आशियाना उजड़ने का दर्द अधिकारियों को सुनाने पहुंचे लोग

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मथुरा वृंदावन रेलवे लाइन के गेज परिवर्तन के लिए हटाया जा रहा है अतिक्रमण

मथुरा। शुक्रवार को सैकड़ों लोग अधिकारियों को अपने आशियाना उजड़ने का दर्द सुनाने पहुंचे। इन लोगों की मांग थी कि उनके पुनर्वास की व्यवस्था की जाए। वृंदावन और मथुरा के बीच रेलवे लाइन के गेज परिवर्तन के चल रहे कार्य से प्रभावित सैकड़ों लोग शुक्रवार को कलेक्ट्रेट पहुंचे। सुबह ये लोग कलेक्ट्रेट स्थित धरना स्थल पर एकत्रित होने शुरू हो गये थे। धीरे धीरे इनकी संख्या में इजाफा होने लगा। महिला, पुरुष और बच्चों की बढ़ती संख्या को देखते हुए जिलाधिकारी कार्यालय मुख्य गेट को बंद कर दिया गया और बडी संख्या में यहां पुलिस बल की तैनाती कर दी गई। रालोद नेता कुंवर नरेन्द्र सिंह इन लोगों का नेतृत्व कर रहे थे। जब ये लोग जिलाधिकारी से मिलने के लिए निकले तो पुलिस ने गेट पर ही रोक दिया। इससे नाराज लोगों ने नारेबाजी शुरू कर दी। प्रदर्शनकारी जिलाधिकारी से मिलने की मांग कर रहे थे, जबकि मौके पर मौजूद पुलिस अधिकारी इस बात के लिए राजी नहीं थे। दोनों ओर से इसी जद्दोजहद में करीब एक घंटे का समय निकल गया। प्रदर्शनकारी इस बीच अधिकारियों पर उनकी बात नहीं सुनने और मनमानी करने का आरोप लगाने लगे। इसके बाद बीच का रास्ता निकालाया गया। सिटी मजिस्ट्रेट सौरभ दुबे गेट पर पहुंचे। उन्होंने वहां जमे लोगों से बात की और उनकी समस्याओं का यथासंभव समाधान करने का आश्वासन दिया। इसके बाद एक प्रतिनिधि मंडल जिलाधिकारी से मिला और अपनी बात रखी। लोगों ने अपने मकान संबंधी दस्तावेज, नगर निगम की हाउस टैक्स, वाटर टैक्स और अपने वोटर कार्ड, आधार कार्ड एवं विद्युत बिल भी डीएम के समक्ष प्रस्तुत किए। मथुरा वृंदावन की बीच 12 किलोमीटर के रेलवे ट्रैक का करोड़ों की लागत से गेज परिवर्तन का कार्य चल रहा है। यहां मीटर गेज रेलवे लाइन को ब्रॉड गेज किया जा रहा है। इसके लिए मथुरा से वृंदावन तक रेलवे की जमीन पर हुए अतिक्रमणों को चिन्हित करने के बाद उन्हें हटाने की प्रक्रिया शुरू की गई है। सबसे ज्यादा परेशानी श्रीकृष्ण जन्मस्थान के पास विकसित रिहायशी इलाके नई बस्ती में आ रही हैं। यहां रेलवे की जमीन पर 150 से अधिक अतिक्रमण चिन्हित किये गये हैं। इनमें से करीब 60 अतिक्रमण को हटाया जा चुका है। शेष अतिक्रमणों को हटाने के लिए नोटिस देकर तीन दिन का समय दिया गया है। वहीं लोगों का आरोप है कि उन्हें अतिक्रमण हटाने के लिए नोटिस नहीं दिये गये और सीधी कार्यवाही कर दी गई। प्रदर्शन में शामिल एक महिला का कहना था कि उनके पास जमीन की रजिस्ट्री है, उसी जमीन पर मकान बना था लेकिन उनका मकान भी तोड दिया गया है, उनकी बात कोई सुनने को तैयार नहीं है। वहीं इन लोगों का यह भी कहना है कि उन्हें यहां से विस्थापित किया जा रहा है तो कहीं दूसरी जगह बसाने का इंतजाम सरकार करे। हम बेघर हो जाएंगे तो कहां रहेंगें।