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विश्व साहित्य सेवा ट्रस्ट के राष्ट्रीय कवि सम्मेलन में सिर्फ कविता, कोई लफ्फाजी नहीं हुई, डॉ. पंकज महेन्द्रू और राजेश खुराना ने कवियों पर कही बड़ी बात

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विश्व साहित्य सेवा ट्रस्ट और निखिल प्रकाश समूह आगरा ने कराया राष्ट्रीय कवि सम्मेलन

कवि कविता के माध्यम से भूलों को राह दिखाते, तनाव से मुक्त दिलाते हैं- डॉ. पंकज महेन्द्रू

विशिष्ट अतिथि राजेश खुराना ने कहा- कवियों की आलोचना में भी शुभ संदेश छिपा होता है

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Agra, Uttar Pradesh, India.   विश्व साहित्य ट्रस्ट भारत और निखिल प्रकाश समूह आगरा ने यूथ हॉस्टल में राष्ट्रीय कवि सम्मेलन आयोजित हुआ। खास बात यह रही कि कवि सम्मेलन में सिर्फ कविता पाठ हुआ, लफ्फाजी या चुटकुलेबाजी नहीं हुई। किसी भी कवि ने कविता की लंबी भूमिका नहीं रखी। समय की बाध्यता के चलते कई कवियों ने तो तीन मिनट में ही कविता पढ़ दी। कुछ कवियों ने कविता पाठ के दौरान डायस को ही नहीं बल्कि ताल भी ठोकी। मुख्य अतिथि, छावनी परिषद आगरा के पूर्व उपाध्यक्ष डॉ. पंकज महेन्द्रू ने कवियों को सराहा। उन्होंने कहा कि कवि अपनी कविता के माध्यम से भूलों को राह दिखाते हैं। मैं कवियों के आगे स्वयं को तुच्छ समझता हूँ। देश के आज जो हालात हैं, उसमें कवियों का होना जरूरी है। हास्य कविता तनाव से मुक्ति प्रदान करती है। विशिष्ट अतिथि, समाजसेवी राजेश खुराना ने कहा कि कवियों द्वारा की गई आलोचना में शुभ संदेश होता है।

ट्रस्ट के अध्यक्ष डॉ. मोहन मुरारी शर्मा, सहदेव शर्मा और निखिल शर्मा ने डॉ. पंकज महेन्द्रू का भव्य स्वागत किया। राजेश खुराना ने निखिल शर्मा का ट्रॉफी देकर स्वागत किया। निशिराज के पति राज कुमार और डॉ. शशि गुप्ता के पति राजेन्द्र गुप्ता का मंच पर स्वागत किया गया। कवि सम्मेलन का शानदार संचालन नूतन अग्रवाल ‘ज्योति’ और निशिराज ने किया। काव्यपाठ से पूर्व प्रत्येक कवि का स्वागत किया गया।

 

कवि सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए डॉ. राजेन्द्र मिलन ने कहा-

मेरे भारत देश का अजब हुआ है हाल

बातें तो सस्ती हुईं मंहगी रोटी दाल

kavi sammelan in agra
कवि सम्मेलन में मंच पर बाएं से कृष्ण कुमार कनक, नूतन अग्रवाल ज्योति, आचार्य यादराम सिंह वर्मा कविकिंकर, डॉ. राजेन्द्र मिलन, डॉ. पंकज महेन्द्रू, राजेश खुराना, प्रो. हरिसिंह कुशवाहा।

मंचासीन आचार्य यादराम सिंह वर्मा ‘कविकिंकर  ने अपना शाब्दिक चातुर्य इस तरह से दिखाया-

जीवन की किसी विधा से यदि विलग हो जाएंगे

नीति और धर्म, सत्य, शिव, शुभ कर्म

तो शून्य के अतिरिक्त अवशेष क्या रह जाएगा,

सूर्य सुधाकर से विहीन भूमंडल पर

कितनी भयावह होगी घोरतम की कालिमा

यह तो कभी भविष्य ही बताएगा

 

गीतकार राजकुमार रंजन (आगरा) ने अपने गीतों से कवि सम्मेलन को नई ऊंचाई दी-

गीत की आज महफिल सजा दीजिए

जो किसी को न दी वो रजा दीजिए
दिख सकूं मैं अगर दिल के आइने में

तो मोहब्बत की वीणा बजा दीजिए

 

नई दिल्ली से आए रघुवर आनंद ने कहा-

तूफानों में महफूज जो मेरा घर है

मेरी मां की दुआओं का असर है

और

हर दीवाने को जहां मौत आए

वो जगह ताजमहल जैसी हो

 

वरिष्ठ पत्रकार डॉ. भानु प्रताप सिंह चपौटा’ (आगरा) ने अम्मा पर कविता सुनाकर सबको सम्मोहित कर दिया-

जब मेघ बरसते रह-रहकर छाता बन जाती थी अम्मा।

बिजली कड़की कांप गया मैं गले लगाती थी अम्मा।।

मैं हूं काला और कलूटा राजा कहती थी अम्मा।

मैं गोरा-गोरा हो जाऊँ, हमाम लगाती थी अम्मा।।

 

गुना (एम.पी.) से आए डॉ. सतीश चतुर्वेदी शांकुतल ने कहा-

भैया बहुत दिनों से गांव नहीं आए

ना ही तुमने हम शहर में बुलवाए

 

प्राइड ऑफ एमपी प्रो. हरी सिंह कुशवाह (उज्जैन) ने स्वामी विवेकानंद के जीवन को 108 पंक्तियों में उकेरा

जय विवेकानंद ज्ञान गुन सागर..

