कोरोना वायरस से मौतों का अनुमान लगाने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली पद्धति पर भारत ने आपत्ति जताई है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि भारत जैसे बड़े देश के लिए कोविड से हुई मौतों की गणना के लिए उसी मैथमेटिकल मॉडल का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता, जिसका प्रयोग कम आबादी वाले देशों के लिए हो रहा है।
दरअसल, न्यूयॉर्क टाइम्स में रिपोर्ट छपी थी कि भारत कोविड डेथ को लेकर वैश्विक आंकड़े सार्वजनिक करने के WHO के प्रयासों को रोक रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक यूएन हेल्थ एजेंसी का अनुमान है कि 2021 के आखिर तक वायरस के कहर से 15 मिलियन मौतें हुई हैं। गौर करने वाली बात यह है कि देशों ने अलग-अलग रूप से जो आंकड़े जारी किए हैं उससे यह दो गुना है। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि WHO का आंकलन बताएगा कि भारत में कोविड से मरने वालों की संख्या कम से कम 40 लाख है, जो आधिकारिक आंकड़े का आठ गुना है।
ऐसे में भारत ने कोविड-19 मृत्यु दर का आंकलन करने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की पद्धति पर सवाल उठाया है। भारत सरकार ने कहा कि इस तरह के गणितीय मॉडल का इस्तेमाल इतने बड़े भौगोलिक आकार और जनसंख्या वाले देश में मृत्यु के आंकड़ों का अनुमान लगाने में नहीं किया जा सकता। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने 16 अप्रैल को प्रकाशित न्यूयॉर्क टाइम्स के ‘भारत दुनिया में कोविड से मृतकों की संख्या सार्वजनिक करने के डब्ल्यूएचओ के प्रयास बाधित कर रहा’ शीर्षक वाले लेख के जवाब में यह कहा है।
मंत्रालय ने कहा कि देश ने WHO की ओर से अपनाई जाने वाली पद्धति पर कई बार चिंताएं व्यक्त की है। मंत्रालय ने बयान में कहा, ‘भारत की मूल आपत्ति नतीजे से नहीं रही है बल्कि इसके लिए अपनाई जाने वाली पद्धति से रही है।’
स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार भारत ने डब्ल्यूएचओ को लिखे छह पत्रों समेत कई औपचारिक संदेशों के जरिए अन्य सदस्य देशों के साथ इस पद्धति पर अपनी चिंताएं व्यक्त की हैं।
-एजेंसियां
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