Mathura (Uttar Pradesh, India)। मथुरा। देशभक्ति दिखाने का अलग अलग तरीका आप अपना सकते हैं आपके पास अवसर होना चाहिए। कोरोना संकट काल में भी देशभक्ति दिखाने के लिए आपके पास पक्का इरादा और मौका होना चाहिए। ऐसे ही इस संकट काल में एक चिकित्सक ने कोरोना काल को भी देशभक्ति का जरिया बना लिया उसने मरीजों के इलाज में अपनी पूरी ताकत झौंक दी और अपना अनुभव, के साथ जजबा दिखा दिया।
अपनी प्राइवेट प्रेक्टिस को बंद कर अस्पताल के मरीजों पर ही पूरा ध्यान केन्द्रित कर दिया
नौजवान चिकित्सक ने कोरोना के मरीजों के इलाज में अपनी पूरी योग्यता को दिखा दिया। इस चिकित्सक ने कोरोना वायरस की प्रकृति को समझने, निकट भविष्य में इसकी वेक्सीन आने के बाद समाज की स्थिति का अध्ययन करने, चिकित्सा जगत में आने वाले बदलाब आदि सवालों को लेकर मन में जबरदस्त उथल पुथल है। शहर के अनेक निजी चिकित्सकों ने कोरोना काल में अपनी फीस पिछले दो तीन महीनों में हुए घाटे और संक्रमण के खतरे को सामने रख कर बढ़ा दी है जबकि इस चिकित्सक ने अपनी प्राइवेट प्रेक्टिस को बंद कर अस्पताल के मरीजों पर ही पूरा ध्यान केन्द्रित कर दिया।
300 कोरोना मरीजों में से लगभग 250 मरीजों की सकुशल घर वापिसी करा चुके डा. सौरभ
डा. सौरभ सिंघल नामक उत्साही चिकित्सक अनुभवी फिजिसियन हैं, तथा के. डी मेडिकल कॉलेज में सीनियर प्रोफेसर हैं और पिछले 5 माह से कालेज के हॉस्पिटल में बनाये गए कोविड सेंटर के इंचार्ज भी हैं। कोबिड अस्पताल में दाखिल हुए अब तक 300 कोरोना मरीजों में से लगभग 250 मरीजों की सकुशल घर वापिसी करा चुके डा. सौरभ पिछले पांच सालों से अपने व्यवहार और इलाज से अच्छी खासी लोकप्रियता हासिल कर चुके हैं, यही कारण हैं इस महामारी के चलते इसकी की बागडोर डा. सौरभ को सौंपी गई हैं। अस्पताल प्रवंधन डा. सौरभ की लगन और मेहनत से बेहद संतुष्ट है।
डा. सौरभ के मन में अपने कठिन काम से न कोई ऊब हैं और न थकान
भारी-भरकम और तकलीफदेह पीपीई किट उतार कर डा. सौरभ अपने खाली वक्त में दुनिया भर में इस महामारी से निपटने के लिए किये जा रहे उपायों की बारीकी से जानकारी इकठ्ठा कर रहे हैं। कोरोना के मरीज को किस स्टेज में कौन सी दवा कैसे दी जा रही है आदि जरूरी बातों को भी वह अपने जेहन में रखे हुए हैं। डा. सौरभ के मन में अपने कठिन काम से न कोई ऊब हैं और न थकान। ज्यादा काम के बदले डा. सौरभ को कोई अतिरिक्त आर्थिक लाभ भी नहीं मिल रहा है, फिर भी वह या तो मरीजों की वाहवाही में ही मगन हैं।
त्योहार गुजरने के वाद कोरोना मरीजों की संख्या बढ़ने का अंदेशा पैदा हो गया है
डा. सौरभ का कहना है कि जनमानस को हम जिस गति से शिक्षित कर सकेंगे, इस महामारी का सामना हम उतने ही बेहतर तरीके से कर सकेंगे। पिछले दिनों रक्षाबंधन और ईद के दो त्योहार गुजरे हैं। बंदिशों के बाबजूद लोग आपस में खूब मिले जुले हैं। इसके नतीजे यानि कोरोना मरीजों की संख्या बढ़ने का अंदेशा पैदा हो गया है। सितम्बर के अंत में कोरोना के चरम पर आने की बात कही जा सकती है। इसके बाद इसके नीचे आने में भी चार से छह माह का वक्त लगेगा। कोरोना आया है तो जायेगा नहीं। इसका आतंक कम होगा, लेकिन पहले से मौजूद बीमारियों में यह बीमारी और जुड़ गई है।
आज कोरोना अभिशाप है, कल यही वरदान बनी दिखाई देगी
डा. सौरभ ने कहा है कि यह बीमारी हमें प्रदूषण से मुक्त आकाश में श्वांस लेकर सफाई से रहने की कला सिखा रही है। यह कला हमें पहले से मौजूद दूसरी बीमारियों से भी निजात दिलाएगी। कह सकते है आज कोरोना अभिशाप बन सुरसा जैसा मुंह फाडे खड़ी है, कल यही वरदान बनी दिखाई देगी।
चिकित्सकों को मरीज को दवा लिखने के साथ कुछ क्षण सलाह-मशवरे में भी निकालना होगा
डा. सौरभ की राय है कि मरीज अपने डाक्टर की सलाह पर बहुत यकीन करता है। ऐसे में सभी चिकित्सकों को मरीज को दवा लिखने के साथ कुछ क्षण सलाह-मशवरे में भी निकालना होगा। कोरोना से बचाव के लिए भी बार-बार कहना होगा। चिकित्सकों की इस पहल पर समाज का बहुत भला होगा।
मथुरा में ही पले बढे हैं और जीवन ब्रज में ही गुजारने का उनका इरादा है
डा. सौरभ ने पी जी आई चंडीगढ़ से एम डी करने के बाद दिल्ली में कई प्रतिष्ठित व आधुनिक अस्पतालों को अनेक वर्षों तक अपनी सेवाएं देने के बाद 2015 से मथुरा में तैनात हैं। डा. सौरभ ने मथुरा के कृष्ण नगर में अपना निजी क्लिनिक भी शुरू किया था। लेकिन कोरोना के चलते अब सिर्फ अपने आप को के डी अस्पताल तक ही सीमित कर रखा है। खुशी की बात यह है कि सामाजिक चेतना से लबरेज डा. सौरभ मथुरा में ही पले बढे हैं और जीवन की लम्बी पारी ब्रज में ही खेलेंगे का उनका इरादा भी है।
के डी हॉस्पिटल में कोरोना मरीज अपने प्लाज्मा को खुशी पूर्वक डोनेड कर रहे हैं
खुशी की बात यह हैं मथुरा का के डी हॉस्पिटल अब कोरोना के इलाज के लिए पूरी तरह तैयार हो चुका हैं। यहाँ कोविड टेस्टिंग की मशीन के साथ प्लाज्मा डोनेड करने की आधुनिक मशीने लग चुकी हैं। यहाँ इलाज करा चुके कोरोना मरीज अपने प्लाज्मा को खुशी पूर्वक डोनेड कर रहे हैं।
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