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 6 अप्रैल को रामनवमी पर त्रेतायुग में श्रीराम के जन्म नक्षत्र रवि-पुष्यामृत महासिद्ध योग

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आगरा: वैदिक सूत्रम चेयरमैन एस्ट्रोलॉजर पं प्रमोद गौतम ने वर्ष 2025 की चैत्र नवरात्रि के रहस्यमयी तथ्यों के संदर्भ में बताते हुए कहा कि वर्ष 2025 में चैत्र नवरात्रि का आरंभ 30 मार्च को सर्वार्थ सिद्धि योग में और उसका समापन 6 अप्रैल रामनवमी को त्रेतायुग में श्रीराम के जन्म नक्षत्र 27 नक्षत्रों के सम्राट रवि-पुष्यामृत महासिद्ध योग में पड़ेगा, जिसे वैदिक हिन्दू ज्योतिष मुहूर्त प्रणाली में सर्वोत्तम मुहूर्त माना गया है।

एस्ट्रोलॉजर पं प्रमोद गौतम ने बताया कि पौराणिक काल से सनातन संस्कृति में नवरात्रि को विशेष रूप से दिव्य और शक्तिशाली उत्सव माना गया है। यह केवल एक पर्व नहीं, बल्कि शक्ति, साधना और भक्ति का अनुपम संगम है। चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवमी तक मनाए जाने वाले चैत्र नवरात्रि में भक्त श्रद्धा और समर्पण के साथ माँ दुर्गा के विभिन्न रूपों की उपासना करते हैं। इस समय सम्पूर्ण ब्रह्मांड में एक सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है, जिससे साधकों को आध्यात्मिक जागरण और आत्मिक शुद्धि का विशेष अवसर प्राप्त होता है।

पंडित गौतम ने चैत्र नवरात्रि के महत्त्व के संदर्भ में बताते हुए कहा कि चैत्र नवरात्रि का महत्व केवल धार्मिक ही नहीं, बल्कि सृष्टि और प्रकृति से भी गहराई से जुड़ा हुआ है। हिंदू पंचांग के अनुसार, यही वह समय है जब ब्रह्माजी ने सृष्टि की रचना की थी। यह हिंदू नववर्ष का प्रारंभ भी होता है, और इसी दौरान भगवान श्रीराम का जन्मोत्सव रामनवमी के रूप में मनाया जाता है। इसलिए, चैत्र नवरात्रि को सृष्टि, धर्म और शक्ति का प्रतीक माना जाता है।

एस्ट्रोलॉजर पं गौतम ने बताया कि वर्ष 2025 में शुभ योगों में आरंभ होगी नवरात्रि की शुरुआत, इस वर्ष चैत्र नवरात्रि का प्रारंभ सर्वार्थ सिद्धि योग में हो रहा है, जो इसे अत्यंत मंगलकारी बनाता है। साथ ही, इसी दिन इंद्र योग भी बन रहा है, जिससे पूजा-पाठ का महत्व और अधिक बढ़ जाएगा। इन विशेष योगों के संयोग में की गई साधना और भक्ति का प्रभाव कई गुना अधिक माना जाता है। आमतौर पर चैत्र नवरात्रि नौ दिनों की होती है, लेकिन इस बार यह आठ दिनों की रहेगी। इस वर्ष चैत्र नवरात्रि 30 मार्च 2025 से 6 अप्रैल 2025 तक मनाई जाएगी। 6 अप्रैल को रामनवमी के दिन 27 नक्षत्रों के सम्राट पुष्य नक्षत्र का दुर्लभ संयोग रवि-पुष्यामृत महासिद्ध योग पड़ रहा है जो वर्ष में एक या दो दिन ही रविवार को पड़ता है, इसलिए रवि-पुष्यामृत महासिद्ध योग को वैदिक हिन्दू ज्योतिष मुहूर्त प्रणाली में मुहूर्तों का राजा कहा गया है।

वैदिक सूत्रम चेयरमैन एस्ट्रोलॉजर पं प्रमोद गौतम ने चैत्र नवरात्रि में कलश स्थापना के शुभ मुहूर्त के संदर्भ में बताते हुए कहा कि वर्ष 2025 में चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि का शुभारंभ 29 मार्च की संध्या 4 बजकर 27 मिनट पर होगा, जो 30 मार्च को दोपहर 12 बजकर 49 मिनट तक विद्यमान रहेगी। सूर्योदय की उदया तिथि के अनुसार, चैत्र नवरात्रि का पावन आरंभ 30 मार्च से होगा। इस दिन कलश स्थापना बेहद महत्वपूर्ण होती है, जिससे देवी शक्ति का आवाहन किया जाता है। इस बार कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त 30 मार्च को प्रातः 6 बजकर 13 मिनट से 10 बजकर 22 मिनट तक रहेगा। इस मंगलमयी समय में कलश स्थापना करने से घर में सुख, समृद्धि और शांति का वास होता है।

पंडित गौतम ने बताया कि इस वर्ष चैत्र नवरात्रि में महाष्टमी और महानवमी का विशेष संयोग बन रहा है, क्योंकि पंचमी तिथि का क्षय हो रहा है। भक्तजन माँ दुर्गा के नौ स्वरूपों की आराधना पूरे श्रद्धा भाव से करेंगे। इस बार अष्टमी तिथि का शुभ व्रत एवं पूजन 5 अप्रैल को संपन्न होगा, इसी दिन भक्तजन कन्या पूजन कर देवी शक्ति का आशीर्वाद प्राप्त करेंगे।

6 अप्रैल को महानवमी का महोत्सव मनाया जाएगा और इसी दिन प्रभु श्रीराम के जन्मोत्सव का पावन पर्व, 27 नक्षत्रों के सम्राट पुष्य नक्षत्र में राम नवमी को रवि-पुष्यामृत महासिद्ध योग में मनाया जाएगा। जो कि श्रीराम का त्रेतायुग का वास्तविक जन्म नक्षत्र भी है, वर्ष 2025 में रामनवमी के दिन ऐसा दुर्लभ संयोग स्वत ही निर्मित हो रहा है।

Dr. Bhanu Pratap Singh