आगरा के धनौली की दिशा और दशा: नगर निगम, नगर पालिका या कैंटोनमेंट—क्या होगा भविष्य?

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ग्रामीणों की मुखर आवाज: नगर निगम नहीं, नगर पालिका चाहिए

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Agra, Uttar Pradesh, India, Bharat. आगरा महानगर के सीमावर्ती क्षेत्र धनौली (धनौली सी.टी.) के प्रशासनिक स्वरूप को लेकर ग्रामीणों में असंतोष बढ़ता जा रहा है। जनपद के अन्य सीमांत गांवों की तरह इसे भी नगर निगम सीमा में समाहित करने की योजना पर स्थानीय नागरिकों ने तीव्र आपत्ति जताई है। उनका तर्क है कि नगर निगम के संसाधनों पर पहले से ही अत्यधिक दबाव है, और ऐसे में नए गांवों को इसमें शामिल करना नागरिकों के लिए किसी भी प्रकार से लाभप्रद नहीं होगा। ग्रामीणों की स्पष्ट मांग है कि धनौली को नगर निगम का हिस्सा बनाने के बजाय एक स्वतंत्र नगर पालिका परिषद घोषित किया जाए।

विकास बनाम अस्तित्व: सामूहिक बैठक में गूंजे तर्क और चिंताएँ

27 मार्च को वरिष्ठ नेता तुलाराम शर्मा के निवास पर एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई, जिसमें धनौली, बल्हेरा, अभयपुरा और मलपुरा सहित अन्य प्रभावित गांवों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इस बैठक में एयरफोर्स स्टेशन खेरिया के विस्तार, सिविल एयरपोर्ट शिफ्टिंग प्रोजेक्ट और कृषि भूमि अधिग्रहण जैसे विषयों पर विस्तार से चर्चा हुई।

ग्रामीणों ने बताया कि कमाल खां से मलपुरा तक का समूचा क्षेत्र कृषि आधारित था, लेकिन एयरफोर्स स्टेशन के विस्तार और सरकारी परियोजनाओं के कारण खेती पूरी तरह समाप्त हो रही है। धनौली में तो पहले ही अधिकांश किसानों ने कृषि कार्य त्याग दिया है, और अब यही स्थिति बल्हेरा तथा अभयपुरा के किसानों की भी होने जा रही है।

बेरोजगारी और विस्थापन: मुआवजे के बाद भी अधर में भविष्य

सिविल एयरपोर्ट शिफ्टिंग प्रोजेक्ट के तहत बड़े पैमाने पर खेती की जमीनों का अधिग्रहण हो चुका है। हालांकि, प्रभावित किसानों को मुआवजा तो दिया गया, किंतु उनके लिए कोई वैकल्पिक रोजगार योजना नहीं बनाई गई। इससे बेरोजगारी की समस्या गंभीर हो गई है और लोग आजीविका के लिए संघर्ष कर रहे हैं।

नगर निगम में विलय या नगर पालिका का गठन?

बैठक में वक्ताओं ने स्पष्ट रूप से कहा कि यदि इन गांवों को नगर निगम सीमा में सम्मिलित कर दिया गया, तो वे मात्र एक या दो वार्डों में सिमटकर रह जाएंगे। ऐसे में नागरिकों को पेयजल, सीवरेज, सड़कें, और अन्य आधारभूत सुविधाएँ प्राप्त करना भी कठिन हो जाएगा। साथ ही, गृह कर, जलकर, सीवर टैक्स और अन्य सर्विस चार्ज जैसे करों का अतिरिक्त बोझ भी ग्रामीणों पर पड़ेगा।

इसके विपरीत, यदि नगर पालिका परिषद का गठन किया जाए, तो नागरिकों को अपने क्षेत्र के प्रशासन और विकास संबंधी निर्णयों में अधिक प्रभावी भागीदारी मिल सकेगी। इसके अलावा, नगर निगम के मुकाबले कर भार भी कम रहेगा, जिससे स्थानीय जनता को राहत मिलेगी।

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जलभराव: धनौली की सबसे विकराल समस्या

धनौली सी.टी. जनपद की सबसे बड़ी ग्राम सभा है, लेकिन इसकी सबसे बड़ी समस्या जलभराव है। मानसून के दौरान खेरिया मोड़ से आने वाला पानी पूरे क्षेत्र को जलमग्न कर देता है। जल निगम द्वारा एक नाला अवश्य बनाया गया था, किंतु उचित निकासी व्यवस्था न होने के कारण समस्या जस की तस बनी हुई है।

क्या धनौली बनेगा कैंटोनमेंट एरिया?

