त्रिदिवसीय 6th Global taj international film festival 2024 शुरू, फिल्म इंडस्ट्री के लोग पागल होते हैं, 100 साल चलेगा फिल्म फेस्टिवल, जानिए कौन सी फिल्में दिखाई जाएंगी

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डॉ. भानु प्रताप सिंह

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Agra, Uttar Pradesh, India, Bharat. छठवां ग्लोबल ताज इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल ‘जीटिफ-2024’ (6th Global taj international film festival 2024) का गुड़हल फिल्म के साथ शुभारंभ हो गया। फेस्टिवल में 20 देशों की 100 फिल्में आई। इनमें से 30 फिल्मों का चयन किया गया है। इनका फेस्टिवल में प्रदर्शन किया जाएगा। 15 नवम्बर को प्रातः 8 बजे से फिल्मों की स्क्रीनिंग की जाएगी। इस मौके पर कहा गया कि फिल्म बनाना पागलपन है। आशा की गई कि यह फिल्म फेस्टिवल 100 साल चलेगा। फिल्म फेस्टिवल डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के विवेकानंद परिसर स्थित जेपी सभागर में 16 और 17 नवम्बर को भी चलेगा। समय है प्रातः 8 बजे से। इसका आयोजन ग्लैमर लाइव फिल्म्स एवं आईटीएचएम संस्थान, डॉ.बी.आर. आम्बेडकर विश्वविद्यालय आगरा के संयुक्त बैनर तले किया गया है।

फेस्टिवल के निदेशक, फिल्म लेखक और निर्देशक सूरज तिवारी ने कहा– कला ईश्वर से जोड़ती है। फिल्म इंडस्ट्री के लोग पागल होते हैं, तभी फिल्में बना पाते हैं। जो फिल्में स्क्रीन पर देखने को नहीं मिलती हैं, वे झकझोरने वाली होती हैं। मेरे गांव की कहानी होती है और सीख देकर जाती है। सामाजिक सरोकार वाली फिल्मों को प्राथमिकता दी गई है।

श्री पूरन डावर का स्वागत करते पत्रकार डॉ. भानु प्रताप सिंह

श्री तिवारी ने कहा कि फिल्म फेस्टिवल 1932 में वेनिस में शुरू हुआ। 1992 में भारत में शुरुआत हुई। गोवा, जयपुर, कोटा में अच्छे फिल्म फेस्टिवल होते हैं। फिल्म इंडस्ट्री 197 बिलियन डॉलर की है। भारत में 22 भाषाओं में फिल्में बनती हैं, जो 90 देशों में प्रदर्शित होती हैं। यहां पहचान बनाने में समय लगता है।

फिल्म फेस्टिवल का उद्देश्य कला को प्रचारित और प्रसारित करना है। फिल्मकारों को लोकेशन मिलती है। आगरा में फिल्म फेस्टिवल के लिए टीम 5 माह से काम कर रही है।

अग्रिम पंक्ति में गुड़हल फिल्म की टीम

जाने-माने जूता निर्यातक पूरन डावर ने कहा कि लघु फिल्म और वृत्तचित्र जीवन पर बड़ा प्रभाव डालते हैं। बड़े पर्दे की फिल्में सिर्फ मनोरंजन के लिए होती हैं जबकि लघु फिल्में समाज को आइना दिखाती हैं। उन्होंने आशा जताई कि फिल्म फेस्टिवल के 100 संस्करण चलेंगे।

ह्यूमन ड्यूटीज फाउंडेशन के अध्यक्ष और विचारक राजेंद्र सचदेवा ने दुनिया को कोई भी काम हो, पागलपन होने से सफल होता है। हर फिल्म संदेश देती है और समस्या का समाधान भी बताती है। उन्होंने कहा कि फिल्म इंडस्ट्री में ब्रेन, टैलेंट के साथ फिजिक और मनोभाव का भी ध्यान रखना होता है। खाने का भी त्याग करना होता है।

मंचासीन अतिथिगण।

डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के कुलपति के प्रतिनिधि के रूप में आए आईटीएचएम के निदेशक प्रोफेसर यूएन शुक्ला ने कहा कि फिल्म या साहित्य समाज का दर्पण नहीं, बल्कि समाज का मार्गदर्शन करते हैं। यह फिल्म फेस्टिवल शहर की छवि बनाने का काम भी कर रहा है। खुशी है कि यह विश्वविद्यालय के साथ हो रहा है।

