durga shankar mishra IAS

‘मेट्रो मैन’ के नाम से भी प्रसिद्ध उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव दुर्गाशंकर मिश्र का जबर्दस्त इंटरव्यू, पढ़िए रोचक और प्रेरक कहानी

साक्षात्कार

डॉ. भानु प्रताप सिंह

Live Story Time

जिला मऊ की मधुबन तहसील के छोटे से गांव पहाड़ीपुर में जन्मे श्री दुर्गाशंकर मिश्र उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव हैं। वे मेट्रो मैन के नाम से भी प्रसिद्ध हैं। अपनी कार्यकुशलता, स्वच्छ छवि और कुछ न कुछ नया करने के लिए प्रसिद्ध हैं। उत्तर प्रदेश में विकास भवन उन्हीं के उर्वर मस्तिष्क की उपज है। सामान्य परिवार से निकले श्री मिश्र आज जिस ऊंचाई पर हैं, वह हर किसी के लिए संभव नहीं है। वे आज भी हर साल गांव जाते हैं और पुराने दोस्तों के साथ मस्ती करते हैं। अपनी सहजता और सरलता को छोड़ा नहीं है। यहां श्री मिश्र के जीवन के अनछुए पहलुओं के बारे में जानते हैं।

हमारा रास्ता तो भगवान तय करते हैं

मैंने पेड़ के नीचे प्राथमिक शिक्षा शुरू की। स्कूल में क्लास रूम के नाम पर एक कमरा था। मास्टर साहब के लिए हमारे घर से खटिया आती थी। स्कूल में बैठने के लिए हम अपना बोरा ले जाते थे। पेड़ के नीचे बैठकर पढ़ते थे। वहां से लोकभवन (उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में मुख्यमंत्री कार्यालय) तक का सफर भगवान ने तय कराया है। यही हमारे देश की ताकत है। हमारे साथ जो पढ़ते थे, उनमें से कुछ लोग सब्जी बेचते हैं, कुछ अन्य सामान बेचते हैं, कोई जूनियर इंजीनियर बन गया, लेकिन मुझे जो जिम्मेदारी मिली वह वास्तव में ईश्वर का विधान और मां-बाप का आशीर्वाद था। हमारा रास्ता तो भगवान तय करते हैं।

durga shankar mishra

महापुरुषों की जीवनियों से प्रेरणा

मेरे गांव से दर्जनभर आई.ए.एस. निकले हैं। मैं नौवां आई.ए.एस. था गांव का। हमारे पिताजी साधारण सर्विस में थे। तब रूस से किताबें फ्री में आती थीं। भारत का इतिहास, विश्व का इतिहास, विश्व का भूगोल जैसी तमाम पुस्तकें मेरे पिताजी लाते थे। मैं खूब पढ़ता था। गीता प्रेस में छपने वाली महापुरुषों की जीवनियां पढ़ीं, जो बहुत सस्ती मिलती थीं। उनसे जाना कि कैसे लोग बड़े आदमी बन गए। मैंने अपने घर में लाइब्रेरी बनाई। पुस्तकें साथियों को देता था। हमार गांव के कन्हैयालाल मिश्रा एडवोकेट जनरल थे। लक्ष्मी नारायण मिश्रा लेखक थे। जब वे गांव आते तो हम उनके पीछे जाते थे। मिश्रीलाल हमारे मास्साब थे। उन्हें बहुत इज्जत मिलती थी। वे बच्चों में पढ़ने की आदत पड़वाते थे। स्वच्छता का पहला संस्कार उन्हीं से मिला। वे कहते थे कि होरा (कच्चे चना को भूनकर खाना) खाओ तो कूड़ा एक जगह डालो। कहते थे कि कहीं भी जाओ लेकिन सीखते रहो। पिताजी ने बचपन से आदत कि हमेशा उगते सूरज को देखो। तभी मैं आज भी प्रातः पांच बजे उठ जाता हूँ।

