gajendra chauhan actor

जैन आचार्य विद्या सागर महाराज पर बनी फिल्म अंतरयात्री महापुरुष The Walking God का प्रीमियर शो PNC ने आगरा में कराया, Video

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Agra, Uttar Pradesh, India. जैन समाज के सर्वाधिक चर्चित संत आचार्यश्री विद्यासागर महाराज के जीवन पर फिल्म बनाई गई है। नाम है- अंतरयात्री महापुरुष The Living God. इस फिल्म की प्रीमियर शो रविवार को आगरा की श्री टॉकीज में पीएनसी ने कराया। फिल्म देखने के लिए जैन समाज उमड़ पड़ा। सीढ़ियों पर बैठकर भी फिल्म देखी। आचार्यश्री विद्यासागर महाराज का 50वां दीक्षा दिवस 30 जून को है। यह दिवस संपूर्ण देश में संयम महोत्सव के रूप में मनाया जाएगा। आचार्यश्री की दीक्षा के पचास वर्ष पूरे होने पर 30 जून को देश के पचास शहरों में इस फिल्म का प्रदर्शन एक साथ किया जा रहा है। एक बात और खास है कि फिल्म में राष्ट्र भाषा हिन्दी को शत प्रतिसथ सम्मान दिया गया है। प्रीमियर शो के मौके पर फिल्म के सभी कलाकार, निर्माता, निर्देशक सब मौजूद थे। मुख्य अतिथि के रूप में जैनाचार्य विद्यासागर महाराज के गृहस्थ जीवन के बड़े भाई महावीर जी अष्टगे जैन पधारे।

 

कार्यक्रम का शुभारंभ आचार्य विद्यासागर महाराज के गृहस्थ जीवन के बड़े भाई महावीर जी जैन अष्टगे एवं प्रदीप जैन PNC, अखिल भारतीय महापौर परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष नवीन जैन ने दीप प्रज्ज्वलन कर किया। प्रदीप जैन पीएनसी ने बाहर से आए अतिथियों का स्वागत किया। महापौर परिषद के अध्यक्ष व आगरा के महापौर नवीन जैन ने फिल्म की सराहना करते हुये कहा कि आचार्य विद्यासागर के तप और त्याग पर बनी फिल्म सभी को देखनी चाहिए। इस अवसर पर पी एन सी परिवार के चक्रेश जैन, योगेश जैन व सभी परिवारजन उपस्थित थे। कानपुर, कन्नौज, अलीगढ़, फिरोजाबाद, एटा, गाजियाबाद आदि से भी लोग पधारे।

 

जैन समाज मे फिल्म के प्रति इतना उत्साह था कि श्री टॉकीज पर प्रात: 9 बजे के शो के लिए प्रात: 8 बजे से ही तांता लगने लगा। प्रीमियर शो के प्रायोजक पी.एनस.सी. परिवार श्री टाकीज को गुब्बारे, होर्डिंग आदि से सजाया गया था।  रेड कारपेट व बैंडबाजों के साथ स्वागत किया गया। शो के दौरान आचार्यश्री से जुड़े अनेक प्रसंगों को देख दर्शक भावुक होते दिखे।

इस अवसर पर जाने-माने उद्यमी पूरन डावर, सुनील विकल, सत्यमेव जयते के मुकेश जैन, भंते सिद्धार्थ रतन, हाजी अल्ताफ हुसैन सीएमओ डॉ. अरुण कुमार, डॉक्टर जितेंद्र जैन, अखिल बरौलिया, विमलेश जैन, संजय जैन, एनके एक्सपोर्ट्स, निरंजन लाल बैनाड़ा, पन्नालाल बैनाड़ा, हीरालाल बैनाड़ा, आगरा दिगंबर जैन परिषद के अध्यक्ष जगदीश प्रसाद जै,न महामंत्री सुनील जैन ठेकेदार, अर्थमंत्री राकेश जैन पर्दे वाले, कार्यक्रम के मुख्य संयोजक मनोज जैन बाकलीवाल, राजेंद्र जैन एडवोकेट, मीडिया प्रभारी आशीष जैन मोनू, कमल कुमार जैन, सतीश चंद जैन, चौधरी गौरव जैन, दीपक जैन, शुभम जैन, अक्षय जैन, प्रवीण जैन नेताजी, पंकज जैन, अंकेश जैन, कुमार मंगलम जैन, अनुराग जैन, अशोक जैन पूर्व उप नगर प्रमुख, निर्मल मठिया, ममता जैन बाकलीवाल, रेखा जैन, वंदना जैन, सुषमा जैन पार्षद, अलका जैन आदि उपस्थित थे।

 