मुंबई से आए फिल्म और टीवी कलाकार हेमंत पांडे ने सबके नाम की तालियां बजवाईं। उन्होंने कहा कि बदलाव सरकार से नहीं, संस्कार से आता है। इस फिल्म फेस्टिवल से नया विजन मिलेगा। जो लोग सिनेमा जगत में जाना चाहते हैं, उनके लिए बीजारोपण हो गया है। उन्हें मुंबई आने की जरूरत नहीं है।

 

आयुध फैक्टरी हजरतपुर के महाप्रबंधक एसएस कुमावत ने एक लाइन में बात कही, फिल्में देखें और एंजॉय करें।

गणेश वंदना प्रस्तुत करते कलाकार।

संचालन करते हुए दीपक जैन ने कहा कि कलाकार पागल होता है और तभी कुछ कर पाता है। जीवन के अंतिम समय में भी कलाकार काम ही करना चाहते हैं। फिल्म फेस्टिवल में अलग-अलग विधाओं की हस्तियां एक ही प्लेटफार्म पर हैं।

रघुनाथ मानेंट (फ्रांस के म्यूजिक कंपोज़र,एक्टर) स्विटजरलैंड से आए एक्टर और डायरेक्टर उवे सचजवारवल्डर, कांगो अफ्रीका से आए डायरेक्टर रिचर्ड, फिल्म एन्ड टी वी एक्टर मुंबई के निखिल शर्मा, फिल्म निर्देशक आगरा के रंजीत सामा भी मंचासीन रहे। अतिथियों का स्वागत कवयित्री श्रुति सिन्हा, जितेंद्र, पत्रकार डॉ. भानु प्रताप सिंह, कवि ईशान देव, गीतकार संजय दुबे, शरद गुप्ता, सुनील, अरविंद गुप्ता हरीश ललवानी आदि ने किया। बृज संवाद पत्रिका के संपादक विजय गोयल की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।

इससे पहले अतिथियों ने दीप प्रज्ज्वलित किया। कालिंदी डांस अकादमी से गणपति वंदना प्रस्तुत की गई।

शास्त्रीय नृत्य की अद्भुत प्रस्तुति।

फाल्के अवार्ड भी मिलेगा

समारोह में दादा साहेब फाल्के लाइफ टाइम अचीवमेंट अवॉर्ड और दादा साहब की पत्नी सरस्वती (जो भारतीय फिल्म जगत की पहली तकनीशियन थीं) को समर्पित एक अवॉर्ड पिछले वर्ष भी दिया गया था, जिसे इस वर्ष भी दिया जाएगा। शुरुआत इसी समारोह से हुई है। यह पुरस्कार सिनेमा में योगदान करने वाली महिला तकनीशियन या महिला कलाकार को दिया जाता है।

लेखक, साहित्यकार, फिल्मकारों का आना-जाना रहेगा

तीन दिनी इस समारोह में देश-विदेश के निर्माता, निर्देशक, प्रोडक्शन हाउस, लेखक, अभिनेता भी हिस्सा लेंगे। इन लोगों को आगरा और उसके आस-पास में उपलब्ध शूटिंग की लोकेशन भी दिखाई जाएगी। जिससे भविष्य में वे यहां फिल्मों को शूट करने का विचार बना सकें। इससे शहर और प्रदेश को पहचान मिलेगी। फिल्म, पर्यटन आदि संबंधित उद्योगों  को भी बढ़ावा मिलेगा। उत्तर प्रदेश में फिल्म सिटी बनाने का ऐलान हुआ है, उस से शूटिंग का माहौल बनना शुरू हो गया है। फेस्टिवल उस राह में मददगार साबित होगा। फिल्मकारों को आगरा लाकर यहाँ की लोकेशन्स को एक्सप्लोर कराने का काम फी फिल्म फेस्टिवल कर रहा है।

नृत्य कलाकारों का स्वागत करते सूरज तिवारी।

इन देशों की फिल्में आ चुकीं

समारोह में इटली पुर्तगाल, फ्रांस, यू.एस.ए., अफ्रीका, बांग्लादेश, नेपाल, कनाडा, जर्मनी, नोरवे की फिल्में आ चुकी हैं। इसके साथ ही भारत के लगभग सभी प्रदेशों की फिल्म्स आ रही है, जिनका चयन के बाद स्क्रीन किया जाएगा।

विशेष सम्मानित अतिथि

विफपा मुम्बई के रविंद्र अरोरा, संनेहाली पांचाल मुंबई, फ्रांस से मानेंट, स्विटजरलैंड से उवे, कांगो से रिचर्ड, स्विटजरलैंड से श्रुति, गोवा से संदीप कोटेचा आदि समारोह के सम्मानित अतिथि हैं।

 

 

Dr. Bhanu Pratap Singh