Pradeep Khandelwal

ये हैं उद्यान विभाग से पंगा लेने वाले, पालीवाल पार्क बचाने में जुटे प्रदीप खंडेलवाल, निःशुल्क पौधे बाँटने वालों से होशियार रहने को कहा

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 Agra, Uttar Pradesh, India, Bharat. पौधारोपण की तैयारी चल रही है। वन विभाग ने गड्ढे खोद दिए हैं। साथ ही निःशुल्क पौधा वितरण की बात भी हो रही है। इस बारे में प्रकृति संरक्षण के लिए समर्पित प्रदीप खंडेलवाल ने सबको सावधान किया है। वही प्रदीप खंडेलवाल जो ईको क्लब के कर्ता-धर्ता हैं और पालीवाल पार्क को बचाने की चिंता में घुले जा रहे हैं। पर्यावरण संरक्षण की सेवा तन, मन और धन से जीवनपर्यंत करते रहने का प्रण लिया है। वे नगर निगम की ओर से ब्रांड अंबेसडर भी घोषित हैं।

नगर निगम के खिलाफ विरोध का झंडा उठाया

बता दें कि पालीवाल पार्क में नगर निगम द्वारा रेहड़ी वालों के लिए पक्के निर्माण किए जा रहे थे। केवल प्रदीप खंडेलवाल ने विरोध का झंडा उठाया। अंततः नगर निगम को अपना निर्णय वापस लेना पड़ा। वे पालीवाल पार्क में सूक्ष्म से भी सूक्ष्म समस्याओं का ध्यान रखते हैं। अफसरों से लड़ जाते हैं। यह तो आप जानते ही होंगे कि अफसरों से वही लड़ सकता है, जिसका अपना कोई स्वार्थ न हो।

राजकीय उद्यान विकास समिति आगरा के सदस्य रहे

प्रारम्भ से राजकीय उद्यान विकास समिति आगरा के सदस्य रहे हैं। राजकीय उद्यानों विशेष रूप से राजकीय उद्यान पालीवाल पार्क और राजकीय उद्यान संजय पार्क (संजय प्लेस) का विकास करने का हर संभव प्रयास किया है। जनता के सहयोग से ही विकास सम्भव हुआ। वे मानते हैं कि विगत 10 वर्षों में सभी ने भरपूर सहयोग किया है।

संजय उद्यान को मॉल में मिलाने का विरोध

पर्यावरण संरक्षण के लिए उद्यान विभाग से पंगा लिया। पालीवाल पार्क के अमरूद वाले बाग पर मुखर विरोध किया। संजय प्लेस स्थित संजय उद्यान को कॉस्मोस मॉल में मिलाने का षड्यंत्र का भी विरोध राजकीय उद्यान विकास समिति की बैठक में कर चुके हैं। इस कारण कई लोग उनके पीछे पड़ गए हैं। मन तो दुखी है लेकि हिम्मत नहीं हारी है। वे कहते हैं- अमरूद के बाग को उजाड़ कर नई योजना का विरोध हर स्तर पर करेंगे।

Pradeep Khandelwal agra
प्रदीप खंडेलवाल के साथ सेल्फी

अब ये काम नहीं करेंगे

अफसरों के क्रियाकलापों से दुखी प्रदीप खंडेलवाल कहते हैं- अब हम भविष्य में कभी भी न कूड़ा उठाएंगे, न झाड़ू लगाएंगे, न बेंचों और टिन शेड की सफाई की चिंता करेंगे। न गलत हरकत करने वालों से रोका-टोकी करेंगे। 10 वर्ष बहुत तन, मन और धन से सेवा की इसका प्रतिफल उद्यान विभाग ने पालीवाल पार्क का विकास में सहयोग की जगह वैमनस्य निकाला है। नगर निगम को स्ट्रीट लाइट्स चालू रखने या सही करने की प्रार्थना भी नहीं करेंगे या सड़कों से कचरा उठाने की कहेंगे। न आगरा विकास प्राधिकरण से कोई प्रार्थना करेंगे। ये सभी कार्य उद्यान विकास समिति के नवीन सदस्य करेंगे और अधिकारियों से करवाएंगे।

साक्ष्य के लिए वीडियो बनाएंगे

पौधारोपण के लिए भी पहली बार गड्ढे करने पर राजकीय उद्यान अधीक्षक ने आपत्ति की है, इसलिए अब और गड्ढे या पौधारोपण भी नहीं करेंगे। पौधारोपण इस वर्ष राजकीय उद्यानों से बाहर करेंगे। केवल मूकदर्शक रहकर इनकी गतिविधि की वीडियो बनाते रहेंगे साक्ष्य के लिए।

आगरा स्वच्छता सर्वेक्षण में प्रथम कैसे आए

20 जून को नगर निगम ने ब्रांड एंबेसडर की जूम मीटिंग की। इसका हवाला देते हुए उन्होंने नगर आयुक्त को लिखा है- सार्वजनिक उद्यानों में व्याप्त प्लास्टिक, पॉलीथिन, कचरा इत्यादि का प्रबंधन किया जाए, सूखी पत्तियों से कम्पोस्ट खाद बनाया जाए, सार्वजनिक पार्कों में शौचालय, मूत्रालय का उचित प्रबंधन हो तो स्वच्छता सर्वेक्षण में अंक प्रदान होंगे। आगरा के सार्वजनिक उद्यानों को भी नोटिस सर्व किया जाना चाहिए ताकि संबंधित सार्वजनिक पार्कों से संबंधित सरकारी विभाग स्वच्छता के लिए सक्रिय हों और आगामी स्वच्छता सर्वेक्षण में आगरा नगर निगम को प्रथम स्थान प्राप्त हो।

वॉट्सअप ग्रुप प्रकृति परिवर में प्रदीप खंडेलवाल ने लिखा है-

होशियार रहें। आगरा की कुछ ट्रस्ट /NGO/बड़े प्रतिष्ठित समाज सेवी आपको पौधे लगाने को निःशुल्क देंगे। आप उनसे पौधे अवश्य लें किंतु साथ में ट्री गार्ड भी मांगें। इन बड़े लोगों को निःशुल्क पौधों के साथ निःशुल्क ट्री गार्ड भी अनुपात में मिलते हैं जिनको ये नही बांटेंगे, आपको केवल पौधे देंगे। मेरे पास आगरा की ऐसी 3 संस्थाओं के परसों से फोन आ रहे हैं, जिनको मेरे द्वारा हमेशा की तरह मना कर दिया गया है। निःशुल्क पौधे दें तो निःशुल्क ट्री गार्ड भी उपलब्ध कराएं और काम से काम 6/7 फीट की ऊंचाई का ही पौधा लें।

डॉ. हरेंद्र गुप्ता ने टिप्पणी की है

अंधेर नगरी, पैसे का बंदरबांट, पिछले तीन साल से तो मैं देख रहा हूं कि हर साल 35 करोड़ से ज्यादा पेड़ लगाए जाते हैं, पर वो कहां गए कुछ भी नहीं पता, पहले उनका ऑडिट ही करवा लिया जाए, उसके बाद ही वृक्षारोपण हो तो ज्यादा उचित रहेगा।

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Dr. Bhanu Pratap Singh