लखनऊ। उत्तर प्रदेश पुलिस प्रदेशवासियों की सुरक्षा और शांति बनाए रखने के लिए लगातार अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई कर रही है। कर्तव्य पालन के दौरान अपने प्राणों की आहुति देने वाले पुलिसकर्मियों की वीरता और समर्पण को याद करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार को पुलिस स्मृति दिवस के अवसर पर लखनऊ में शहीद पुलिसकर्मियों को पुष्पचक्र अर्पित कर श्रद्धांजलि दी। उन्होंने शहीद पुलिसकर्मियों के परिजनों से मुलाकात कर उन्हें सम्मानित भी किया।
पिछले आठ वर्षों में अपराधियों से लोहा लेते हुए उत्तर प्रदेश पुलिस के 18 जवान शहीद हुए हैं। वहीं, 1 सितंबर 2024 से 31 अगस्त 2025 के बीच तीन पुलिसकर्मी कर्तव्य पालन करते हुए वीरगति को प्राप्त हुए। इनमें निरीक्षक/दलनायक सुनील कुमार (एसटीएफ), मुख्य आरक्षी दुर्गेश कुमार सिंह (जौनपुर) और आरक्षी सौरभ कुमार (गौतमबुद्धनगर) शामिल हैं।
अदम्य साहस के प्रतीक – निरीक्षक सुनील कुमार
20 जनवरी 2025 की रात एसटीएफ निरीक्षक सुनील कुमार एक लाख के इनामी अपराधी अरशद की तलाश में शामली के बिडौली चैसाना चौराहे पर टीम के साथ पहुंचे थे। बदमाशों ने पुलिस टीम पर अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी। गोलियों की बौछार में कई गोलियां लगने के बावजूद निरीक्षक सुनील कुमार ने मोर्चा नहीं छोड़ा और जवाबी कार्रवाई का नेतृत्व किया। मुठभेड़ में चार बदमाश मारे गए। गंभीर रूप से घायल सुनील कुमार ने उपचार के दौरान 22 जनवरी को गुरुग्राम में वीरगति प्राप्त की। उनका बलिदान हमेशा उत्तर प्रदेश पुलिस के इतिहास में स्वर्णाक्षरों में अंकित रहेगा।
कर्तव्यनिष्ठा की मिसाल – मुख्य आरक्षी दुर्गेश कुमार सिंह
17 मई 2025 को जौनपुर के थाना जलालपुर क्षेत्र में गो-तस्करों के खिलाफ अभियान चल रहा था। इस दौरान मुख्य आरक्षी दुर्गेश कुमार सिंह ने पिकअप वाहन को रोकने का प्रयास किया, तभी चालक ने वाहन उन पर चढ़ा दिया। वे गंभीर रूप से घायल हो गए और इलाज के दौरान उनका निधन हो गया। पुलिस की जवाबी कार्रवाई में तीनों आरोपी घायल हुए और एक की बाद में मृत्यु हो गई। दुर्गेश सिंह का बलिदान पूरे प्रदेश के लिए प्रेरणास्रोत बन गया।
विपरीत परिस्थितियों में शौर्य – आरक्षी सौरभ कुमार
25 मई 2025 को गौतमबुद्धनगर पुलिस टीम वांछित आरोपी कादिर की गिरफ्तारी के लिए गाजियाबाद पहुंची। गिरफ्तारी के दौरान आरोपी के परिजनों और भीड़ ने पुलिस पर फायरिंग कर दी। इस दौरान आरक्षी सौरभ कुमार के सिर में गोली लगी, जिससे उन्होंने मौके पर ही दम तोड़ दिया। उन्होंने विपरीत परिस्थितियों में भी डटे रहकर कर्तव्य और बहादुरी की अद्भुत मिसाल पेश की।
पुलिस स्मृति दिवस: शहादत को सलाम
पुलिस स्मृति दिवस हर साल 21 अक्टूबर को मनाया जाता है। यह दिन उन बहादुर पुलिसकर्मियों की याद में मनाया जाता है जिन्होंने देश की आंतरिक सुरक्षा और कानून व्यवस्था की रक्षा करते हुए अपने प्राण न्योछावर किए। इसकी शुरुआत 1959 में लद्दाख के हॉट स्प्रिंग्स में भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) के 10 जवानों की शहादत से हुई थी। 1960 से हर वर्ष यह दिवस वीर पुलिसकर्मियों की स्मृति और उनके प्रति सम्मान के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि उत्तर प्रदेश पुलिस ने अपने कर्तव्य और निष्ठा से प्रदेश में शांति, सुरक्षा और सौहार्द का वातावरण स्थापित किया है। शहीद पुलिसकर्मियों की वीरता, साहस और बलिदान हमेशा आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करता रहेगा।
साभार – मीडिया रिपोर्ट्स
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