पण्डित दीनदयाल उपाध्याय के वस्त्र, चश्मा व मेज-कुर्सी देखकर प्रधानमंत्री मोदी भावुक हुए, चंद्रशेखर उपाध्याय ने योगी सरकार को सौंपी हैं, देखिए दुर्लभ चित्र

EXCLUSIVE

 

पण्डित दीनदयाल उपाध्याय के वस्त्र, चश्मा व मेज-कुर्सी देखकर प्रधानमंत्री मोदी भावुक हुए, चंद्रशेखर उपाध्याय ने योगी सरकार को सौंपी हैं

लखनऊ के ‘राष्ट्र प्रेरणा -स्थल’ के नवनिर्मित संग्रहालय में रखा गया है

पहली दफा भाजपा के समारोह में सम्मिलित हुए पण्डित दीनदयाल उपाध्याय के प्रपौत्र

मंच/अभिनन्दन व सम्मान से रखा परहेज..दीनदयाल की सादगी का दिया हवाला

Live Story Time, Agra, Uttar Pradesh, India, Bharat.

लखनऊ. 25 दिसम्बर। ( भाजपा से एक निश्चित-दूरी बनाए रखने वाले पण्डित दीनदयाल उपाध्याय के प्रपौत्र एवम् प्रख्यात न्यायविद् चन्द्रशेखर पण्डित भुवनेश्वर दयाल उपाध्याय 25 दिसंबर को पार्टी के एक भव्य-आयोजन में अपने अन्य परिजनों के साथ शामिल हुए। उनके साथ उनके परिजन महेन्द्र जोशी.रविन्द्र जोशी व हिमांशु भी थे। जहां मंच पर प्रधानमंत्री मोदी. रक्षा-मंत्री राजनाथ सिंह, योगी व आनन्दीबेन पटेल मौजूद थे, जबकि चन्द्रशेखर मंच के ठीक सामने हजारों कार्यकर्ताओं के बीच रहे। मौका था लखनऊ में नवनिर्मित ‘राष्ट्र प्रेरणा-स्थल’ के लोकार्पण का।

Kaun Hai Chandrashekhar Upadhyay

पहली दफा भाजपा के समारोह में सम्मिलित हुए पण्डित दीनदयाल उपाध्याय के प्रपौत्र

विशाल ‘राष्ट्र प्रेरणा-स्थल’ में श्यामाप्रसाद मुखर्जी..पण्डित दीनदयाल उपाध्याय एवम् अटलबिहारी वाजपेई की 65 फीट ऊंची प्रतिमाएं स्थापित की गयी हैं। तीनों द्वारा अपने जीवनकाल में प्रयुक्त की गई रोजमर्रा की वस्तुओं को वहाँ अलग-अलग बनाए गए संग्रहालय में रखा गया है। प्रधानमंत्री मोदी ने संग्रहालय का भी विधिवत उद्घाटन कर उसे राष्ट्र को सौंपा।

पंडित दीनदयाल उपाध्याय की स्मृतियां

मंच/अभिनन्दन व सम्मान से रखा परहेज..दीनदयाल की सादगी का दिया हवाला

उत्तर-प्रदेश सरकार की
योगी सरकार के अधिकारियों ने कुछ दिन पहले ही पण्डित दीनदयाल उपाध्याय के प्रपौत्र से सम्पर्क साधा था और उनसे पण्डित दीनदयाल द्वारा अपने जीवनकाल में प्रयुक्त की गई तमाम वस्तुओं को सरकार को सौंपने का आग्रह किया था, जो उनके परिजनों द्वारा वर्षों से संरक्षित व संरक्षित रखी गईं थीं।

पंडित दीनदयाल उपाध्याय की स्मृतियां

उत्तराखण्ड शासन में प्रमुख-सचिव स्तर के अधिकारी चन्द्रशेखर ने पण्डित दीनदयाल उपाध्याय के बर्तन. दो चश्में. खुल्हड़, सूटकेस. पटिया. परिजनों को नेग में दिए गए सिक्के. मेज-कुर्सियां..अलमारी..घड़ी..पैन….उनके पिता व संघ के प्रचारक तथा भारतीय-जनसंघ के सबसे कम आयु के मंत्री रहे प्रोफेसर के.सी.उपाध्याय एडवोकेट को लिखा पत्र योगी सरकार को सौंप दिया।

