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Agra, Uttar Pradesh, India, Bharat. भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता गनेश चंद का निवास गुड़हाई, ताजगंज, आगरा में है। वहां पहुंचने के लिए तंग गलियों से गुजरना होता है। करीब चार दशक से मेरा उनके यहां आना-जाना है। जब से मैंने शास्त्रीपुरम (सिकंदरा, आगरा) में आवास बनाया, तब से यह क्रम कम हो गया। विशेष समारोह में भेंट होती रहती है। शास्त्रीपुरम में आवास तो अमर उजाला अखबार के चक्कर में बनाया था कि यहीं से रिटायर हो जाएंगे। किस्मत का चक्कर ऐसा चला कि अखबार बदलना पड़ा।

श्री गनेश चंद की पत्नी सुशीला देवी 31 अगस्त, 2024 को दुनिया से चली गईं। वे विलाप करते रहते हैं। सच में पत्नी के बिना पति अधूरा ही है। पति के बिना पत्नी भी अधूरी है। हम सब जानते हैं कि संसार से जाने वाला कभी लौटकर नहीं आता। यह भी सत्य है कि समय मौत का गम भी भुला देता है। जो व्यक्ति 50 साल साथ रहा हो, वह हमारी आंखों के सामने से हमेशा के लिए चला जाए तो दुःख होना ही है।

गनेश चंद की पत्नी सुशीला देवी हमेशा सिर पर पल्लू रखे रहती थीं। जब भी उनके यहां गए, उन्होंने स्वागत सत्कार में कोई कमी नहीं छोड़ी। परिवार का हिस्सा मानती थीं। वे अस्वस्थ हो गईं। 15 दिन बाद उनका पार्थिव शरीर ही घर लौटा। घर वालों के लिए इससे अधिक दुख की बात हो नहीं सकती है।

नरेश चंद की पत्नी ने मुझे बताया, “बड़ा दुख है कि जीवित लौटकर नहीं आईं। भाईसाहब (गनेश चंद) तो रोते रहते हैं।” गनेश चंद के यहां जाते-जाते मेरे परिवार की घनिष्ठता नरेश चंद से हो गई। अब उनके दो पुत्र उनका कारोबार बहुत अच्छी तरह संभाल रहे हैं। नरेश चंद की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।

सुशीला देवी को श्रद्धांजलि देने के लिए बड़ी संख्या में लोग आए। महिलाओं की संख्या ठीकठाक थी। इससे पता चलता है कि उनका संपर्क सबसे था। वृंदावन से आए भागवताचार्य श्याम सुंदर ने सबको संदेश दिया कि माता-पिता की सेवा करें। राम का नाम लेते रहें। अंत में दाम नहीं, राम ही काम आते हैं। उन्होंने कहा कि पैसा खूब कमाएं लेकिन राम का भजन भी करते रहें।

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