एक व्यक्ति जो बोल सुन नहीं सकता, लेकिन उसकी कला का विश्‍व दीवाना है

एक व्यक्ति जो बोल सुन नहीं सकता, लेकिन उसकी कला का विश्‍व दीवाना है

साहित्य

एक व्यक्ति जो बोल सुन नहीं सकता, लेकिन उसकी कला का विश्‍व दीवाना है। वह जो कारनामा माचिस की तीली से करता है, उससे देखकर हर कोई हैरान है। विदेशों में तो उसकी बनाई कलाकृतियां सहेज कर रखी गई हैं। जी हां, ये सच है। हम बात कर रहे हैं नरवाना के बीरबल नगर निवासी प्रदीप कुमार की।

Pradeep-Kumar

मूकबधिर 42 वर्षीय प्रदीप कुमार माचिस की तीलियों को तराश कर उन पर देवताओं व पक्षियों की कलाकृतियां बनाते हैं। प्रदीप की ये कलाकृतियां इंग्लैंड, अमेरिका, डेनमार्क, फिनलैंड आदि देशों के संग्रहालय में धरोहर के तौर पर रखी गई हैं। अभी हाल ही में न्यूयॉर्क शहर में प्रतिवर्ष लगने वाले आउटसाइडर आर्ट फेयर अंतर्राष्ट्रीय मेले में भी प्रदीप कुमार की कलाकृतियों को प्रदर्शित किया जाएगा। 16 से 19 जनवरी तक लगने वाले इस अंतर्राष्ट्रीय मेले में 9 देशों के 32 शहरों से 61 कला दीर्घाएं एवं संग्रहालय भाग ले रहे हैं। जहां अंतर्राष्ट्रीय रॉ विजन पत्रिका ने अपने बूथ पर प्रदीप कुमार की सूक्ष्म कलाकृतियां को प्रदर्शन के लिए रखा हुआ है। इस मेले में अंतर्राष्ट्रीय पत्रिका के मुख्य संपादक जॉन मैजाइल्स स्वयं उपस्थित रहेंगे।
विदेशों में कला प्रेमियों ने कलाकृति को सराहा
इस मूक एवं बधिर कलाकार की कलाकृतियों को भारत ही नहीं, विदेशी कला-प्रेमियों ने भी खूब सराहा है इसीलिए तो उसकी कलाकृतियों के प्रेमी विदेशों से नरवाना आकर प्रदीप कुमार से संपर्क कर रहे हैं। इसी कड़ी में पिछले दिनों वियाना आस्ट्रेलिया से विदेशी कलाकार महिला हन्ना इस कलाकार की कलाकृतियां को अपने कलाकृति संग्रह में शामिल करने हेतु लेकर गईं हैं।
मिला भारतीय दिव्यांग भूषण पुरस्कार
अप्रैल में प्रदीप कुमार की कलाकृतियां को पुर्तगाल में भी प्रदर्शित किया जा चुका है। प्रदीप कुमार को देश में मिले भारतीय दिव्यांग भूषण पुरस्कार के साथ-साथ कई अन्य देशों ने भी इस दिव्यांग कलाकार को प्रतिभा स्वरूप सम्मानित किया है।
अनूठी प्रतिभा ने चढ़ाया कला के शिखर पर
बचपन से मूक-बधिर प्रदीप कुमार ने माचिस की तीलियों को तराश कर सूक्ष्म कलाकृति बनानी क्या शुरू की, उसकी इस प्रतिभा ने उसको कला के ऊंचे शिखर पर ला दिया है। उनकी कलाकृति इतनी सूक्ष्म होती हैं कि वह लैंस की सहायता से ही देखी व परखी जा सकती हैं। उनके पिता बालकिशन स्वामी का कहना है कि मूक-बधिर होने के कारण हमें चिंता सताए रहती थी कि वह किस तरह अपना जीवन बसर कर पाएगा। यह कुदरत का करिश्मा कहिए या उसकी मेहनत, आज बेटे ने विदेशों में भी परिवार का नाम सुर्खियों में ला दिया है। वर्तमान में प्रदीप कुमार पंजाब नेशनल बैंक में नौकरी कर रहा है।

Dr. Bhanu Pratap Singh