2008 के बाद तेल क़ीमतें सबसे ऊपर चली गई हैं. समाचार एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार वैश्विक बाज़ार में ईरान के तेल की संभावित वापसी में देरी के साथ अमेरिका और यूरोपियन यूनियन की ओर से रूसी तेल के आयात पर पाबंदी के विचार के कारण क़ीमतें आसमान छू रही हैं.
ईरान के साथ 2015 के परमाणु समझौते को बहाल करने की कोशिश की जा रही है लेकिन अनिश्चितता और बढ़ गई है. रूस ने शर्त रखी है कि यूक्रेन पर हमले को लेकर लगाई गई पाबंदी के कारण ईरान के साथ उसके कारोबार प्रभावित नहीं होने चाहिए.
रॉयटर्स ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि चीन ने भी नई शर्त रखी है. रूस की नई मांग पर अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने रविवार को कहा कि यूक्रेन पर हमले कारण रूस पर लगी पाबंदी को ईरान के साथ परमाणु समझौते से जोड़ने का कोई मतलब नहीं है. दूसरी तरफ़ अमेरिका और यूरोप के सहयोगी देश रूस से तेल आयात करने पर पाबंदी के विकल्पों पर विचार कर रहे हैं. अमेरिकी विदेश मंत्री ने भी कहा है कि व्हाइट हाउस कांग्रेसनल कमेटी से रूस के तेल पर पाबंदी के लिए बात करेगा.
समाचार एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार ब्रेंट क्रूड की क़ीमत 7 मार्च को 129.78 डॉलर प्रति बैरल पहुँच गई है. वहीं यूएस टेक्सस इंटरमीडिएट (WIT) क्रूड की क़ीमत भी 10.83 प्रतिशत की बढ़ोतरी के साथ 126.51 डॉलर प्रति बैरल पर पहुँच गई है. इससे पहले 2008 में ब्रेंट 139.13 डॉलर प्रति बैरल पर पहुँचा था.
थिंक टैंक एनर्जी आस्पेक्ट की सह-संस्थापक अमृता सेन कहती हैं, ”ईरान एक मात्र कारक था, जिससे तेल की क़ीमतों को काबू में किया जा सकता था लेकिन परमाणु समझौते में देरी हो रही है. अगर रूस का तेल भी बाज़ार से बाहर रहा तो स्थिति और बिगड़ सकती है.” विश्लेषकों का कहना है कि इस हफ़्ते तेल की क़ीमत 185 डॉलर प्रति बैरल पहुँच सकता है.
S&P ग्लोबल के उप-प्रमुख और लेखक डेनियल येर्गिन ने रॉयटर्स से कहा, ”ज़रूरी चीज़ों में होने के कारण तेल और गैस पर पाबंदी नहीं लगाने की बात थी लेकिन निजी कंपनियां ख़ुद से तेल ख़रीदना बंद कर देती हैं और इससे पूरा सप्लाई चेन प्रभावित होता है.” रूस क़रीब 70 लाख बैरल तेल प्रति दिन निर्यात करता है. तेल की वैश्विक आपूर्त में रूस का हिस्सा सात फ़ीसदी है. रूसी पोर्ट से कज़ाख़स्तान का तेल भी निर्यात होता है और यह भी तनाव के कारण प्रभावित हुआ है.
बैंक ऑफ अमेरिका के विश्लेषकों का कहना है कि रूस के तेल का ज़्यादातर निर्यात थम गया है और इसमें हर दिन 50 लाख बैरल की गिरावट आ सकती है. इसका मतलब है कि कच्चे तेल की क़ीमत 200 डॉलर प्रति बैरल तक पहुँच सकती है.
-एजेंसियां
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