- डॉ. भानु प्रताप सिंह
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Agra, Uttar Pradesh, India, Bharat. ताज प्रेस क्लब ने संस्कृति भवन बाग फरजाना में हिंदी पत्रकारिता दिवस मनाया। ‘विकसित भारत के निर्माण में हिंदी पत्रकारिता का योगदान’ विषय पर मंथन हुआ। आगरा की पौराणिक महत्ता प्रतिपादित की गई। पत्रकारों को त्रिकालदर्शी बताया गया। पत्रकारिता के गिरते स्तर पर चिंता जताई गई। उदाहरण देकर नसीहत दी गई कि पत्रकार देशहित में सिर्फ सनसनी फैलाने वाली खबरों से परहेज करें।
मुख्य अतिथि डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के पर्यटन एवं यात्रा विभाग के अध्यक्ष और पुरातन छात्र प्रकोष्ठ के डीन प्रोफेसर लवकुश मिश्र ने कहा कि विकसित भारत के लिए हम सबको योगदान देना है। यह भी कहा कि शिक्षक और पत्रकारों का काम एक सा है, जैसे- शिक्षित करना, गलत की आलोचना करना, धमकियों का सामना करना। इससे आगे जाकर पत्रकार नदी पर तटबंध की तरह काम करते हैं ताकि नदी अनुशासन में रहकर बहती रहे, बाढ़ न बन जाए।
उन्होंने बताया- संयुक्त राष्ट्र संघ ने जेनेवा में सम्मेलन किया कि कोरोना की आपदा के बाद अर्थव्यवस्था को गति कैसे दी जाए? वहां मैंने अवगत कराया कि केदारनाथ धाम में 4 माह में ही खच्चर वालों की आय 100 करोड़ रुपये से अधिक हैं। अनधिकृत आय अलग है। जो अपना काम करते हैं, वे इसी तरह से कमाते हैं। अंग्रेजों ने शिक्षा के नाम पर डिग्री का लालच दिया जो बहुत बड़ा खतरा है। इसका दुष्परिणाम यह है कि डिग्री के बाद नौकरी तलाश करते हैं। हमारे गांवों में भले ही सड़क, बिजली नहीं थी लेकिन सब संपन्न, खुशहाल, स्वस्थ थे क्योंकि अपना काम करते थे।

उन्होंने कहा कि हम 3000 करोड़ रुपये का टोमैटो सूप आयात करते हैं और भारत का किसान टमाटर सड़क पर फेंक देता है क्योंकि लागत नहीं निकल रही है। इसका कारण यह है कि हमने ग्रामीणों को फूड प्रोसेसिंग नहीं सिखाई है। पहले मंदिरों को सजाने के लिए ब्राजील से फूल आते थे, अब भारत में ही उत्पादन हो रहा है। एथेंस की पूरी अर्थव्यवस्था मॉन्युमेंट आधारित है। अगर हम भी सूरकूटी जैसे स्थानों को पर्यटन मानचित्र पर लाएं तो कमाल हो सकता है।
प्रोफेसर लवकुश मिश्र ने बताया कि 2019 में प्रयागराज कुंभ मेला पर 4000 करोड़ रुपये सरकार ने व्यय किए। सीआईआई की एक रिपोर्ट ने बताया गया कि 1.2 लाख करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित हुआ। हमारे यहां उत्सव आधारित जीडीपी है।

उन्होंने बताया कि कारपोरेट जगत ने दांतून के स्थान पर कॉलगेट थमा दिया और अब स्वयं ऑनलाइन नीम की दातून बेच रहे हैं। 120 रुपये की एक दातून है। जब हम दांतून कर रहे थे तो असभ्य थे और अब ये दांतुन कर रहे हैं तो सभ्य हैं, यह कैसी अवधारणा है। हम तो पहले से ही जैविक खेती कर रहे थे लेकिन विदेशी कंपनियों ने यूरिया खाद दे दिया। अब फिर से जैविक खेती की बात कर रहे हैं।
उन्होंने ताजमहल की एक खबर का उदाहरण देते हुए कहा कि आगरा के समाचार पत्रों ने खतरा होने पर ताज को काले कपड़े से ढकने की संभावना जताई थी। दिल्ली के अंग्रेजी अखबारों ने ताजमहल को खतरा बता दिया। इसके बाद विदेशों ने ताजमहल न जाने की एडवाइजरी जारी कर दी। टूर कैंसिल हो गए और हमें एक हजार करोड़ का नुकसान झेलना पड़ा। ये उदाहरण है पत्रकारों की संवेदनशील भूमिका का।