कवि सम्मेलन
काव्यपाठ करते डॉ. राजकुमार रंजन। मंचासीन हैं, नूतन अग्रवाल ज्योति, निशिराज, आचार्य यादराम सिंह वर्मा कविकिंकर, डॉ. राजेन्द्र मिलन, प्रो. हरिसिंह कुशवाहा, डॉ. शशि गुप्ता।

आगरा की डॉ. शशि गुप्ता ने कवि सम्मेलन को राममय बना दिया

राम तुम आओ हृदय के द्वार ये धागा जोड़ दूँ,

श्वांस जो दरबान है उसका मैं रस्ता मोड़ दूँ।

ये जो जीवन रेत सा मैं संभाले जा रही,

रिश्तों की मासूमियत से मैं पाले जा रही

तुम इशारा दो तो पिंजर देह का मैं छोड़ दूँ।

 

आगरा की निशिराज ने गीत सुनाकर हर किसी के हृदय में स्थान बना लिया-

हर किसी से न शिकवा गिला कीजिए

दुश्मनों से भी हँसकर मिला कीजिए

 

हरिओम सिंह विमल (इटावा) ने कहा-

हर एक बात के सौ-सौ जवाब मिलते हैं

शिकायतों का मजा ही नहीं रहा अब तो

और

मुसीबतों से भरे बारिश के मैदान में

घरों के नाम पर छप्पर है और कुछ भी नहीं

 

आगरा के इंदल सिंह इंद्र ने कहा

आदमी में हजार जौहर हों मगर

आदमियत नहीं तो कुछ भी नहीं

 

आगरा की नूतन अग्रवाल ज्योति ने पढ़ा-

मोतियों से भरा इक समुंदर हो तुम

तुम जहां हो मेरा मेरे अंदर हो तुम

 

आगरा के संजय गुप्त ने नंदलाल का आह्वान किया

द्वारिकाधीश बन गए हो भगवन अपने हो गोविंद गोपाल।

वृंदावन में बांसुरी बजाने फिर से आ जाओ नंदलाल ।।

 

निर्दोष कुमार प्रेमी (इटावा) ने कहा-

बात आती है जब जन्नत की

मां के कदमों को चूम लेता हूँ।

 

करहल (मैनपुरी) से आए प्रेम शाक्य ने कविता में ग्रामीण जीवन की झलक दिखाई-

निर्धन या धनवान सभी को भोजन दे देते हैं

सिर्फ अंगोछा बिछा पेड़ के नीचे सो लेते हैं

 

रजिया बेगम जिया (धौलपुर) ने कहा-

न आँखों में नींद न दिल में चैना

मिले हैं जब से साजन हमारे ये नैना

 

रियाज इटावी ने कहा-

जब किसी में जुनून होता है

कब मयस्सर सुकून होता है

पहले तो थे खून के रिश्ते

अब तो रिश्तों का खून होता है

 

आगरा के विनय बंसल की गजल सुनाई

खेल तमाशा जारी रखना

लम्बी अपनी पारी रखना

सुख में दुख में साथ जो दे

उससे अपनी यारी रखना

 

श्रीमती मंजू यादव ग्रामीण (आगरा) ने कहा-

कौन कहता है मोहब्बत सदा बर्बाद होती है,

ये तो ऐसी शै है जो फना होकर भी आबाद होती है।

 

डॉ. आलोक अश्रु ने  पढ़ा

वक्त के साथ किरदार बदल जाते हैं

दिल के रिश्ते कभी यार बदल जाते हैं

और

अब तो नेट चलाने में बिजी हैं बच्चे

नाव कागज की चलाने का मजा भूल गए

 

यासानी अंसारी (इटावा) का मुक्तक देखिए

किसी अजीज से सौगात में नहीं मिलती

कामयाबियां एक रात में नहीं मिलती

बुलंदियां मेहनत से होती हैं हासिल

बुलंदियां खैरात में नहीं मिलती।

 

दिनेश यादव ने कहा-

चाहे कितने कठिन हों रस्ते

चलना बहुत जरूरी है

 

डॉ. ओम प्रकाश सूर्य ने वीर रस की कविता सुनाकर सम्मोहित कर दिया। संजय गुप्त ने मन का उथल-पुथल पर शाब्दिक चातुर्य प्रस्तुत किया। हिमानी ने पर्यावरण की चिन्ता की।

Dr. Bhanu Pratap Singh