राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के जयपुर अधिवेशन में उठा पुरानी पेंशन बहाली और TET से मुक्ति का मुद्दा

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राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के जयपुर अधिवेशन में उठा पुरानी पेंशन और TET से मुक्ति का मुद्दा

अधिवेशन का भव्य आयोजन

आगरा। अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ का 9वां त्रिवार्षिक राष्ट्रीय अधिवेशन राजस्थान प्रांत के जयपुर जनपद के जामडोली स्थित केशव विद्यापीठ में आयोजित हुआ। इस अधिवेशन का उद्धाटन राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने किया। पूरे देश से आए शिक्षक प्रतिनिधियों ने इस आयोजन में भाग लिया।

शिक्षकों की समस्याओं पर खुलकर चर्चा

तीन दिवसीय कार्यक्रम में प्रतिभाग करते हुए संगठन के जिला अध्यक्ष डॉ. योगेन्द्र सिंह ने बताया कि अधिवेशन में शिक्षकों की समस्याओं पर गंभीर चर्चा हुई। अधिवेशन में सभी प्रांतों के पदाधिकारियों द्वारा सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार 1 सितम्बर से शिक्षकों के लिए अनिवार्य टीईटी के मुद्दे पर केन्द्रीय नेतृत्व से भारत सरकार से समाधान कराने का आग्रह किया गया।

पुरानी पेंशन बहाली पर ज़ोर

शिक्षक प्रतिनिधियों ने एक स्वर में पुरानी पेंशन बहाली की मांग रखी। उनका कहना था कि नई पेंशन योजना शिक्षकों के भविष्य के साथ अन्याय है। इस मुद्दे पर केन्द्र सरकार से वार्ता कर शीघ्र निर्णय लेने की आवश्यकता जताई गई।

तीन प्रस्तावों पर सर्वसम्मति

अधिवेशन में मंगलवार को तीन मुख्य प्रस्ताव ध्वनिमत से पारित किए गए। इन प्रस्तावों में —

1. पुरानी पेंशन बहाली,

2. आरटीई लागू होने से पहले नियुक्त शिक्षकों को टीईटी परीक्षा से मुक्त करने,

3. और शिक्षक हितों की सुरक्षा से जुड़े अन्य मुद्दे शामिल थे।

अधिवेशन में ग्रुप फोटो तो बनता है।

शिक्षक की भूमिका पर विमर्श

अधिवेशन में राष्ट्र निर्माण में शिक्षक की भूमिका और राष्ट्रीय शिक्षा नीति के प्रभावी क्रियान्वयन पर विस्तृत विचार-विमर्श हुआ। वक्ताओं ने कहा कि यदि शिक्षक को सम्मान और सुरक्षा दी जाए, तो वह राष्ट्र के भविष्य को दिशा दे सकता है।

समापन समारोह

अधिवेशन का समापन राज्यसभा सांसद डॉ. सुधांशु त्रिवेदी के प्रेरणादायी वक्तव्य के साथ हुआ। उन्होंने शिक्षकों को राष्ट्र की आत्मा बताया और कहा कि शिक्षक केवल किताब नहीं पढ़ाता, वह पीढ़ियाँ गढ़ता है।

प्रतिभागियों की उपस्थिति

इस अवसर पर रमेश यादव, तिलक पाल चाहर, रामकुमार चाहर, श्रीमती पूनम करीरा, श्रीमती प्रीति सिंह, अनिल सोलंकी, योगेश कुमार, सत्यवीर सिंह सहित कई शिक्षक नेताओं ने सक्रिय भागीदारी की।


️ संपादकीय — शिक्षकों की मांगें न्यायसंगत हैं

राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के जयपुर अधिवेशन ने एक बार फिर स्पष्ट कर दिया है कि देश का शिक्षक केवल अपने लिए नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए संघर्ष कर रहा है। पुरानी पेंशन बहाली और टीईटी से पूर्व नियुक्त शिक्षकों को छूट जैसी मांगें केवल सुविधाएं नहीं, बल्कि न्याय हैं।

सरकार को यह समझना होगा कि यदि शिक्षक असुरक्षित महसूस करेगा, तो शिक्षा व्यवस्था कभी स्थिर नहीं रह सकती। नई पीढ़ी को मजबूत करने के लिए उस स्तंभ को मजबूत करना जरूरी है, जिस पर पूरी शिक्षा व्यवस्था टिकी है।

शिक्षाविदों का संघर्ष इस दिशा में प्रेरणा देता है कि शिक्षक को उसका सम्मान और अधिकार दोनों मिलें। अब समय आ गया है कि सरकार संवाद की पहल करे और शिक्षकों की इन मांगों को संवेदनशीलता से पूरा करे — क्योंकि “शिक्षक का सम्मान, राष्ट्र का उत्थान” सिर्फ नारा नहीं, एक सच्चाई है।

Dr Bhanu Pratap Singh

Dr. Bhanu Pratap Singh