- सरकार की मंशा प्रावधानों को आसान करने की होती है किन्तु मुश्किल होती जा रही
- भारत सरकार ने नेशनल चैंबर के दो सुझाव माने, बजट की विसंगतियों के बारे में दी जाएगी जानकारी
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Agra, Uttar Pradesh, India, Bharat. आगरा के जीवनी मंडी स्थित चैम्बर भवन में बजट में किये गये प्रावधानों पर चैम्बर अध्यक्ष अतुल कुमार गुप्ता की अध्यक्षता में आयकर विशेषज्ञों द्वारा चर्चा की गई। आयकर विशेषज्ञों में चैम्बर के पूर्व अध्यक्ष अनिल वर्मा एडवोकेट एवं चैम्बर आयकर प्रकोष्ठ के चेयरमैन सीए दीपेन्द्र मोहन द्वारा अपने विचार रखे गये।
नेशनल चैंबर आगरा के पूर्व अध्यक्ष अनिल वर्मा ने बताया कि बजट बनाने में सरकार की मंशा सरलीकरण की है किन्तु कई प्रावधानों के कारण नियमों में विसंगतियां हुई हैं। इस सरकार में चैम्बर द्वारा सुझाव प्रेषित किये जायेंगे, ताकि बजट में किये गये प्रावधान अधिनियम बनने के पूर्व सही हो सकें।
आयकर विशेषज्ञ अनिल वर्मा एडवोकेट ने बताया कि चैम्बर द्वारा बजट पूर्व भेजे गये प्रतिवेदन में से दो प्रावधान – 1. विवाद से विश्वास की ओर 2. चैरिटेबल ट्रस्ट के सम्बन्ध में सुझावों को मान लिया गया है।
श्री वर्मा ने बताया कि सरकार की मंशा धीरे-धीरे पुराने कर प्रशासन को हतोत्साहित करने की है और नये कर प्रशासन को लागू करने की है। पार्टनरशिप फर्म और एलएलपी को इसमें कोई फायदा नहीं हुआ है। इसके अलावा वेतन पर टीडीएस, कैपिटल गेन पर इम्पैक्ट, प्रॉपर्टी से प्राप्त आय की जानकारी दी गई।
उन्होंने बताया कि लिटिगेशन को कम करने के लिए अपीलों में बदलाव किया गया है। चैरिटेबल ट्रस्ट में पंजीकरण में देरी आदि के लिटिगेशन को खत्म करने की पावर लोकल कमिश्नर को दे दी है। बिजनेस इनकम के नियमों में बदलाव किया है। नियम के विरुद्ध किये जाने वाले खर्चों को बिजनेस खर्चों में नहीं माना जायेगा।
आयकर प्रकोष्ठ के चेयरमैन सीए दीपेन्द्र मोहन ने टीडीएस, पार्टनरशिप डीड में बदलावों की विस्तृत जानकारी प्रदान की। कृषि भूमि के विक्रय करने पर प्राप्त आय के विभिन्न स्लैब को खत्म करते हुए 50 लाख से ऊपर की रकम को कर के दायरे में लिया गया है। सरकार सही आयकर लेने के लिए विभिन्न प्रकार के खर्चों की जानकारी टीसीएस से ले रही है।
उन्होंने कहा कि टीसीएस में ब्याज एक ही दर 1.5 प्रतिशत पर कर दी है। अक्टूबर 2024 से सारे टीसीएस के बदलाव लागू हो जायेंगे। केस पुनः खोलने का समय अब केवल 5 साल कर दिया है। सितम्बर 2024 से सर्च केस में 6 साल पुराना खुलासा करने पर केवल 60 प्रतिशत कर देना होगा। किसी प्रकार की कोई ब्याज, कोई सरचार्ज और न कोई पेनल्टी लगेगी। इसलिए इस बदलाव से इसमें एक निश्चितता आ गई है जो पहले नहीं थी।
उन्होंने बताया कि विवाद से विश्वास 2024 में जुलाई 2023 से जो लंबित मामले है उन्हें इस योजना में निपटाया जा सकता है 31 सितम्बर 2024 तक टैक्स जमा करने पर। 31 जनवरी 2020 के पहले के मामले है वहां पर 10 प्रतिशत अतिरिक्त कर लिया जायेगा।
दीपेंद्र मोहन ने सुझाव दिया कि लिटिगेशन में नहीं जाना चाहिए क्योंकि लिटिगेशन का लागत मूल्य एक बार समाधान से अधिक होता है। इसके अलावा सदस्यों द्वारा पूछे गये प्रश्नों का उत्तर दोनों कर विशेषज्ञों द्वारा दिया गया। सभी की जिज्ञासा शांत की गई। धन्यवाद ज्ञापन उपाध्यक्ष मनोज कुमार गुप्ता द्वारा दिया गया।
बैठक में अध्यक्ष अतुल कुमार गुप्ता, उपाध्यक्ष मनोज कुमार गुप्ता, उपाध्यक्ष अम्बा प्रसाद गर्ग, कोषाध्यक्ष नितेश अग्रवाल, पूर्व अध्यक्ष सीताराम अग्रवाल, श्रीकिशन गोयल, शलभ शर्मा, सदस्यों में दिनेश कुमार जैन, योगेश जिन्दल, प्रमोद अग्रवाल, विजय कुमार गुप्ता, विजय कुमार बंसल, नितिन अग्रवाल, नीलम गौतम, रंजना कुमारी, अनिल अग्रवाल, अतुल कुमार गर्ग, राकेश चौहान, अनिल गोयल, सीए प्रार्थना जालान, मयंक अग्रवाल, वैभव गर्ग, संजय दीक्षित, राजकुमार भगत, राहुल राना, नीरज अग्रवाल, सतीश अग्रवाल, श्याम मोहन गुप्ता, अनुज विकल, शैलेश अग्रवाल, के डी गुप्ता, अनिल कुमार गुप्ता, हर्षित अग्रवाल, संजीव अग्रवाल, अपूर्व मित्तल, मो. बिलाल आदि मुख्य रूप से उपस्थित थे।
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