विषय प्रवर्तन करते हुए डॉ. सुरेंद्र सिंह ने कहा- विकसित भारत के कुछ मानक हैं। भारत में औसत आयु 69.4 वर्ष है जबकि अन्य देशों की 80 वर्ष से ऊपर है। भारत की साक्षरता 74 प्रतिशत जबकि दुनिया की 84 प्रतिशत है। नार्वे की 100 प्रतिशत साक्षरता है। भारत का रोजगार में 86वां और उद्योग में 30वां स्थान है। इन बिंदुओं को ध्यान में रखकर काम करें कि 2047 तक विकसित भारत कैसे बनेगा? उन्होंने कहा कि पत्रकारों और पत्रकार संस्थानों की हालत खराब है। फिर भी पत्रकार खरा सोना हैं, वे बेहतर काम कर रहे हैं।
ताज प्रेस क्लब के पूर्व अध्यक्ष राजीव सक्सेना ने कहा- महर्षि वेदव्यास की पीठ आगरा में है। उन्होंने कहा कि मौजूदा सरकार की बड़ी उपलब्धियां हैं लेकिन उसे आम जनता की हैप्पीनेस से कुछ लेना-देना नहीं हैं। निजी क्षेत्रों का मैकेनिज्म ऐसा है कि बीपीएल बनाने का काम कर रहे हैं। वर्किंग जर्नलिस्ट एक्ट में वही आता है जो किसी संस्था में काम कर रहा है। इसमें सुधार होना चाहिए। प्रेस आयोग की 21वीं रिपोर्ट लागू नहीं हो रही है।
ताज प्रेस क्लब के उपाध्यक्ष डॉ. मनोज मिश्र ने कहा कि ए.आई. के आने से पत्रकारिता का दौर कठिन होने वाला है। यह भी बताया कि ताज प्रेस क्लब भवन का जीर्णोद्धार चल रहा है। कुल 30 लाख रुपये के काम होने हैं। जरूरत पड़ी तो और धन मिलेगा। अगला कार्यक्रम प्रेस क्लब भवन में धूमधाम से होगा।
ताज प्रेस क्लब के उपाध्यक्ष डॉ. भानु प्रताप सिंह ने आगरा की खूबियों से अवगत कराया। उन्होंने उन पत्रकारों और संपादकों को याद किया जिनसे पत्रकारिता सीखी। यह भी कहा कि भारत विश्व गुरु इसलिए था कि यहां दुनिया भर के छात्र विद्याध्यन करने आते थे। भारत की पहचान आध्यात्मिक चेतना के लिए थी।
ताज प्रेस क्लब के महासचिव केपी सिंह ने कहा कि अखबारों ने जागरूकता पैदा की है। गांव का किसान भी राष्ट्र पर चर्चा करता है। हम अपनी लेखनी से व्यवस्था परिवर्तन कर सकते हैं।
ताज प्रेस क्लब के अध्यक्ष सुनयन शर्मा ने कहा- देश के निर्माण में हिंदी पत्रकारिता का अप्रितम योगदान है। तमाम विरोधों के बाद भी पत्रकारिता दबी नहीं। 20 वर्ष पहले लिखने की जितनी स्वतंत्रता थी, आज उतनी नहीं रही है। खबर लिखते समय विज्ञापन का ध्यान रखना पड़ता है। युवाओं में अखबार पढ़ने का क्रेज नहीं है। फिर भी पत्रकारिता नए रूप में चलती रहेगी।
वरिष्ठ पत्रकार शशि शर्मा ने सुझाव दिया कि ताज प्रेस क्लब में ही प्रेस वार्ताएं हों। पूर्व अध्यक्षों का फोटो लगे। क्लब का इतिहास अंकित हो। पत्रकारों पर संकट हो तो वकीलों की तरह एकजुट रहें।
डॉ. महेश धाकड़ ने आभार प्रकट करते हुए डिजिटल मीडिया को रोजी-रोटी का साधन बनाने का आग्रह किया।
समारोह में प्रेस क्लब कार्यकारिणी सदस्य जगत नारायण शर्मा, जय सिंह वर्मा, राजेश शर्मा, अरुण रावत, मनोज गोयल, दिलीप सुराना, असलम सलामी, जतिन श्रीवास्तव, राजेश मिश्रा, राजकुमार मीना, धर्मेंद्र सिंह, शशिकांत मिश्रा, अनिल राणा, केएन मिश्रा, शीतल सिंह, शिवकुमार भार्गव सुमन, उमेश शर्मा, आकाश, फरहान, दिलीप वर्मा, मनीष भारद्वाज, मनोज गुप्ता, आलोक द्ववेदी, विकास कुलश्रेष्ठ आदि की उपस्थिति उल्लेखनीय रही। दिलीप सुराना ने अपनी टीम के साथ व्यवस्थाएं संभालीं।
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