● जल्द ही निर्मल वर्मा और गगन सभी किताबें प्रकाशित करेगा राजकमल
● गगन गिल ने कहा- “मैं अभिभूत हूँ कि आज इतने वर्षों बाद निर्मल जी और मेरी किताबें एक नए कलेवर के साथ राजकमल से प्रकाशित हो रही हैं।”
● “बाकी सौ किताबें एक तरफ़ है और निर्मल वर्मा की किताबें एक तरफ़।” – आनन्द कुमार
विश्व पुस्तक मेला में राजकमल प्रकाशन समूह के जलसाघर में बीते शनिवार को निर्मल वर्मा और गगन गिल की सात किताबों का लोकार्पण हुआ। इस मौके पर आनन्द कुमार, वीरेन्द्र यादव, अब्दुल बिस्मिल्लाह, हरीश त्रिवेदी, अखिलेश, रवीश कुमार, गीत चतुर्वेदी, दिनेश श्रीनेत उपस्थित रहे।
निर्मल वर्मा और गगन गिल की सभी किताबों का प्रकाशन अब राजकमल प्रकाशन कर रहा है। इनमें से निर्मल वर्मा की छह किताबें– ‘वे दिन’, ‘लाल टीन का छत’, ‘रात का रिपोर्टर’, ‘एक चिथड़ा सुख’ (उपन्यास); ‘परिंदे’ (कहानी संग्रह); ‘चीड़ों पर चाँदनी’ (यात्रा संस्मरण) और गगन गिल के काव्य संग्रह ‘यह आकांक्षा समय नहीं’ का लोकार्पण विश्व पुस्तक मेला में हुआ। दोनों लेखकों की बाकी किताबें भी राजकमल जल्द ही प्रकाशित करेगा।
लोकार्पण कार्यक्रम के दौरान गगन गिल ने अपने जीवन से जुड़े कई आत्मीय संस्मरण साझा किए। उन्होंने कहा “पिछले 18 सालों में मुझे कई लोगों के साथ काम करने का मौक़ा मिला मगर जैसा सामंजस्य राजकमल और अशोक जी के साथ था वैसा अन्यत्र कहीं नहीं मिला। मैं अभिभूत हूँ कि आज इतने वर्षों बाद निर्मल जी और मेरी किताबें एक नए कलेवर के साथ राजकमल से प्रकाशित हो रही हैं। राजकमल से हमारा पारिवारिक संबंध रहा है। हमेशा से उत्कृष्ट रचना प्रकाशित करने की राजकमल प्रकाशन की परंपरा रही है, निर्मल जी के साहित्य के लिए अशोक जी और राजकमल से उचित कोई प्रकाशक नहीं हो सकता, ऐसा मेरा विश्वास है।”
इस सत्र के दौरान मंच पर मौजूद सभी अतिथियों ने निर्मल वर्मा से जुड़े अनेक संस्मरण साझा किए। मंचासीन वक्ताओं में प्रियदर्शन ने कहा “मैं सोचता हूँ आज का युवा पाठक बिना किसी आलोचनात्मक उद्यम के निर्मल जी क्यों और कैसे पढ़ सकता है? फिर मुझे समझ आया कि आधुनिकता की जो एकांतता है, विस्थापन का जो अभिशाप है, उसमें हर कोई अपना घर खोज रहा है। इन भावों को सबसे करीबी ढंग से निर्मल वर्मा ने लिखा है। यही कारण है कि वह आज के समय में इतना समकालीन, प्रासंगिक और लोकप्रिय बने हुए हैं।” वीरेन्द्र यादव ने कहा “निर्मल जी के वैचारिक साहित्य के बिना साहित्य की चर्चा खोखली-सी दिखाई जान पड़ती है।” आनंद कुमार ने कहा “बाकी सौ किताबें एक तरफ़ है और निर्मल वर्मा की किताबें एक तरफ़।” वहीं गीत चतुर्वेदी ने कहा “निर्मल वर्मा उस दौर के साहित्यकारों में युवाओं से सबसे ज़्यादा जुड़ते हैं।” इस सत्र के अंत में रवीश कुमार ने निर्मल जी के उपन्यास ‘रात का रिपोर्टर’ से अंशपाठ किया और कहा कि मैंने निर्मल वर्मा को पढ़ा है इसलिए मैं कह सकता हूँ कि हम सबको उन्हें पढ़ना चाहिए।
इस अवसर पर राजकमल प्रकाशन समूह के अध्यक्ष अशोक महेश्वरी ने प्रकाशकीय टीम का मंच से परिचय कराया और बताया कि ये हमारी सभी टीम के सामूहिक प्रयास का ही फल है कि यह किताबें एक नए कलेवर में पाठकों तक पहुँच पाई। पिछले कुछ दिनों से ये किताबें विश्व पुस्तक मेला में उपलब्ध हैं और पाठकों की अच्छी प्रतिक्रिया सुनने को मिल रही है। सभी ने इन किताबों को खूब-खूब सराहा और कहा कि निर्मल जी की किताबें ऐसी ही होनी चाहिए थी। उन्होंने कहा “मुझे निर्मल जी स्नेह और बहुत प्रेम मिला है मैं उसे कभी भुला नहीं सका। वर्षों पहले जिन परिस्थितियों में निर्मल जी की किताबें अन्यत्र छपने गयीं, वह मेरे लिए दुखद और राजकमल प्रकाशन के लिए अप्रिय प्रसंग बना रहा। ख़ैर, हमने अपनी भूल को सुधारा है। मुझे निजी तौर पर, और सांस्थानिक रूप से भी बहुत प्रसन्नता हो रही है कि निर्मल जी और गगन जी की सभी किताबें अपने मूल प्रकाशन में वापस लौट आई हैं।”
-हिमांशु जोशी
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