नौटंकी कला के संरक्षण हेतु नौटंकी अकादमी स्थापित हो-पद्मश्री भाटिया

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Mathura (Uttar Pradesh, India)। मथुरा। नौटंकी या स्वाँग उत्तर भारत की प्रमुख नाट्य विधा है। नौटंकी में गायन, वादन तथा नृत्य तीनों विधाओं का समावेश होने के कारण यह सांस्कृतिक क्षेत्र की एक मात्र ऐसी विधा है जिसे राष्ट्रीय संगीतिका घोषित कर नौटंकी अकादमी की स्थापना की जानी चाहिए।

नौटंकी कलाकारों को प्रशिक्षण-प्रोत्साहन के अभाव में यह सशक्त विधा उपेक्षित है

संस्कृतिकर्मी, उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी के पूर्व उपाध्यक्ष पद्मश्री मोहन स्वरूप भाटिया ने कहा है कि एक समय था जब कि नौटंकी को राजा-महाराजा एवं जमींदारों का संरक्षण प्राप्त था। विवाह में वर पक्ष द्वारा कन्या पक्ष से यह आग्रह किया जाता था कि वह बरातियों के मनोरंजन के लिए नौटंकी कार्यक्रम आयोजित करें। उत्तर प्रदेश में उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी तथा भारतेन्दु नाट्य अकादमी स्थापित हैं किन्तु इनके द्वारा नौटंकी कार्यक्रमों का मंचन न कराये जाने तथा नौटंकी कलाकारों को प्रशिक्षण-प्रोत्साहन के अभाव में यह सशक्त विधा उपेक्षित है।

दो मंत्री, तीन विधायक मूल रूप से ब्रजवासी होने पर भी नौटंकी विधा आहत हो रही है

उन्होंने कहा कि कि उत्तर प्रदेश से हरियाणा और बिहार तक नौटंकी लोकप्रिय रही है। काफी समय पूर्व हाथरस के पं. नथाराम गौड़ की नौटंकी मंडली को रंगून में आमंत्रित किया गया था किन्तु आज नौटंकी अपने घर में ही उपेक्षित है। यह भी विडम्बना ही है कि सांसद श्रीमती हेमा मालिनी के ब्रज के प्रति आस्थावान होने, प्रदेश मंत्रीमंडल में मथुरा के दो मंत्री होने तथा शेष तीन विधायकों के भी मूल रूप से ब्रजवासी होने पर भी नौटंकी विधा आहत हो रही है और नौटंकी कलाकार भुखमरी के कगार पर पहुँच रहे हैं। पीड़ा के साथ उन्होंने कहा कि नौटंकी की उपेक्षा के कारण ही नौटंकी की एक महिला कलाकार को विवश होकर भरण-पोषण के लिए बेलदारी करनी पड़ रही है।

Dr. Bhanu Pratap Singh