इस फिल्म का निर्माण शिरोमणि क्रिएशन के बैनर तले निर्मात्री कामना कुलचैनिया ने किया है तथा निर्देशक अनिल कुलचैनिया हैं जिन्होंने पटकथा और संवाद लेखन भी किया है। सह निर्माता उमेश मल्हार व आनंद राठी, कार्यकारी निर्माता योगिता शर्मा, संगीतकार सतीश देहरा, गीतकार सुधाकर शर्मा, सिनेमैटोग्राफर महेश जी. शर्मा, कोरियोग्राफर माधव किशन, एडिटर गुल हैं एवं बैकग्राउंड स्कोर धर्मेंद्र जावड़ा ने तैयार किया है। डायलॉग भरत बेनीवाल ने लिखे हैं। म्यूजिक सतीश देहरा द्वारा और गीत सुधाकर शर्मा ने लिखे हैं। इस फिल्म के गीतों को प्रसिद्ध गायक अमित कुमार, अनूप जलोटा, अनुराधा पौडवाल, साधना सरगम, रामशंकर, पामेला जैन, सलोनी जैन, अरविंदर सिंह, सतीश देहरा, देव राठौड़ और शैलेष श्रीवास्तव ने गाया है।

 

इस फ़िल्म की शूटिंग आचार्य के जन्मस्थान सदलगा (कर्नाटक) के साथ साथ स्तवनिधि, कोल्हापुर, अजमेर, किशनगढ़, जयपुर, कोटा, हैदराबाद और मुम्बई में की गई है। फिल्म में आचार्य विद्यासागर की भूमिका को विवेक इशरा निभा रहे हैं वहीं उनके माता श्रीमन्ती की भूमिका किशोरी शहाणे विज व पिता मल्लप्पा की भूमिका में गजेंद्र चौहान हैं। इनके अलावा आचार्य ज्ञानसागर के रुप में दिवंगत बलदेव त्रेहान दिखाई देंगे। साथ ही कृष्णा भट्ट, हार्दिक मिश्रा, अर्जुन, सुधाकर शर्मा, मिलिंद गुणाजी और गुफी पेंटल भी नज़र आएंगे।

 

आचार्यश्री शायद दुनिया के पहले संत हैं, जिन पर उनके जीवन काल में लगभग साठ लोग पीएचडी कर चुके हैं और लगभग इससे ज्यादा लोग पीएचडी कर रहे हैं। इनमें सभी धर्मों के लोग शामिल हैं। उनके जीवन पर भव्य नाटक आत्मान्वेषी भी तैयार किया गया है। अब फिल्म भी बन गई है। इस फिल्म का प्रसारण कई देशों में एकसाथ करने की भी योजना है।

जैन संत विद्यासागरजी का जन्म कर्नाटक के बेलगांव जिले के गाँव चिक्कोड़ी में आश्विन शुक्ल पूर्णिमा (शरद पूर्णिमा), विक्रम संवत्‌2003 यानि सन 1947 को हुआ था। श्री मल्लप्पाजी अष्टगे तथा श्रीमती अष्टगे के आंगन में जन्मे विद्याधर (घर का नाम पीलू) को आचार्य श्रेष्ठ ज्ञानसागरजी महाराज का शिष्यत्व पाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ था। राजस्थान के अजमेर में आषाढ़ सुदी पंचमी विक्रम संवत्‌2025 को लगभग 22 वर्ष की आयु में संयम धर्म के परिपालन के लिए उन्होंने पिच्छी कमंडल धारण करके मुनि दीक्षा धारण की थी। नसीराबाद (अजमेर) में गुरुवर ज्ञानसागरजी ने शिष्य विद्यासागर को अपने करकमलों से मृगसर कृष्णा द्वितीय संवत्‌2029 को संस्कारित करके अपने आचार्य पद से विभूषित कर दिया और फिर आचार्यश्री विद्यासागरजी के निर्देशन में समाधिमरण के लिए सल्लेखना ग्रहण कर ली।

 

कन्नड़ भाषी होते हुए भी विद्यासागरजी ने हिन्दी, संस्कृत, कन्नड़, प्राकृत, बंगला और अंग्रेजी में लेखन किया है। उन्होंने ‘निरंजन-शतकं’, ‘भावना-शतकं’, ‘परीषह-जय-शतकं’, ‘सुनीति-शतकं’ व ‘श्रमण-शतकं’ नाम से पाँच शतकों की रचना संस्कृत में की है तथा स्वयं ही इनका पद्यानुवाद भी किया है।

 

उनके द्वारा रचित संसार में सर्वाधिक चर्चित, काव्य प्रतिभा की चरम प्रस्तुति है- ‘मूकमाटी’ महाकाव्य। यह रूपक कथा काव्य, अध्यात्म, दर्शन व युग चेतना का संगम है। संस्कृति, जन और भूमि की महत्ता को स्थापित करते हुए आचार्यश्री ने इस महाकाव्य के माध्यम से राष्ट्रीय अस्मिता को पुनर्जीवित किया है। उनकी रचनाएँ मात्र कृतियाँ ही नहीं हैं, वे तो अकृत्रिम चैत्यालय हैं। उनके उपदेश, प्रवचन, प्रेरणा और आशीर्वाद से चैत्यालय, जिनालय, स्वाध्याय शाला, औषधालय, यात्री निवास, त्रिकाल चौबीसी आदि की स्थापना कई स्थानों पर हुई है और अनेक जगहों पर निर्माण जारी है।

Dr. Bhanu Pratap Singh