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मुहम्मद इकबाल ने आगरा में बताया कि इस्लाम के अनुयायियों को जन्नत की टिकट कैसे मिलती है

RELIGION/ CULTURE

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Agra, Uttar Pradesh, India, Bharat.   मस्जिद नहर वाली सिकंदरा के इमाम मुहम्मद इकबाल ने आज जुमा के संबोधन में असल इस्लाम के बारे में बात की। उन्होंने पहले एक पुराने किस्से का जिक्र किया और बताया कि एक मुस्लिम देश में जब क्रांति आयी तो वहां वहां आम जगहों और सीढ़ियों पर दुश्मन देश के झंडे और वहां के नेताओं की तस्वीरें बना दीं, ताकि लोग उनको रौंद कर आगे बढ़ें। ये दुश्मनी का एक तरीक़ा है। लेकिन अल्लाह के रसूल का तरीक़ा इससे अलग था। वो लोगों की भलाई के लिए दुआएं करते थे। अपने दुश्मनों से भी प्रेम का व्यवहार रखते ताकि उनका दिल इस्लाम के लिए नरम हो और वो इस्लाम की ओर आकर्षित हों।

उन्होंने कहा कि सही मुस्लिम की हदीस नंबर 1732 में कहा गया– “लोगों को खुशखबरी दो, दूर न भगाओ, आसानी पैदा करो और मुश्किल  में न डालो।” मैं आपको अभी की मिसाल पेश करता हूँ। इजराइल और हमास के युद्धविराम के समय जो बंदी हमास की तरफ से छोड़े गए उन सबने रिहा होने के बाद हमास की बेहद तारीफ की। ये अलग बात है कि इंटरनेशनल मीडिया में इसको उतनी जगह नहीं मिली जितना उस खबर को ‘अधिकार’ था। लेकिन हमास के लोगों ने असल इस्लाम की तस्वीर अपनी तरफ से पेश की। यही असल काम है।

उन्होंने कहा कि अगर हम किसी को भी असल इस्लाम की तरफ बुलाएं तो मुमकिन है कि उसके दिल में इस्लाम के लिए नफरत के बजाए ‘इज्जत’ पैदा हो। हमको अपना काम करना है दिल अल्लाह के इख्तियार में हैं।

मोहम्मद इकबाल ने कहा कि आज दुनिया में इस्लाम के नाम पर दूसरों से नफरत करने वाले तो बहुत हैं मगर इस्लाम के लिए दूसरों से मुहब्बत करने वाले को ढूंढना पड़ता है। काश ! हम भी नबी की तरह अपने दिल में वो तड़प पैदा करें और हम भी लोगों के लिए दुआ करें कि अल्लाह उनको भी इस्लाम की दौलत से नवाज दे ताकि ये भी ‘जन्नत के हकदार’ बन सकें। ये तड़प हमें अपने अंदर पैदा करनी है ताकि हमारे लिए भी जन्नत में दाखिला आसान हो जाए और हम भी अल्लाह के मेहमान बन जाएं। आमीन।

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Dr. Bhanu Pratap Singh