Lucknow, Capital of UP. नौकरशाहों को यह समझ आ गया है कि कुछ बड़ा करना है तो राजनीति में आना चाहिए। यही कारण है कि अधिकांश नौकरशाह राजनीति में आने के बाद बड़े आदमी बन गए। सलाम करने के स्थान पर सलाम लेने लगे। किसी ने ठीक ही कहा है कि हर समस्या की चाबी राजनीति के पास है। परिवर्तन का द्वार राजनीति से ही खुलता है। विश्व का सबसे बड़ा सांस्कृतिक संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भी सत्ता मोह से अछूता नहीं है। भारतीय जनता पार्टी से तालमेल तो है ही।
वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी और कमांडो असीम अरुण ने भारतीय जनता पार्टी जॉइन कर ली है। चर्चा है कि वे उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव लड़ेंगे। उन्होंने इस बारे में फेसबुक पर पोस्ट भी डाल दी है। लगातार समर्थन मिल रहा है। असीम अरुण ऐसे अधिकारी हैं जिन पर किसी भी पार्टी का ठप्पा नहीं लगा। वे हर सरकार में मुख्य पदों पर रहे हैं। जब मैं हिन्दुस्तान, अलीगढ़ का संपादकीय प्रमुख था, तब उनसे मेरी भेंट हुई। मैं आगरा आया तो वे भी आगरा के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक बन गए। जहां भी जाते हैं, अपनी अमिट छाप छोड़ते हैं। उनकी अंतिम पोस्टिंग पुलिस कमिश्नर कानपुर के रूप में रही। पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों का राजनीति से रिश्ता पुराना है। इस बारे में हम क्रमशः बात करेंगे। मोदी मंत्रिमंडल में कई अधिकारी शामिल हैं। इनमें से कुछ का उल्लेख हम यहां कर रहे हैं।

हरदीप सिंह पुरी
हरदीप सिंह पुरी वर्तमान में आवास और शहरी मामलों के लिए राज्य (स्वतंत्र प्रभार) मंत्री हैं। पुरी 1974 में भारतीय विदेश सेवा में आए और ब्रिटेन और ब्राजील में राजदूत के रूप में कार्य किया। वह जिनेवा के साथ-साथ न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र के लिए भारत के स्थायी प्रतिनिधि भी थे। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के दो बार अध्यक्ष भी थे। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के आतंकवाद विरोधी समिति के चेयरमैन भी रहे। पुरी जनवरी 2014 में बीजेपी में शामिल हो गए और सितंबर 2017 में मंत्री बन गए।
राजकुमार सिंह
राज कुमार सिंह 1975 बैच के बिहार-कैडर आईएएस अधिकारी हैं, जिन्होंने केंद्रीय गृह सचिव के रूप में कार्य किया था। सिंह समस्तीपुर के जिला मजिस्ट्रेट थे जब भाजपा नेता एल.के आडवाणी को 1990 में उनकी रथ यात्रा के दौरान गिरफ्तार किया था। 2013 में भाजपा में शामिल हो गए। वह वर्तमान में नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) के लिए राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) हैं और लोकसभा में बिहार के आरा निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं।
सत्यपाल सिंह
सत्यपाल सिंह महाराष्ट्र कैडर के 1980 बैच के पूर्व भारतीय पुलिस सेवा अधिकारी हैं। उन्होंने मुंबई के पुलिस आयुक्त के रूप में भी कार्य किया और 1990 के दशक के दौरान मुंबई में संगठित अपराध सिंडिकेट को खत्म करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। आंध्र प्रदेश और मध्य प्रदेश के नक्सली प्रभावित इलाकों में उनकी असाधारण सेवाओं के लिए सिंह को 2008 में आतंरिक सुरक्षा सेवा पदक से सम्मानित किया गया था। 2014 में उन्होंने मुंबई पुलिस प्रमुख के पद से इस्तीफा दे दिया और भाजपा में शामिल हो गए। उन्होंने 2014 के आम चुनावों में बागपत सीट से चुनाव लड़ा और जीता और वर्तमान में मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री हैं।
अल्फोंज कन्नाथानम
केरल के कोट्टायम जिले के रहने वाले अल्फोंज कन्नाथानम, 1979 बैच के सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी हैं।1990 के दशक में दिल्ली विकास प्राधिकरण के कमिश्नर के रूप में कार्य करते हुए अल्फोंज चर्चा में आए, जब उन्होंने कई अवैध इमारतों को ध्वस्त करवा दिया और 10,000 करोड़ रुपये से अधिक की भूमि का पुन: दावा किया। इसने उनको एक नया उपनाम ‘डिमोलिशन मैन’ दिया । वह 2006 में आईएएस से सेवानिवृत्त हुए और वाम डेमोक्रेटिक फ्रंट के समर्थन के साथ उस साल कोट्टायम में कंजिरप्पाली से एक स्वतंत्र विधायक के रूप में निर्वाचित हुए। वह 2011 में बीजेपी में शामिल हो गए और छह साल बाद, राजस्थान से राज्यसभा सांसद बने। वह वर्तमान में इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री हैं और साथ ही राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) के लिए पर्यटन मंत्री हैं।
प्रीता हरित