सरकार का बच्चा बन गया

एक बार मेरे बाबूजी (पिताजी) बलिया से बस द्वारा गांव आ रहे थे। उनकी बगल में टाईसूट पहने एक बच्चा बैठा था। पिताजी ने उससे पूछा कि कहां पढ़ते हो तो उसने कहा कि नैनीताल में। नैनीताल में पढ़ना सपना था। पिताजी ने उत्सुकतावश पूछा कि तुम्हारे पिताजी बहुत अमीर होंगे। इस पर बच्चे ने कहा कि हमें सरकार पढ़ाती है। उसने कहा कि जिन लोगों की आमदमी कम है उन्हें राज्य स्तर की परीक्षा देनी होती है। उसमें सलेक्शन के बाद राष्ट्रीय स्तर की परीक्षा होती है। उसमें सलेक्ट हो गए तो पढ़ाई फ्री में होती है। तब तक मैं तो गांव से बाहर सिर्फ एक बार बनारस गया था। बाबूजी ने फार्म भरवाया। बलिया में इम्तिहान हुआ। यूपी में पहला स्थान मिला। इलाहाबाद में राष्ट्रीय स्तर का दूसरा इम्तिहान हुआ। पांचवें स्थान पर आया। इसके बाद मैं सरकार का बच्चा बन गया। विकास विद्यालय, रांची पहुंच गया, जहां मंत्री, कारोबारियों और ब्यूरोक्रेट्स के बच्चे पढ़ते थे। वहां पॉकेट मनी भी मिलती थी। अंग्रेजी की कोचिंग भी हुई। पिताजी के आने-जाने का खर्चा मिलता था। भगवान ने मौका दिया। वहीं से आई.आई.टी. में सलेक्शन हो गया। पिताजी और मास्टर मिश्रीलाल के कारण यह सब हुआ। आई.आई.टी. करने के बाद आई.ए.एस. में चयन हो गया।

durga shankar mishra IAS

गांव की शरारतें

हम गांव में शरारत भी खूब करते थे। पेड़ पर चढ़कर ओला पाती, कबड्डी, चिकई, गिल्ली डंडा, गोली सब खेलते थे। हमारी बड़ी दीदी ऊधम मचाने पर हमें टाइट करती थी।

हर साल गांव जाता हूँ

पौधा जब तक जमीन पर जड़ों से जुड़ा रहेगा, हरियाली आती रहेगी। जमीन से दूर हुआ तो पौधा सूख जाएगा। जमीन से जुड़े रहने के लिए मैं हर साल गांव जाता हूँ। आज भी गांव में जाकर गिल्ली-डंडा खेलता हूँ। सबके साथ आज भी पहले की तरह संबंध हैं। गांव के लोग मुझे प्यार से कलक्टर बाबू कहते हैं। हमारे गांव के हाजी मुनीर जी ने हज के दौरान निर्णय लिया कि पूरे इलाके में हर कोई शिक्षित हो। बाबूजी ने मुझसे कहा कि हाजी जी की मदद करो। हाजी जी ने स्कूल स्थापित करने का निर्णय किया। सरकार में तमाम दिक्कतें होती हैं। मैंने उन दिक्कतों को दूर कराया। आज उनके स्कूल में प्राइमरी से लेकर पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई होती है। मैं जब भी गांव जाता तो हाजी जी अपने घर से एक कंहतरी दही (मिट्टी के बरतन में दही) जरूर लाते थे।

durga shankar mishra IAS
durga shankar mishra IAS

अपने गांव के प्राइमरी स्कूल को स्मार्ट बना दिया

आंवला (जिला बरेली, उत्तर प्रदेश) में एसडीएम (उप जिलाधिकारी), एडीएम (अपर जिलाधिकारी) चित्रकूट, लखनऊ में सीडीओ (मुख्य विकास अधिकारी) रहा। इनमें से कहीं भी जाइए, गांव-गांव में लोग मुझे जानेंगे। गांव जाता हूँ तो लोग अपनी समस्याएं लेकर आते हैं। असल में मैं जाता हूँ तो गांव में डीएम, एसडीएम, पुलिस कप्तान, स्वास्थ्य विभाग के लोग आते हैं। इससे उनकी छोटी समस्याओं का समाधान हो जाता है। इससे ग्रामाणों को भी कुछ बनने की प्रेरणा मिलती है। मेरे आगे बढ़ने से सबको आगे बढ़ने की प्रेरणा मिली। मैंने अपने गांव के प्राइमरी स्कूल को स्मार्ट बना दिया है। आदर्श स्कूल है। हम प्रधानंमत्री जी से सीखते हैं कि हर किसी को विकास से जोड़ें तो देश कितना आगे बढ़ सकता है। इस बात को कोई अन्य सोच नहीं सकता है। मेरा मानना है कि गांव में हो या शहर में, हर किसी को पर्याप्त मौका मिलना चाहिए। हर आदमी में संभावनाएं हैं, मौका मिलना चाहिए।

