मां के आंचल से अधिक शीतल कहीं ना छांव

लेख

विश्व मातृ दिवस एक ऐसा अवसर है जो दुनिया के विभिन्न हिस्सों में माताओं के प्रति सम्मान और प्यार व्यक्त करने के लिए मनाया जाता है। मां प्रथम शिक्षक होती है। मां हमारे जीवन का आधार है। कविवर गोपालदास नीरज के शब्दों में मां की महिमा-
चाहे बचो पहाड़ पर या फूलों के गांव
मां के आंचल से अधिक शीतल कहीं न छांव

मां की दुआ है तो घर में खुशहाली आती है। जिस घर में मां का सम्मान वहां महालक्ष्मी और महासरस्वती का निवास होता है। किसी शायर ने बहुत खूब कहा है-
मेरा घर दिन-ब-दिन खुशहाल जो होने लगा है
हो न हो मां की दुआओं का असर होने लगा है

विश्व मातृ दिवस पर मैं संसार की समस्त माताओं को प्रणाम करता हूं।

राजेश खुराना

सदस्य, आगरा स्मार्ट सिटी, भारत सरकार

Dr. Bhanu Pratap Singh