यूपी के मेरठ में इनकम टैक्स (IT) विभाग की प्रिंसिपल कमिश्नर प्रीता हरित ने 20 मार्च 2019 को नौकरी से इस्तीफ़ा देकर कांग्रेस ज्वाइन किया। कांग्रेस ने उन्हें यूपी के आगरा से लोकसभा टिकट भी दे दिया। हरियाणा की रहने वाली 1987 बैच की IRS हरित दलित अधिकारों को लेकर काफी काम करती रही हैं। उनकी जमानत जब्त हो गई।
अपराजिता सारंगी
ओडिशा की IAS अधिकारी अपराजिता सारंगी ने अपने पद से इस्तीफा देकर पिछले साल नवंबर में BJP का दामन थाम लिया था। बिहार की रहने वाली अपराजिता 1994 बैच की आईएएस अधिकारी हैं। अपराजिता ने रिटायर होने में 11 साल पहले भाजपा जॉइन की। ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर से लोकसभा चुनाव लड़ा।
मणिशंकर अय्यर
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मणिशंकर अय्यर ने साल 1963 में भारतीय विदेश सेवा (IFS) ज्वाइन किया था। साल 1989 में राजनीति में आने के लिए अय्यर ने VRS ले लिया था। मानव संसाधन राज्यमंत्री सत्यपाल सिंह महाराष्ट्र कैडर के 1980 बैच के IPS अधिकारी थे. साल 2014 में उन्होंने मुंबई पुलिस आयुक्त के पद से इस्तीफा दे दिया. इसके बाद वे BJP में शामिल हो गए. वे यूपी के बागपत से Lok Sabha चुनाव जीतकर केंद्र में मंत्री बन गए।
अरविंद केजरीवाल
दिल्ली के CM और AAP प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने साल 1992 में इंडियन रेवेन्यू सर्विस (IRS) ज्वाइन किया था। कुछ साल बाद पद से इस्तीफा देकर RTI के लिए काम करने लगे। साल 2006 में केजरीवाल को रमन मैगसेसे अवॉर्ड मिला था।
शाह फैसल
जम्मू-कश्मीर के पूर्व IAS अधिकारी शाह फैसल की उम्र सिर्फ 35 साल है। इस पूर्व IAS ने कुछ दिन पहले ही अपनी नई राजनीतिक पार्टी जम्मू-कश्मीर पीपल्स मूवमेंट बनाई है। फैसल ने जनवरी 2019 में नौकरी से इस्तीफा देते समय जम्मू-कश्मीर में सेना द्वारा आम लोगों की कथित हत्या और इन्हें रोकने के लिए केंद्र द्वारा गंभीर प्रयास नहीं करने का आरोप लगाया था।
रमन सिंह
छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम रमन सिंह के करीबी माने जाने वाले 2005 बैच के IAS अधिकारी ओ पी चौधरी ने अगस्त 2018 में पद से इस्तीफा दे दिया था। रायपुर के कलेक्टर का पद छोड़कर चौधरी BJP में शामिल हो गए. इसके बाद भारतीय जनता पार्टी (BJP) के टिकट पर छत्तीसगढ़ के खरसिया विधानसभा सीट से चौधरी ने चुनाव लड़ा, लेकिन वे हार गए।
अजीत जोगी
जब अजीत जोगी ने राजनीति में शामिल होने का फैसला किया तो वह भी जिला कलेक्टर थे। 1968 के बैच के एक आईएएस अधिकारी, वह तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी द्वारा प्रोत्साहित करने के बाद कांग्रेस में शामिल हो गए। जोगी छत्तीसगढ़ के पहले मुख्यमंत्री बने।
यशवंत सिन्हा
पटना में जन्मे यशवंत सिन्हा ने 1960 में आईएएस को जॉइन की। 1984 तक नौकरशाह बने रहे। वह 1990-91 में जनता दल के सदस्य के रूप में प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के केंद्रीय मंत्रिमंडल में वित्त मंत्री बने और बीजेपी में जाने से पहले अटल बिहारी वाजपेयी के अगुआई वाली एनडीए सरकार में वित्त मंत्री और विदेश मामलों के मंत्री के रूप में काम किया 2018 में उन्होंने वर्तमान पार्टी नेतृत्व के साथ मतभेदों के परिणामस्वरूप भाजपा छोड़ दी। उनके बेटे जयंत सिन्हा नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री रहे।
मीरा कुमार
बिहार के आरा में जन्मी मीरा कुमार 2009 से 2014 तक लोकसभा अध्यक्ष बनने वाली भारत की पहली महिला बनीं। उनके पिता बाबू जगजीवन राम ने भारत के चौथे उप -प्रधानमंत्री के रूप में काम किया। मीरा कुमार ने 1973 में भारतीय विदेश सेवा को जॉइन किया और करीब एक दशक से अधिक समय तक सेवा की। बिजनौर उप-चुनाव में राम विलास पासवान और मायावती को हराकर वह 1985 में राजनीति में आईं। 2004 में उन्हें कांग्रेस नेतृत्व वाली यूपीए सरकार में सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री नियुक्त किया गया था। कांग्रेस ने 2017 में भारत के राष्ट्रपति पद के लिए मीरा कुमार को भी चुना, जहाँ वह रामनाथ कोविंद से हार गईं थी ।
नटवर सिंह
1953 में नटवर सिंह ने भारतीय विदेश सेवा के तहत नौकरी। 31 वर्षों तक सेवा दी। आईएफएस अधिकारी के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान, उन्हें चीन और अमेरिका जैसे महत्वपूर्ण दूतावासों में तैनात किया गया था।1984 में उन्होंने आईएफएस छोड़ दिया और कांग्रेस में शामिल हो गए। वह भरतपुर, राजस्थान से आठवीं लोकसभा में चुने गए थे। उसी वर्ष, उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया गया। 1985 में वह राजीव गांधी की सरकार में स्टील, कोयला और खनन और कृषि मंत्रालयों में राज्य मंत्री बने। उन्होंने मनमोहन सिंह की यूपीए सरकार के दौरान विदेश मामलों के मंत्री के रूप में भी कार्य किया।
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