पंडित दीनदयाल उपाध्याय का हस्तलिखित पत्र

.बताते चले के उनके युवा-पिता को आपातकाल में मीसा-बन्दी के दौरान जेल में धीमा-जहर दिया गया था जो अल्पायु में उनकी मृत्यु,का कारण बना। इसके अलावा चन्द्रशेखर ने पण्डित दीनदयाल उपाध्याय द्वारा भारतीय-जनसंघ के नेताओं को लिखे कुछ पत्र उनके कुछ आलेख व पुस्तकें भी योगी-सरकार को सौंपी।

पंडित दीनदयाल उपाध्याय की स्मृतियां

क्या कहते हैं चंद्रशेखर उपाध्याय

यह अतीव आनन्द का विषय है कि मेरे जिन बप्पा दादाजी एवम् उनकी संस्था का नाम तक लेने से सरकारें और उनके मुलाजिम कांपते थे..आज सरकारें और उमके नौकरशाह उनके भव्य स्मारक बना रहे हैं..जीवनकाल में प्रयुक्त की गई रोजमर्रा की उनकी वस्तुओं को संग्रहालय में रखा जा रहा है.. उनकी आदमकद प्रतिमाएं स्थापित की जा रही है.

पंडित दीनदयाल उपाध्याय के वस्त्र

.मेरे परिवार द्वारा वर्षों से संरक्षित व सुरक्षित रखी गईं उनकी अनेक धरोहरों को मैंनै आदित्यनाथ भैय्या की सरकार को सौंप दिया है..इससे पहले भी भाऊदेवरस. नाना देशमुख,..रज्जू भैय्या..राजेन्द्र गुप्ता दादू..रामप्रकाश गुप्ता दादू व कल्याण सिंह समेत कुछ अन्य लोग भी उनकी निशानियों को हमारे परिवार से ले जाते रहे हैं..उनको देश के विविध-स्थानों पर रखा गया है लेकिन यह पहली बार है कि लखनऊ में नवनिर्मित ‘राष्ट्र प्रेरणा-स्थल’ पर बने संग्रहालय में हमारे परिवार का उल्लेख किया गया है..

पंडित दीनदयाल उपाध्याय की स्मृतियां

ताऊजी पण्डित राजेश्वर दयाल उपाध्याय का चित्र है..उनका उल्लेख है..मेरे समेत अन्य परिजनों का उल्लेख है..उनके चित्र हैं..मात्र यह सम्मान देने में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की राजनीतिक-संस्था ने इतने दशक गंवा दिए.इस सम्मान के लिए नरैण दादू..राजनाथ ताऊजी. आनन्दी बुआ….. आदित्यनाथ भैय्या समेत उनके अधिकारियों का बहुत-बहुत साधुवाद एवम् आभार

पंडित दीनदयाल उपाध्याय की स्मृतियां

चन्द्रशेखर पण्डित भुवनेश्वर दयाल उपाध्याय..पण्डित दीनदयाल उपाध्याय के प्रपौत्र एवम् प्रख्यात न्यायविद्

संपादकीय

चंद्रशेखर उपाध्याय ने सिद्ध कर दिया कि विरासत संभालने का अर्थ प्रदर्शन नहीं, समर्पण है। सत्ता से दूरी रखते हुए भी राष्ट्र को अमूल्य धरोहर सौंपना असाधारण चरित्र का प्रमाण है। आज के दिखावटी दौर में उनका यह आचरण पण्डित दीनदयाल उपाध्याय की विचारधारा का जीवंत विस्तार है।

पंडित दीनदयाल उपाध्याय की स्मृतियां

ऐसे व्यक्तित्व इतिहास लिखते नहीं, इतिहास को सही हाथों में सौंपते हैं। चंद्रशेखर उपाध्याय नमन के अधिकारी हैं।

डॉ भानु प्रताप सिंह, संपादक

पंडित दीनदयाल उपाध्याय की स्मृतियां

 

Dr. Bhanu Pratap Singh