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विधि अनुसार नालंदा क्राउन प्रोजेक्ट से जुड़ी किसी भी देनदारी के लिए मैं जिम्मेदार नहीं : संतोष कटारा

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नालंदा बिल्डर्स एवं डवलपर्स इण्डिया लिमिटेड से अक्टूबर 2016 में दे दिया था त्यागपत्र, फिर जिम्मेदारी कैसी

नालंदा क्राउन प्रोजेक्ट की समस्त लाइबिल्टीज और असेस्टस के साथ उन्नति फौरचून होल्डिंगस प्रा.लि. को जनवरी 2017 में ट्रांसफर हुई

वर्ष 2017 में उच्च न्यायालय के आदेश में कहा गया कि आवंटी शेष धनराशि कम्पनी को अदा कर अपने फ्लैट का बैनामा व कब्जा प्राप्त करें

 

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Agra, Uttar Pradesh, India.  नालंदा बिल्डर्स के पूर्व निदेशक संतोष कटारा ने बताया कि मैंने नालंदा बिल्डर्स एवं डवलपर्स इण्डिया लिमिटेड से अक्टूबर 2016 में त्यागपत्र दे दिया था, जिसको बोर्ड ऑफ डाइरेक्टर्स की मीटिंग में राधेश्याम शर्मा ने स्वीकार किया था।

नालंदा क्राउन प्रोजेक्ट की समस्त लाइबिल्टीज और असेस्टस के साथ जनवरी 2017 में उन्नति फौरचून होल्डिंगस प्रा.लि. को कम्पनी एक्ट के अनुसार ट्रांसफर हो गया है जिसकी समस्त ग्राहकों को ई-मेल और फोन कॉल द्वारा सूचना देकर एक मीटिंग दिनांक 19 मई 2017 को बाईपास रोड स्थित होटल मैंगो पर की गयी थी और दूसरी मीटिंग दिनांक 8 जुलाई 2017 को उन्नति फोरच्यून होल्डिंग्स प्राइवेट लिमिटेड द्वारा शास्त्रीपुरम स्थित नालंदा क्राउन प्रोजेक्ट पर की गयी। मेरा अब इस प्रोजेक्ट से कोई भी लेना देना नहीं है।

अधिवक्ता दुर्गेश शर्मा ने बताया कि नालंदा क्राउन फ्लैट्स अलोटीस वेलफेयर सोसाइटी के द्वारा अनावश्यक लाभ लेने की नीयत से ब्लैकमेल करते हुए प्रथम बार एफआईआर नालंदा बिल्डर्स के विरुद्ध 28/12/2016 को दर्ज करायी (ज्ञात हो कि इस दौरान भी संतोष कटारा निदेशक के पद से पदमुक्त थे) जिस पर माननीय उच्च न्यायालय प्रयागराज में रिट दाखिल की गयी जिसमें न्यायालय द्वारा स्पष्ट कहा कि “आवंटी शेष धनराशि कम्पनी को अदा करें तथा अपने फ्लैट का बैनामा व कब्जा प्राप्त करें।

परन्तु उसके बावजूद भी आवंटी जानबूझकर न तो कम्पनी को रूपया अदा कर रहे हैं और ना ही न्यायालय के आदेश का पालन कर रहे हैं तथा अलग-अलग नामों से पुलिस प्रशासन से मूल तथ्यों को छिपा कर एफआईआर संतोष कटारा के विरुद्ध दर्ज कराया है जो की कम्पनी अधिनियमानुसार पूरी तरह निराधार है। जबकि आवंटियों द्वारा जो भी आवंटन धनराशि दी गई, वह कम्पनी को दी गयी ना कि व्यक्तिगत रूप से संतोष कटारा को जैसा कि कम्पनी के लेजर से भी स्पष्ट होता है।

एडवोकेट सुशील कटारा ने कहा कि नालंदा बिल्डर्स से संतोष कटारा के त्यागपत्र की सूचना अक्टूबर 2016 में कम्पनी रजिस्ट्रार को दी गई एवं रजिस्ट्रार के यहां से भी संतोष कटारा का नाम हटा दिया गया। संतोष कटारा के कम्पनी से इस्तीफा देने के बाद से कम्पनी द्वारा की गयी किसी भी प्रकार की कार्यशैली के लिए संतोष कटारा किसी भी प्रकार से जिम्मेदार नहीं हो सकते हैं।इसके अतिरिक्त उक्त कम्पनी ने अपनी समस्त जिम्मेदारियां, लेनदारियों व देनदारियों को मैसर्स उन्नती फॉरचून होल्डिंग लि. को सौंप दी थी, तब समस्त प्रकार की जवाबदेही व विधिक कार्यवाहियां उन्नति फारच्यून व उसके निदेशकों की है न कि संतोष कटारा की।

व्यक्तिगत रूप से संतोष कटारा ने किसी भी आवंटी से कभी भी व्यक्तिगत हैसियत से कोई धन प्राप्त नहीं किया। इस प्रकार कम्पनी द्वारा किये गये किसी भी कृत्य के लिए किसी व्यक्ति की लायबिलिटी नहीं आ सकती (जैसा कि कम्पनी अधिनियम में भी प्रावधान है) मात्र संतोष कटारा के विरुद्ध व्यक्तिगत रूप से कराई जा रही एफआईआर से स्पष्ट है कि “उक्त एफआईआर जानबूझकर व्यक्तिगत एवम् राजनीतिक षडयंत्र के तहत संतोष कटारा पर दबाव बनाकर ब्लैकमेल करने, उसकी छवि धूमिल करने, व उनको आर्थिक, मानसिक नुकसान पहुंचाने व मानहानी करने के उददेश्य से दर्ज करायी जा रही हैं।

Dr. Bhanu Pratap Singh