बैठक में एक महत्वपूर्ण प्रस्ताव यह भी रखा गया कि धनौली और उसके आसपास के क्षेत्रों को ‘एयरफोर्स कैंटोनमेंट’ के रूप में विकसित किया जाए। इस विषय पर गहन मंथन हुआ, क्योंकि खेरिया एयरफोर्स स्टेशन, सिविल एन्क्लेव, बम डंप, मलपुरा ड्रॉप ज़ोन और पैरा ट्रेनिंग स्कूल (पी.टी.एस.) जैसे प्रमुख रक्षा प्रतिष्ठान इस क्षेत्र में स्थित हैं। यदि यह क्षेत्र कैंटोनमेंट घोषित हो जाता है, तो यहां का विकास एक नियोजित सैन्य क्षेत्र के रूप में किया जा सकता है।

क्या होगा धनौली का भविष्य?

बैठक में सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया गया कि यदि सरकार धनौली की यथास्थिति बनाए नहीं रख सकती, तो इसे नगर निगम में सम्मिलित करने के बजाय नगर पालिका परिषद का रूप दिया जाए। इससे नागरिकों को अधिक सुविधाएँ मिलेंगी और वे स्थानीय प्रशासन में अपनी भागीदारी सुनिश्चित कर सकेंगे।

बैठक में उपस्थित गणमान्य व्यक्ति: तुलाराम शर्मा, बृजेन्द्र सिंह, हरि शर्मा, अशोक कुमार शर्मा, राम गोपाल शर्मा, तारा चंद, सुखराम, नीरज कुमार शर्मा, महेश चंद शर्मा, लोकेश कुमार, तेज सिंह बघेल, सिविल सोसायटी ऑफ आगरा के अध्यक्ष डॉ. शिरोमणि सिंह, सेक्रेटरी अनिल शर्मा, राजीव सक्सेना और असलम सलीमी आदि।

अब सरकार के फैसले का इंतजार

अब देखना यह होगा कि प्रशासन धनौली को नगर निगम का हिस्सा बनाकर संसाधनों का और अधिक बंटवारा करता है या फिर इसे एक स्वतंत्र नगर पालिका का स्वरूप देकर विकास का एक नया मॉडल प्रस्तुत करता है। क्या धनौली को कैंटोनमेंट घोषित करने की संभावनाएं बलवती होंगी या फिर यह अपने अस्तित्व की लड़ाई में अकेला खड़ा रहेगा? आने वाले दिनों में सरकार का रुख इस पर अंतिम निर्णय करेगा।

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संपादकीय टिप्पणी: धनौली के भविष्य का सवाल: प्रशासनिक अनदेखी या सुविचारित विकास?

धनौली (धनौली सी.टी.) और उसके आसपास के गांवों का भविष्य एक महत्वपूर्ण मोड़ पर खड़ा है। प्रशासन इसे नगर निगम सीमा में शामिल करने की योजना बना रहा है, लेकिन स्थानीय नागरिकों की राय इससे भिन्न है। वे चाहते हैं कि धनौली को नगर पालिका परिषद का दर्जा दिया जाए, ताकि विकास योजनाओं में उनकी प्रभावी भागीदारी हो और उन पर अनावश्यक करों का बोझ न बढ़े। इस मांग के पीछे केवल भावनात्मक तर्क नहीं, बल्कि ठोस प्रशासनिक और आर्थिक आधार भी है।

नगर निगम में विलय: सुविधा या संकट?

