था जिसे बार (हार्बर बार) और दिन भर चलने वाले रेस्त्रां का लाइसेंस मिला था। यह पहला होटल था, जहां बिजली थी। इतना ही नहीं ताज देश का पहला होटल था, जहां इंटरनेशनल स्तर का डिस्कोथेक था। जहां जर्मन एलीवेटर्स लगाए गए थे। यह पहला होटल था, जहां अंग्रेज बटलर्स हायर किए गए थे।
-एजेंसी
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