अपनी क्षमता के हिसाब से बेस्ट करें

मैं हमेशा प्रिजेंट (वर्तमान) में रहा। मैंने सोचा नहीं था कि आई.आई.टी. पढ़ूंगा। तीन इम्तहान दिए। तीनों में चयन हुआ। आई.आई.टी. में 10.0 सीपीआई के साथ पास किया, जो अनब्रेकबल रिकॉर्ड है। हेग, सिडनी पढ़ने गया तो वहां भी टॉप पर रहा। मैं कानपुर से लखनऊ दौड़कर आया हूँ। कानपुर से खजुराहो तक साइकिल से गया हूँ। पहाड़ों पर  ट्रैकिंग की है। बच्चों को लेकर ट्रैकिंग करता था। यह भी सत्य है कि हम जो सोचते हैं वह नहीं हो पाता है। हम अपनी क्षमता के हिसाब से बेस्ट करें। ईश्वर के प्रति विश्वास है तो वह रास्ता बनाता चला जाएगा। पढ़ रहा हूँ तो बेस्ट, खेल रहा हूँ तो बेस्ट करूँ। सोनभद्र में मुझे डीएम के रूप में जिसने भी देखा है, वे जानते हैं कि हर इलाके में गया हूँ। साइकिल से, पैदल, ट्रेन से गया हूँ। आदिवासी बहुल इलाका है वह। आगरा का डीएम था तो ताजमहल के पीछे यमुना की तलहटी में यान्नी का संगीत कार्यक्रम कराया, जो बड़ी चुनौती थी। आई.आई.टी. में था तो बुक बैंक बनवाया, क्योंकि तब किताबें महंगी होती थीं। बुक बैंक के माध्यम से 1000 रुपये की किताब 100 रुपये में पूरे सेमेस्टर के लिए मिलती थी। किताब अच्छी हालत में वापस करने पर 50 रुपये वापस मिल जाते थे। यह जनता की सेवा है।

durga shankar mishra IAS

दुर्गाशंकर मिश्र और राजेन्द्र कुमार तिवारी।

लिखने का शौक

हर व्यक्ति के बहुत से शौक होते हैं। पहले मैं बहुत लिखता था। अभी भी लिख रहा हूँ। मेरे लेख राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय जर्नल्स में प्रकाशित हुए हैं। भारत सरकार के सचिव नगर विकास के रूप में 20-25 आर्टिकल लिखे जो तमाम जगह छपे हैं। मुझे घूमने का बहुत शौक है यानी नई जगह जाकर कुछ सीखने का शौक है। जो विदेश में सीखा, उसे अपने देश में लाया। पढ़ने का बहुत शौक है। नित्य क्रियाएं तो जीवन का हिस्सा हो जाती हैं। इन सब चीजों में मेरी पत्नी बहुत मददगार हैं। वे यूएन (संयुक्त राष्ट्र) में काम करती हैं। इसके बाद भी परिवार के दायित्व पूरे हो जाते हैं। हम तो भगवान के हाथ में खेलने वाले खिलाड़ी हैं। पवित्र मन से अगर काम करें तो वह सारे काम कर देता है। आपके मन के भाव सकारात्मक हों तो आपसे मिलने वाला सकारात्मक हो जाएगा। ठीक वैसे ही जैसे ठंडी जगह पर जाएं तो स्वयं ठंडे हो जाएंगे। पत्नी के साथ बहुत सारी फिल्म देखने का खूब मौका मिला। वे सलेक्ट करती थीं और हर सप्ताह फिल्म देखने जाते थे।

साधारण भोजन पसंद

भोजन की बात करूँ तो मैं शुद्ध शाकाहारी हूँ। साधारण भोजन पसंद है। व्रत भी करता हूँ। पहले चाय नहीं पीता था। बनारस में जब एसडीएम बना दिया तो चाय न पीने के कारण लोग मेरे लिए लस्सी आदि लेकर आते थे। मेरे साथ 10 लोगों को भी लाते थे। मुझे बहुत बुरा लगता था। मैंने तब चाय पीना शुरू किया कि मैं पीऊँगा तो बाकी भी पिएंगे। चाय कम पैसे में बन जाती है न ।

