राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ की चुनावी हुंकार: उत्तर प्रदेश विधान परिषद की शिक्षक सीटों पर दमदार दावेदारी
संगठनात्मक संवाद की गहराई में चुनावी रणनीति
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Agra, Uttar Pradesh, India, Bharat.
राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ उत्तर प्रदेश के माध्यमिक संवर्ग के निवर्तमान प्रदेश अध्यक्ष श्री सन्तोष कुमार सिंह (नोएडा) ने महासंघ के संस्थापक डॉ0 देवी सिंह नरवार के आगरा स्थित आवास पर पहुंचकर संगठनात्मक विचार-विमर्श की एक सशक्त बैठक आयोजित की। इस संवाद में दोनों वरिष्ठ शिक्षक नेताओं ने आगामी वर्ष 2026 में उत्तर प्रदेश विधान परिषद सदस्य की सभी छः शिक्षक सीटों पर महासंघ के प्रत्याशियों को चुनाव मैदान में उतारने की विस्तृत चर्चा की।
गहन चिंतन के पश्चात, महासंघ के माध्यमिक संवर्ग के प्रदेश अध्यक्ष डॉ0 अनूप कुमार शर्मा (अलीगढ़) से दूरभाष पर वार्ता कर उनके अनुमोदन एवं सहमति से, महासंघ ने उत्तर प्रदेश विधान परिषद सदस्य की सभी छः शिक्षक सीटों पर चुनाव लड़ने की औपचारिक घोषणा की है। यह कदम शिक्षक समुदाय की आवाज को विधायी मंच पर मजबूती प्रदान करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है।
चुनावी तैयारी की बुनियाद: मतदाता सूची से प्रत्याशी चयन तक
ज्ञातव्य है कि आगामी वर्ष 2026 में उत्तर प्रदेश विधान परिषद सदस्यों की छः शिक्षक सीटें— मेरठ, आगरा, मुरादाबाद, लखनऊ, गोरखपुर तथा बनारस—पर चुनाव संपन्न होने हैं। शीघ्र ही चुनाव आयोग द्वारा चुनाव कार्यक्रम की अधिसूचना जारी होने के उपरांत, नये सिरे से मतदाता सूची तैयार करने का कार्य आरंभ हो जाएगा। महासंघ द्वारा मतदाता सूची में नाम सम्मिलित कराने की एक सुनियोजित कार्य योजना तैयार की जा रही है। साथ ही, इन छः शिक्षक एम.एल.सी. सीटों पर चुनाव लड़ाने हेतु प्रत्याशियों के चयन की प्रक्रिया प्रारंभ हो चुकी है। महासंघ के प्रत्याशी के रूप में शिक्षक सीट पर एम.एल.सी. के लिए चुनाव लड़ने के इच्छुक कार्यकर्ता महासंघ के माध्यमिक संवर्ग के प्रदेश अध्यक्ष डॉ0 अनूप कुमार शर्मा (अलीगढ़) से उनके मोबाइल नंबर 8218269764 पर संपर्क कर सकते हैं। यह प्रक्रिया शिक्षक वर्ग की एकजुटता को मजबूत करने का एक सुनहरा अवसर प्रदान कर रही है।
टीईटी अनिवार्यता पर उभरती बेचैनी: शिक्षकों के अधिकारों पर प्रहार
माध्यमिक तथा प्राथमिक विद्यालयों में सेवारत सभी अध्यापकों के लिए टीईटी (शिक्षक पात्रता परीक्षा) की अनिवार्यता पर गहरी चिंता एवं आपत्ति व्यक्त करते हुए, महासंघ के वरिष्ठ शिक्षक नेताओं ने कहा है कि शिक्षकों की भर्ती/नियुक्ति के समय न्यूनतम अर्हता में टीईटी शामिल नहीं थी, किंतु यकायक इसकी अनिवार्यता लागू करना कतई व्यवहारिक नहीं है। यह व्यवस्था शिक्षकों के अधिकारों पर एक कुठाराघात है, जिससे शिक्षक समुदाय में भारी बैचेनी तथा असंतोष व्याप्त है। आवश्यकता पड़ने पर महासंघ इस मुद्दे पर आंदोलन भी करेगा, ताकि शिक्षकों की न्यायपूर्ण मांगों को सुनिश्चित किया जा सके।
संपादकीय: शिक्षक अधिकारों की जंग में महासंघ की भूमिका
शिक्षा जगत में उभरती चुनौतियों के बीच राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ उत्तर प्रदेश की यह चुनावी घोषणा न केवल एक राजनीतिक कदम है, अपितु शिक्षक समुदाय की एकजुटता का प्रतीक भी। विधान परिषद की छः शिक्षक सीटों पर दावेदारी शिक्षकों की आवाज को विधायी पटल पर मजबूत करने का प्रयास है, जो सराहनीय है। किंतु टीईटी की अनिवार्यता जैसी नीतियां, जो पूर्वव्यापी रूप से लागू हो रही हैं, शिक्षकों के मन में असुरक्षा की भावना पैदा कर रही हैं। सरकार को चाहिए कि वह शिक्षकों की वास्तविक चिंताओं को समझे और संवाद के माध्यम से समाधान निकाले। महासंघ का आंदोलन की चेतावनी एक चेतना है कि शिक्षा नीतियां शिक्षकों के सहयोग से ही सफल हो सकती हैं, न कि उनके विरुद्ध। यह समय है जब शिक्षा को राजनीति से ऊपर उठाकर सशक्त बनाया जाए, ताकि राष्ट्र का भविष्य उज्ज्वल हो।
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