Mathura (Uttar Pradesh, India)। मथुरा। श्रीकृष्ण जन्मस्थान पर जन्मोत्सव के समस्त कार्यक्रम पूर्ण विधि-विधान से होंगे। भगवान के जन्म की बेला से पूर्व रात 11 बजे संपूर्ण मंदिर प्रांगण में दीपक अर्पित किए जाएंगे। श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान के सचिव कपिल शर्मा ने बताया कि 12 अगस्त को रात 11 बजे दीपक अर्पित किए जाएंगे। जन्मोत्सव को भव्य बनाने की तैयारियां चल रही हैं। जन्माष्टमी पर भागवत भवन में सुवर्ण आभा बंगले को तैयार किया गया हैं। यह बंगला हस्तशिल्प कला का एक उत्कृष्ट नमूना है। कपिल शर्मा ने बताया कि इस वर्ष भागवत भवन में सुवर्ण आभा अत्यंत सुंदर नक्काशी युक्त बंगले की सज्जा में रत्न प्रतिकृति जड़ी गयी हैं, जो इसकी छटा को नयनाभिराम बना रही हैं। बंगले की सज्जा में काष्ठ, पत्र-पुष्प, थर्माकॉल, वस्त्र, रत्न आदि का प्रयोग किया गया है।
अभिषेक के लिए अयोध्या की सरयू जल, काशी से गंगा जल और मथुरा से यमुना जल मंगाया गया है
श्रीकृष्ण जन्मस्थान पर इस बार काशी, मथुरा और अयोध्या का मिलन होगा। अजन्मे के जन्मोत्सव पर श्रीकृष्ण जन्मस्थान पर भगवान के विग्रह के अभिषेक के लिए अयोध्या की सरयू जल, काशी से गंगा जल और मथुरा से यमुना जल मंगाया गया है।
सरयू के पवित्र जल से महाभिषेक भी होगा।
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी मौजूद रहेंगे। ऐसे में धर्मावलंबी आल्हादित हैं। पुण्य सलिला सरयू के जल में भगवान राम ने स्नान किया था। उसी सरयू के पवित्र जल से महाभिषेक भी होगा।
इस बार भगवान श्रीकृष्ण का 5247वां जन्मोत्सव मनेगा
महंत नृत्य गोपाल दास श्रीकृष्ण जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष भी हैं। यह जानना भी रोचक है मंहत नृत्यगोपाल दास की का जन्म मथुरा के एक छोटे से गांव में हुआ था। वह हर वर्ष इस कार्यक्रम में आते हैं। श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान के सदस्य गोपेश्वर चतुर्वेदी के मुताबिक काशी से गंगा जल मंगाया गया है। मथुरा से यमुना जल लिया जाएगा। श्रीकृष्ण जन्मस्थान पर इस बार भगवान श्रीकृष्ण का 5247वां जन्मोत्सव मनेगा।
प्रचीन केशवदेव मंदिर में एक दिन पूर्व ही मनाई जाती है जन्माष्टमी
कान्हा की नगरी अनूठी है, वृंदावन के तीन मंदिरों के अलावा श्रीकृष्ण जन्मस्थान के बराबर में कटरा केशव देव मंदिर में एक दिन पूर्व जन्माष्टमी मनाई जाती है। रात्रि 12 बजे ही मंदिर में चुर्तभुज प्रतिमा का अभिषेक होगा।
बॉके बिहारी जी मंदिर में दूसरे दिन भोर में मंगला आरती के दर्शन होते हैं
वृन्दावन में बॉके बिहारी जी मंदिर में रात्रि 12 बजे कोई कार्यक्रम नहीं होते हैं वर्ष में एक दिन जन्माष्मी के दूसरे दिन भोर में सुबह 3.30 बजे के करीब मंगला आरती के दर्शन होते हैं, इस मंदिर की खास बात यह है कि यहां घन्टे घडियाल या शंख आदि नहीं बजाये जाते हैं क्यों कि यहां निकुंज सेवा है विना शोर सराबे के यहां ठाकुर जी की आरती होती है। इस वर्ष कोरोना संकट के चलते और मंदिर का फर्स खराव होने के चलते भी मंदिर में सेवायतों के अलावा किसी बाहरी व्यक्ति के प्रवेश पर रोक लगाई गई है।
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