सॉल्यूशन एप्रोच होनी चाहिए

चकिया में पहली पोस्टिंग रही। हर पोस्टिंग की बहुत सारी चीजें याद हैं। लोगों के साथ जुड़कर नई –नई चीजें करता हूँ। लोग इसलिए मिलने आते हैं कि मैं उनके साथ जुड़कर काम कर रहा था। जब लखनऊ का सीडीओ बना तो मेरा दफ्तर जिला परिषद में था। केवल तीन विभाग थे वहां। बाकी विभाग पूरे लखनऊ में फैले हुए थे। उनको बुलाने में बड़ी समस्या थी। कोई नियंत्रण नहीं था। किसी को बुलाओ तो पता चलता था कि बाहर गए हैं। मुझे लगा कि जब सीडीओ होकर मैं अधिकारियों से नहीं मिल पाता हूँ तो आम आदमी क्या करता होगा। मैं रूरल डवलपमेंट विभाग की सचिव रीता शर्मा से मिला। मैंने कहा कि विकास विभाग के सभी दफ्तर एक स्थान पर हों। उस समय मुख्यमंत्री कल्याण सिंह जी थे। उन्होंने सहमति दे दी। लखनऊ के चिनहट ब्लॉक में विकास भवन बनाया। तब लोगों ने कहा कि चिनहट दूर है तो मैंने कहा कि 10 साल बाद यही पास हो जाएगा। यही हुआ है। मैंने अधिकारियों के बैठने की प्लानिंग की। कल्याण सिंह जी ने जब विकास भवन का शिलान्यास किया तो पानी बरस रहा था। मैंने कहा कि भगवान इन्द्र आशीर्वाद दे रहे हैं। मैं कहता हूँ कि सॉल्यूशन एप्रोच (समाधानात्मक पहुंच) होना चाहिए, प्रॉब्लम (समस्या) तो पूरी दुनिया में है।

durga shankar mishra IAS
durga shankar mishra IAS

2014 के बाद कार्य करने का मेरा तरीका बदल गया, क्यों

हमारे देश का बड़ा सौभाग्य है कि 2014 से प्रधानमंत्री जी ने काम करके देश को विकास की नई गति दी। 2014 के बाद कार्य करने का मेरा तरीका बदल गया। यह मैंने अपने प्रधानमंत्री जी से सीखा है। उन्होंने देश को नई ऊर्जा दी और मैं पूरी तरह जुट गया। मैंने प्रयास कि कि मेट्रो आत्मनिर्भर बने। 2014 से पहले मेट्रो 250 किलोमीटर से कम था और आज 800 किलोमीटर से ज्यादा है। तब केवल 5 शहरों में था, आज 19 शहरों में है। 27 शहरों में काम चालू हो गया है। 1200 किलोमीटर मेट्रो पर काम चल रहा है। दिल्ली से मेरठ तक का मात्र 35 मिनट में पहुंच सकते हैं। यह ताकत प्रधानमंत्री जी से मिली। पहले ये चीजें संभव नहीं दिखती थीं। मैं साढ़े चार साल से अधिक भारत सरकार में नगर विकास सचिव रहा। मेरे कार्यकाल में 1200-1300 से अधिक कोच खरीदे गए। एक भी कोच विदेश से नहीं आया। मैंने स्पेन में ड्राइवर रहित मेट्रो देखी तो सोचा कि हमारे देश में क्यों नहीं। आज दिल्ली में दो लाइनों पर ड्राइवर रहित मेट्रो चलती है। मैंने कोरिया में नेशनल पेमेंट कार्ड देखा तो अपने यहां लेकर आए। प्रधानमंत्री जी ने नेशनल मोबेलिटी कार्ड शुरू किया। यानी जो दुनिया में हो सकता है, वह हमारे यहां भी हो सकता है।

दिल्ली में रहकर क्या काम किए

एक करोड़ से अधिक मकान अपने आप में कीर्तिमान है। आज तक दुनिया में कहीं नहीं हुआ। प्रधानमंत्री जी ने मार्गदर्शन किया। देश में 1.23 करोड़ मकान स्वीकृत हैं, जिनमें से 95 लाख पर काम चल रहा है। 65 लाख मकान पूरे हो गए हैं। मैंने देश के कोने-कोने में जाकर देखा कि हर मकान में पीने का पानी, शौचालय, गैस का चूल्हा, बिजली है। सभी सुविधाएं हैं। हमारे जनरल (प्रधानमंत्री) ने ताकत दी और हम सिपाही के रूप में लेकर चल पड़े। जब वहां (भारत सरकार में) था तो उस तरह से काम करता था। आज मैं उत्तर प्रदेश का मुख्य सचिव हूँ तो मुख्यमंत्री जी से पूरा मार्गदर्शन मिलता है। मेरी ईमानदारी में कोई कमी नहीं दिखा सकता। प्रदेश को ताकतवर बनाने, प्रदेश को गौरव देने, नागरिकों को अच्छी सुविधा देने में मेरी तरफ से कोई कमी नहीं होगी। माननीय मुख्यंमत्री जी (श्री योगी आदित्यनाथ जी) उत्तर प्रदेश को इतनी ऊंचाइयों पर ले जा रहे हैं। उनका संकल्प है कि प्रदेश को वन ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी में ले जाएंगे, ये सारी चीजें होती नजर आ रही हैं।