नगर निगम में सम्मिलित होने का अर्थ केवल एक नई पहचान नहीं, बल्कि अतिरिक्त करों, प्रशासनिक जटिलताओं और सुविधाओं की अनिश्चितता भी है। पहले से ही नगर निगम संसाधनों की कमी से जूझ रहा है। अगर धनौली और आसपास के गांव इसमें समाहित होते हैं, तो इन क्षेत्रों को बुनियादी सुविधाएँ मिलने की संभावना और भी कम हो जाएगी। विकास के नाम पर यदि जनता को केवल करों का बोझ उठाना पड़े और सुविधाएँ न मिलें, तो यह विकास नहीं, प्रशासनिक विफलता होगी।

जलभराव और बेरोजगारी: अनसुलझे सवाल

धनौली की सबसे विकराल समस्या जलभराव है, जिसे वर्षों से नजरअंदाज किया जा रहा है। मानसून में खेरिया मोड़ से आने वाला पानी पूरे क्षेत्र को जलमग्न कर देता है, और जल निकासी की कोई ठोस व्यवस्था नहीं की गई। इस बुनियादी समस्या का समाधान किए बिना यदि इसे नगर निगम में सम्मिलित किया जाता है, तो स्थिति और अधिक विकराल हो सकती है।

दूसरी बड़ी समस्या बेरोजगारी की है। एयरफोर्स स्टेशन के विस्तार और सिविल एयरपोर्ट शिफ्टिंग प्रोजेक्ट के कारण हजारों एकड़ कृषि भूमि अधिग्रहित हो चुकी है। सरकार ने किसानों को मुआवजा तो दिया, लेकिन उनके पुनर्वास और रोजगार के लिए कोई ठोस योजना नहीं बनाई। क्या मात्र पैसे का भुगतान करके सरकार अपनी जिम्मेदारी से मुक्त हो सकती है? जिन लोगों का जीवन कृषि पर निर्भर था, वे अब रोज़गार की तलाश में भटक रहे हैं। ऐसे में, विकास परियोजनाओं की सफलता तभी मानी जाएगी जब प्रभावित परिवारों को आजीविका के लिए नए अवसर मिलें।

क्या कैंटोनमेंट समाधान हो सकता है?

बैठक में यह विचार भी सामने आया कि धनौली को एयरफोर्स कैंटोनमेंट घोषित किया जाए। यह प्रस्ताव इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह क्षेत्र पहले से ही एयरफोर्स स्टेशन, बम डंप, मलपुरा ड्रॉप ज़ोन और पैरा ट्रेनिंग स्कूल (पी.टी.एस.) जैसे महत्वपूर्ण रक्षा प्रतिष्ठानों के अंतर्गत आता है। यदि इसे कैंटोनमेंट घोषित किया जाता है, तो क्षेत्र का नियोजित विकास संभव हो सकता है और सुरक्षा मानकों के अनुरूप बुनियादी ढांचे का निर्माण भी किया जा सकेगा।

समाधान क्या है?

  1. धनौली को नगर निगम में सम्मिलित करने के बजाय इसे नगर पालिका परिषद का दर्जा दिया जाए।
  2. जलभराव की समस्या का स्थायी समाधान किया जाए।
  3. विस्थापित किसानों और बेरोजगार हुए लोगों के लिए वैकल्पिक रोजगार योजनाएँ बनाई जाएँ।
  4. यदि क्षेत्र की भौगोलिक और सामरिक स्थिति को ध्यान में रखा जाए, तो इसे एयरफोर्स कैंटोनमेंट घोषित करने की संभावनाओं पर गंभीरता से विचार किया जाए।

प्रशासन को यह समझना होगा कि विकास केवल कागज़ी योजनाओं से नहीं होता, बल्कि जमीनी हकीकत और जनता की जरूरतों को समझकर किया जाता है। यदि धनौली और इसके आसपास के गांवों को बिना किसी ठोस रणनीति के नगर निगम में मिला दिया गया, तो यह विकास नहीं, बल्कि एक नए संकट की शुरुआत होगी। सरकार को चाहिए कि वह जनता की मांग को सुने, उनकी समस्याओं को समझे और उनके हितों के अनुरूप निर्णय ले। अन्यथा, यह अनसुनी आवाजें एक दिन बड़े जनांदोलन का रूप ले सकती हैं।

 

Dr. Bhanu Pratap Singh