दुर्गुणों से आत्म रक्षा करो, तभी और लोग सुरक्षित रहेंगे
जैन भवन, स्थानक, राजामंडी में जैन मुनियों का वर्षावास
Agra, Uttar Pradesh, India. नेपाल केसरी व मानव मिलन संगठन के संस्थापक डॉ. मणिभद्र सागर महाराज ने कहा है कि हमें पहले अपनी रक्षा करने का संकल्प लेना चाहिए, तभी अन्य लोगों की रक्षा कर सकेंगे। रक्षा का संकल्प लेना जैन धर्म की आत्मा है। इस धर्म में सभी की रक्षा की कामना की गई है।
जैन भवन, स्थानक राजामंडी में हो रहे वर्षावास के दौरान गुरुवार को रक्षाबंधन पर्व पर विशेष प्रवचन हुए। डा.मणिभद्र महाराज ने कहाकि रक्षा से बड़ा कोई सिद्धांत नहीं है, लेकिन सबसे पहले हमें अपनी सुरक्षा काम क्रोध, मद, लोभ, माया आदि से करनी है। तभी हमारी आत्मा का कल्याण होगा। उससे हमें ही लाभ होगा। दूसरे के अच्छे होने से हमें कोई लाभ नहीं, इसलिए पहले हमें अच्छा होना होगा।
जैन मुनि ने कहा कि अब पर्व मनाने की केवल परंपरा रह गई है, आस्था नहीं है। ऐसा नहीं होना चाहिए। हर पर्व, त्योहार का अपना एक उद्देश्य होता है। उन्होंने सभी का आह्वान किया कि धर्म की रक्षा का भी संकल्प लें। हम धर्म की रक्षा करेंगे तो धर्म हमारी रक्षा करेगा। यह त्योहार या पर्व एक दिन नहीं, हर दिन मनाना चाहिए। हर रोज हमें किसी न किसी की रक्षा का संकल्प लेना होगा। तभी जीवन की सार्थकता है।
इससे पूर्व विराग मुनि महाराज ने प्रवचन दिए। कहा कि हमें रक्षाबंधन पर्व पर माता, पिता, भाई, बहन, बुजुर्ग, असहाय, गरीबों की रक्षा का संकल्प लेना होगा। दुखियों के दुख दूर करना ही सच्चा पर्व है।
इस चातुर्मास पर्व में नेपाल से आए डॉक्टर मणिभद्र के सांसारिक भाई पदम सुवेदी का ग्यारवें दिन का उपवास जारी है। मनोज जैन लोहामंडी का नौवें दिन की तपस्या चल रही है। आयंबिल की तपस्या की लड़ी मधु जैन गांधीनगर ने आगे बढ़ाई। रविवार के नवकार मंत्र के जाप का लाभ सरिता संजय सुराना परिवार ने लिया।
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