durga shankar mishra IAS

मैं कोई सपना नहीं देखता

मैं आगे का बहुत नहीं सोचता हूँ। एक बात तो पक्की है कि अपने देश और प्रदेश के लिए जितना कर सकता हूँ, करना चाहता हूँ, करूंगा। भगवान की कृपा से मानव शरीर तपस्या के लिए मिलता है। मुझे मौका मिला है, इसलिए जहां पर हूँ, बेस्ट कर रहा हूँ। मैं कोई सपना नहीं देखता हूँ कि ये करूंगा, वो करूंगा। (मीनू खरे द्वारा एफएम रेनबो (एआईआर, लखनऊ) पर की गई भेंटवार्ता के डॉ. भानु प्रताप सिंह द्वारा संपादित अंश)

 

पसंदीदा गीत

(1)

सूरज की गर्मी से जलते हुए तन को मिल जाए तरुवर की छाया

ऐसा ही सुख मेरे मन को मिला है मैं जब से शरण तेरी आया.. मेरे राम

(2)

हम होंगे कामयाब एक दिन, हो-हो मन में है विश्वास, पूरा है विश्वास

(3)

वक्त का ये परिंदा रुका है कहां, मैं तो पागल जो इसको बुलाता रहा

चार पैसे कमाने मैं आया शहर, गांव मेरा मुझे याद आता रहा।

लौटता था मैं जब पाठशाला से घर

अपने हाथों से खाना खिलाती थी मां

रात को अपने ममता के आंचल तले

थपकियां देके मुझको सुलाती थी मां

सोचकर दिल में एक टीस उठती रही, रातभर दर्द मुझको जगाता रहा।

गांव मेरा मुझे याद आता रहा।

durga shankar mishra IAS

(4)

किसी की मुस्कुराहटों पर हो निसार

किसी का दर्द मिल सके तो ले उधार

किसी के वास्ते हो तेरे दिल में हो प्यार

जीना इसी का नाम है…

(5)

आशाएं..आशाएं.. आशाएं

तेरी वो रफ़्तार हो
रोके से भी तू ना रुके
हासिल कर ऐसा शिखर
पर्वत की भी नजरें उठे
आशाएँ खिले दिल की…

(6)

जब तक रहे तुममें जिया

वादा रहा हो साथिया

हम तुम्हारे लिए तुम हमारे लिए

(7)

देख ये रंग सांवला हुआ है मन क्यूं बावला

क्यूं उबलती हो मेरी जान,कंबख्त दिल है उतावला

हो चाय का दीवाना ऐसा भाई चाहिए

चाय चाहिए हमें चाय चाहिए

हम चाय के दीवाने हमें चाय चाहिए

(8)

यूं ही महके प्रीत पिया की मेरे अनुरागी मन में

रजनी गंधा फूल तुम्हारें महके यूं ही जीवन में

(9)

आने वाला कल जाने वाला है

हो सके तो इसमें जिन्दगी बिता दो

पल ये जो जाने वाला है..

 

दुर्गा शंकर मिश्र, मुख्य सचिव उत्तर प्रदेश

आई.ए.एस. 1984 बैच

जन्म तिथिः 4-12-1961

जन्मस्थानः गांव- पहाड़ीपुर, तहसील- मधुबन, जिला- मऊ (उत्तर प्रदेश, भारत)

शिक्षाः बीटेक (आईआईटी, कानपुर), एमबीए (यूनिवर्टी ऑफ वेस्टर्न सिडनी), पीजी डिप्लोना इन पब्लिक पॉलिसी (इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल स्टडीज, द हेग)

भारत के आवास और शहरी मामलों के सचिवः 21 जून, 2017 से 29 दिसम्बर, 2021 तक

उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिवः 30 दिसम्बर, 2021 से अब तक, उत्तर प्रदेश में कई जिलों में एसडीएम से लेकर डीएम, विभागों के सचिव, प्रमुख सचिव रहे हैं।

 

Dr. Bhanu Pratap Singh